Hindi, asked by ashishpatel2559, 1 year ago

Vigyan ke badhte Charan very short essay in hindi

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Answered by SuadMalik
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helllooo

विज्ञान के बढ़ते चरण

सच ही कहा गया है- आज कि सभ्यता कलयुगी सभ्यता है, कल अर्थात मशीनों का युगI आज का मनुष्य विज्ञान के बल पर न जाने कितनी मशीनों का निर्माण कर चुका हैI

आज किसी भी क्षेत्र में विज्ञान के बिना एक कदम भी आगे बढ़ पाना संभव नहीं हैI व्यक्तिगत रूप से दिन-प्रतिदिन के जीवन का हर कार्य-वह चाहे खाना पकाना हो, ज्ञान प्राप्ति हो या मनोरंजन-विज्ञान पर निर्भर हैI यातायात के साधन, चिकित्सा का क्षेत्र, संचार कि सुविधाएँ, शिक्षा, कृषि सभी क्षेत्रों में विज्ञान का ही बोलबाला हैI मनुष्य अन्य ग्रहों पर पंहुच गया हैI

ठोस धरती को छोड़कर, उसके नीचे का अध्ययन कर रहा हैI कंप्यूटर और मोबाइल, विमान और सेटेलाइट जैसे साधनों से दुनिया सिमट कर बहुत छोटी हो गई हैI विज्ञान ने आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में घर कर लिया हैI हमें हाथ हिलाने की भी आवश्यकता नहीं है, बस बटन दबाइये और काम हो जायेगाI

किंन्तु आवश्यकता इस बात कि है कि हम ध्यान रखें कि विज्ञान के बढ़ते चरण हमें दबा ही न डालेंI हथियारों का निर्माण कर विज्ञान का प्रयोग हम मानव जाती के संहार के लिए न करने लगेंI हमें मानवता को सुरक्षित रखना होगा और नैतिक पतन से बचना होगाI

Answered by lucky29082009
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Hindi Gatha-Saturday, October 31, 2020

विज्ञान के बढ़ते चरण

Vigyan ke Badhte Charan

निबंध # 01

'हरि अनंत, हरि कथा अनंता' की भाँति विज्ञान की उपलब्धियाँ भी अनंत हैं। विज्ञान ने मानव को अपरिमित शक्ति प्रदान कर पकति के रहस्यों पर से नित नए आवरण हटाकर उसके सम्मुख अनंत संभावनाओं का आकाश बिछा दिया है। नित नए आविष्कारों से मानव स्वयं भी हतप्रभ है। क्या हुक्म मेरे आका' वाला देव अब दीपक घिसने से नहीं वरन् ‘कंप्यूटर माउस' के एक क्लिक से उपस्थित हो जाता है। सूचना, परिवहन, संचार, मनोरंजन, चिकित्सा, हर क्षेत्र में चमत्कारिक परिवर्तन आ चुके हैं। दुनिया के एक कोने में बैठ दूसरे कोने से तत्क्षण न केवल संपर्क साधा जा सकता है बल्कि उसे साक्षात् देखा भी जा सकता है। वामन अवतार की भाँति धरती-आकाश और पाताल को नापा जा सकता है। बर्फीली चोटियाँ हों या सागर की अतल गहराइयाँ, दूरदूर तक फैले रेत के सहरा हों या घने-घनघोर जंगल, घर बैठे ही आप वहाँ की सैर भी कर सकते हैं और जानकारियाँ भी प्राप्त कर सकते हैं। आज अंधों को आँखें, बधिरों को श्रवण शक्ति ही नहीं, सूनी गोदों को भी हरा किया जा सकता है। स्वर्ग के सारे सुख धरा पर उतार लाने वाला विज्ञान नरक के कष्टों से मुक्त कर देने के उपाय खोजने में लगा है। कुछ वर्षों में रोगों के साथ 'असाध्य' शब्द लुप्त हो जाए तो आश्चर्य नहीं। ब्रह्मा-विष्णु-महेश के कार्यों को अपने हाथों में थामे विज्ञान के कदम किस दिशा में बढ़ रहे हैं, बस यही ध्यान देने की बात है, कहीं भस्मासुर की भाँति वह अपने ही सिर पर हाथ न रख दें।

निबंध # 02

विज्ञान के बढ़ते चरण

Vigyan ke Badhte Charan

संकेत बिंदु -विज्ञान के बढ़ते चरण : एक शुभ संकेत -बढ़ती वैज्ञानिक प्रगति एक चुनौती -संतुलन आवश्यक

विज्ञान ने मानव को बहुत अधिक सुख-सुविधाएँ प्रदान की हैं। मानव जीवन से संबद्ध समस्त घटनाओं में यही तथ्य परिलक्षित होता है। विज्ञान ने विद्युत का आविष्कार करके मानव जीवन में क्रांति ही ला दी है। विद्युत ने मानव को प्रकाश और शक्ति प्रदान की, जिससे वह अनेक यंत्रों को चलाने में सफल रहा है। वह घर बैठे ही शिमला की ठंडी हवा खा सकता है तथा सर्दियों में कमरे को गर्म रख सकता है। विज्ञान ने कंप्यूटर का आविष्कार करके मानव के सभी कार्यों को सरल एवं गतिमान बना दिया है। अब तो लगभग प्रत्येक कार्यालय में कंप्यूटर अनिवार्य आवश्यकता बन गया है। इसकी मदद से रिकार्ड को व्यवस्थित करने का कार्य अत्यंत सुगमता से संपन्न हो जाता है। हिसाब-किताब रखने आकड़ा को संग्रह करने एवं विश्लेषण करने परीक्षा परिणाम तैयार करने, पुस्तक प्रकाशन करने में इसकी भूमिका अत्यत महन्दपूर्ण है। विज्ञान ने इंटरनेट के द्वारा विभिन्न कंप्यूटरों को जोड़ने का अद्भुत कार्य कर दिखाया है। फैक्स के माध्यम से पत्र या फाइल को तुरंत भेज जा सकता है। इस प्रकार विज्ञान नित्य नए चमत्कार उत्पन्न कर रहा है।

परंतु आज मानव के सामने एक बड़ा प्रश्न उपस्थित हो गया है कि विज्ञान के नित्य नए आविष्कार के कारण यह बदलती स्थिति उसके लिए वरदान होगी या अभिशाप? आज एक देश दूसरे देश को बैज्ञानिक शक्ति के आधार पर दबा रहा है। आज जिस देश के पास अधिक वैज्ञानिक शक्ति है। वह देश अपने को गौरवान्वित मान रहा है।

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