Hindi, asked by Anonymous, 10 months ago

Vigyan ke mere Jeevan par prabhav

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Answered by Microsoftdev
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विज्ञान मानव के लिए एक महान वरदान है । मानव के इतिहास में, उसके जीवन के लिए विज्ञान के उदय से बेहतर कोई घटना घटित नहीं हुई हैं जब विज्ञान का उदय हुआ उस समय विश्व अज्ञानता, दु:खों और विपत्तियों से घिरा हुआ था ।

विज्ञान ने मनुष्य को दुखों से छुटकारा दिलाने, उसकी अज्ञानता को दूर भगाने व उसकी मुश्किलों को कम करने में सार्थक भूमिका निभाई है । विज्ञान मानव का निष्ठावान सेवक है । चाहे वह घर हो या खेत या कारखाना जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान हमारी सहायता करता है ।

इससे अधिक कर्तव्यनिष्ठ सेवक मानव को प्राप्त नही हो सकता । जब हम अपने सेवक को बिगाड़ देते हैं, या उसपर हमारा नियंत्रण नहीं रहता । तभी वह हमारे लिए हानिकारक होता है । लेकिन इसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं । सेवक को अपने नियंत्रण में रखना आवश्यक है ।

विज्ञान ने हमारे जीवन में भारी परिवर्तन ला दिया है । वे दिन बीत गए जबकि सम्पन्न व्यक्ति ही ऐश्वर्य का मजा ले जाते थे । विज्ञान ने उन्हें सस्ता, सहज और सुलभ बना दिया है । विज्ञान की सहायता से माल का उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा है, अब ये वस्तुएं सस्ती कीमतों में बाजार में बिकती है ।

पुस्तकें, संगीत और मनोरंजन के अन्य साधन आज आसानी से मिल जाते है । रेडियो, टेलीविजन और सिनेमा ऐसे साधन हैं, जिनसे हम अपना समय आनंदपूर्वक गुजार सकते है । निस्संदेह आज साधारण व्यक्ति के जीवन में पहले से बहुत अधिक अंतर आ गया है ।

चिकित्सा के क्षेत्र में भी विज्ञान हमारा निष्ठावान सहचर है । वह प्रत्येक दृष्टि से हमारे स्वास्थ्य का ध्यान रखता है । विज्ञान द्वारा मानव को विभिन्न असाध्य रोगों के इलाज की शक्ति प्राप्त हो गई है । चेचक, हैजा तथा प्लेग आदि के विनाश से अब मानवता अपने आपको सुरक्षित पाती है । किशान की सहायता से हम रोगों को फैलाने वाले कीटाणुओं को जड़ से उखाड़ फैंकने में समर्थ हो जाते हैं । आज संभवत: एक-दो रोगों को छोड्‌कर, कोई ऐसा रोग नहीं है, जिसको असाध्य कहा जा सके ।

विज्ञान ने हमारी यात्राओं को सुखद बना दिया है । आज हम दूरस्थ पवित्र तीर्थ स्थानों में जाते समय अपने संबंधियों तथा मित्रों से बिछुड़ते हुए रोते नही है । विज्ञान ने समय और दूरी पर विजय प्राप्त कर ली है । गाड़ियाँ वनों और मरुस्थलों को सुरक्षित पार कर जाती हैं और मनुष्य तेज गति तथा आराम से अपने गंतव्य तक पहुँच जाता है ।

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हवाई जहाज एक घंटे में सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर लेता है । आप अपना नाश्ता दिल्ली में, दोपहर का खाना लंदन में और रात का भोजन न्यूयार्क में कर सकते है । महीनों का काम अब कुछ घंटो में पूरा हो जाता है । गृहिणियों के लिए तो विज्ञान एक वरदान है । अब उसे अपना सारा समय रसोईघर में बिताने की आवश्यकता नहीं पड़ती ।

उसके कार्यभार को कम करने के लिए अनेक उपकरणों का विकास हो गया है । अब रसोई के सारे कार्य बिजली के यंत्रों की सहायता से किए जा सकते हैं, जिससे खाना पकाना बहुत आसान हो गया है और खाना बिना गन्दगी और धुंए के पलक झपकते ही तैयार हो जाता है ।

आज गृहिणी कपड़े धोने, प्रेस करने से लेकर फर्श आदि साफ करने के काम बिजली के यंत्रों की सहायता से करती है । आज की गृहिणी को विज्ञान का सब से अधिक आभारी होना चाहिए क्योंकि इसने उसके बहुत से काम आसान कर दिए हैं । अब उसे विश्राम, अध्ययन और अपने बच्चों के साथ अधिक समय बिताने के अवसर प्राप्त होते है ।

श्रमिक-वर्ग भी विज्ञान के विकास से बहुत लाभान्वित हुआ । उन्हें धूल-मिट्‌टी के कार्यों को अपने हाथों से नही करना पड़ता । अब उन्हें कोयले और लोहे की खानों में खुदाई का काम अपने हाथों से नही करना पड़ता । प्रत्येक कारखाने में सुख और सुविधाओं के सभी साधन मौजूद है जिन्हें विज्ञान ने प्रदान किया है ।

विज्ञान के वरदानों का अंत यही नहीं हो जाता है । यह सेवक शिक्षा प्रदान करने की सेवा भी करता है । विज्ञान द्वारा बड़े-बड़े मुद्रणालयों का निर्माण हुआ है जो मस्त मूल्यों पर बड़ी संख्या में पुस्तके छापते हैं । इसने मानव के अज्ञान को मिटाने के लिए अनेक साधन उपलब्ध कराए हैं ।

दुनिया के प्रत्येक कोने की खबरें हम समाचारपत्र, रेडियो और टेलीविजन के माध्यम से प्राप्त हो जाती हैं । इसके कारण हमारे समाज से अज्ञान और अंधविश्वास समाप्त होता जा रहा है । अब सीधे-सादे व्यक्ति को कोई चालाक व धूर्त व्यक्ति धोखे से ठग नही सकता है ।

तथापि, तस्वीर का दूसरा रूख भी है । हथियारों के क्षेत्र में विज्ञान ने मानव का सबसे बड़ा अहित किया है । यद्यपि प्रारंभ में बारूद के आविष्कार को मानव की बहुत बड़ी उपलब्धि समझा गया था, परंतु बारूद के आविष्कार का दिन मानव के लिए बहुत भयानक था । क्योंकि धीर-धीरे बारूद का प्रयोग युद्ध के सैकड़ों नए विनाशकारी हथियारों को बनाने में किया जाने लगा ।

अत: यदि मानव विज्ञान का प्रयोग अपनी सुख-सुविधा कें स्थान पर विनाशकारी कार्यों के लिए करने लगे, तो उसके लिए भला कौन जिम्मेदार हो सकता है । यदि हम अपने आप विनाश के यंत्रों के ढेर लगाते जाएगें तो इसमें विज्ञान का क्या दोष है?

आधुनिक युग परमाणु ऊर्जा का युग है । अब या तो पूर्ण विनाश की स्थिति उत्पन्न होगी या ऐसा युग आएगा जब यह शक्ति मानव के श्रम को हल्का करके, विश्व भर में उसके रहन-सहन के स्तर को बढ़ाने में सहायक होगी । इसका निर्णय तो स्वयं मनुष्य को करना है कि वह परमाणु बम से विश्व को विनाश के कगार पर पहुँचाना चाहता है या परमाणु ऊर्जा से इसका पुन: निर्माण करना चाहता है ।


Anonymous: Thnx
Microsoftdev: Welcome
malayarout111: Aur 25 sal me Raghav kese ho ??
Anonymous: There jaisa hoon
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