Hindi, asked by singhdeeksha6633, 1 year ago

Vigyan pradarshani par Hindi niband

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Answered by austinmfn100
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ऐसी कोई वस्तु नहीं जो वहां न हो । देखकर आखें चौंधिया जाती थीं । हर वस्तु लेने का मन करता था । हर प्रदेश के अलग-अलग मंडप थे । इनमें प्रत्येक प्रदेश की सांस्कृतिक, औद्योगिक और आर्थिक प्रगति की झलक मिलती थी । मंडपों के बाहर, उनके प्रदेश के संस्कृतिक नृत्य-गीत, आदि के आयोजन हो रहे थे । लोकगीतों और नृत्यों की निराली ही छटा थी ।

अनेक विदेशी मंडप भी वहां थे । इनमें उन देशों की बड़ी-बड़ी मशीनें, वस्त्र, इलैक्ट्रॉकि का सामान, कम्प्यूटर आदि प्रदर्शित थे । चारों ओर संगीत हवा में तैर रहा था । रेलवे, सेना, समाज-कल्याण मंत्रालय आदि के भी भव्य मंडप वहां थे । सेना के मंडप में हमारी सुरक्षा तैयारियों और सामरिक अस्त्र-शस्त्रों का बहुत उपयोगी प्रदर्शन देखने को मिला । इसी तरह रेल-मंडप भी बहुत शिक्षाप्रद और मनोरंजक था ।

इन्हें देखकर देश के विभिन्न क्षेत्रों में हुई चहुंमुखी प्रगति की एक झलक मिलती थी । दुपहर होते-होते हम कुछ देख चुके थे और अभी भी बहुत कुछ देखना शेष था । हम थक भी गये थे । अत: हरी-हरी घास पर बैठकर हमने विश्राम किया और फिर भोजन । भोजन खाने और उसके उपरांत गर्म-गर्म चाय पीने में बड़ा आनन्द आया ।

पुन: हम प्रदर्शनी देखने में लग गये । लेकिन इस बार अधिक नहीं देख पाये क्योंकि माताजी थक गई थीं । अत: फिर कुछ विश्राम किया कॉफी का आनन्द लिया और प्रदर्शनी से बाहर आ गये । सांझ हो रही थी और सूरज पश्चिम में ढल रहा था ।

घर पहुंचते-पहुंचते रात हो चुकी थी । रास्ते-रास्ते हम प्रदर्शनी के विषय में ही बातें कर रहे थें । यह एक बड़ा सुखद और शिक्षाप्रद अनुभव था । इस अनुभव को कभी भूला पाना कठिन हैं ।

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