Hindi, asked by ritik8751, 1 year ago

Vigyan pradarshini par nibandh in Hindi

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Answered by rammohan369
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दिल्ली एक महानगर है । इसकी महिमा अन्य नगरों से सर्वथा अलग है । दिए ली कई बातों के लिए विशेष प्रसिद्ध है । प्रदर्शनियां भी इनमें से एक हैं ।

सारे सालभर यहां छोटी-बड़ी अनेक प्रदर्शनियां लगती रहती हैं । चाचा नेहरू के जन्मदिन पर प्रगति मैदान में प्रतिवर्ष लगनेवाली प्रदर्शनी की तो कोई समानता ही नहीं । इस वर्ष मुझे प्रगति मैदान की इस प्रदर्शनी को देखने का अवसर मिला । मैं अपनी माताजी और बड़ी बहिन सरला के साथ वहां गया ।

रविवार का दिन था । मौसम सुहावना था और उजली धूप निकली हुई थी । हम लोग तिपहिया स्कूटर से वहां पहुंचे । बाहर टिकिट खिड़कियों पर लम्बी-लम्बी कतारे थीं । सर्वत्र देखने वालों की अपार भीड़ थी ।

पार्किंग स्थान पर हजारों कारें खड़ी थीं । बड़ा आश्चर्यजनक और विशाल दृश्य था ।

लोगबाग विभिन्न रंग-बिरंगे परिधानों में सजे-धजे बड़े सुन्दर लग रहे थे । क्यू में खड़े होकर मैंने तीन टिकिट खरीदे और फिर अन्दर गये । अन्दर चारों ओर बड़ा मनोरम दृश्य था । लोगबाग प्रदर्शनी का आनन्द ले रहे थे, स्टालों पर खा-पी रहे थे या मुलायम घास पर विश्राम कर रहे थे । जगह-जगह, आइसक्रीम, ठंडेपेयों, चाय, नमकीन आदि की दुकानें थीं । खाना-खाने का भी जगह-जगह प्रबंध था ।

मनोरंजक के भी अनेक साधन थे । प्रदर्शनी का बहुत विस्तार था । हम लोग द्वार संख्या एक से अंदर गये । सबसे पहले हमने ग्रामीण झांकिया देखि । यहाँ ग्रामीण उद्योगों की बड़ी सुंदर झांकि देखने को मिली । कटपुतली को खेल, लोक नृत्य और दूसरे मनोरंजन के साधन भी वहाँ थे । मेरी माताजी ने वहां से एक रेशमी साड़ी खरीदी और बहिन ने लाख की सुंदर चूड़ियां ।

हम एक के बाद दूसरे पेवेलियन (मंडप) में गये और प्रदर्शित वस्तुओं को देखा । हर मंडप बहुत विशाल और सुन्दर था । सभी वस्तुएं बहुत अच्छी तरह सजाइ गई थीं । देखकर मन मुग्ध हो गया । इतनी विशाल प्रदर्शनी को देखने का यह मेरा पहला अवसर था ।
ऐसी कोई वस्तु नहीं जो वहां न हो । देखकर आखें चौंधिया जाती थीं । हर वस्तु लेने का मन करता था । हर प्रदेश के अलग-अलग मंडप थे । इनमें प्रत्येक प्रदेश की सांस्कृतिक, औद्योगिक और आर्थिक प्रगति की झलक मिलती थी । मंडपों के बाहर, उनके प्रदेश के संस्कृतिक नृत्य-गीत, आदि के आयोजन हो रहे थे । लोकगीतों और नृत्यों की निराली ही छटा थी ।
अनेक विदेशी मंडप भी वहां थे । इनमें उन देशों की बड़ी-बड़ी मशीनें, वस्त्र, इलैक्ट्रॉकि का सामान, कम्प्यूटर आदि प्रदर्शित थे । चारों ओर संगीत हवा में तैर रहा था । रेलवे, सेना, समाज-कल्याण मंत्रालय आदि के भी भव्य मंडप वहां थे । सेना के मंडप में हमारी सुरक्षा तैयारियों और सामरिक अस्त्र-शस्त्रों का बहुत उपयोगी प्रदर्शन देखने को मिला । इसी तरह रेल-मंडप भी बहुत शिक्षाप्रद और मनोरंजक था ।

इन्हें देखकर देश के विभिन्न क्षेत्रों में हुई चहुंमुखी प्रगति की एक झलक मिलती थी । दुपहर होते-होते हम कुछ देख चुके थे और अभी भी बहुत कुछ देखना शेष था । हम थक भी गये थे । अत: हरी-हरी घास पर बैठकर हमने विश्राम किया और फिर भोजन । भोजन खाने और उसके उपरांत गर्म-गर्म चाय पीने में बड़ा आनन्द आया ।

पुन: हम प्रदर्शनी देखने में लग गये । लेकिन इस बार अधिक नहीं देख पाये क्योंकि माताजी थक गई थीं । अत: फिर कुछ विश्राम किया कॉफी का आनन्द लिया और प्रदर्शनी से बाहर आ गये । सांझ हो रही थी और सूरज पश्चिम में ढल रहा था ।

घर पहुंचते-पहुंचते रात हो चुकी थी । रास्ते-रास्ते हम प्रदर्शनी के विषय में ही बातें कर रहे थें । यह एक बड़ा सुखद और शिक्षाप्रद अनुभव था । इस अनुभव को कभी भूला पाना कठिन हैं ।

Hope it helps.
Answered by kanchanthakur241984
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Explanation:

मेरे हिसाब से यह आपके काम की होगा क्योंकि इसमें मैंने यह जो चित्र है यह चित्र में आपको उत्तर है आप इस चित्र को देख लीजिएगा मुझे याद नहीं हो पाता इसलिए मैंने इसे चित्र के रूप में आपको भेजा हैअगर यही काम है तो आप मुझे भेजने से बनाई हो और साथ ही साथ ही सबसे छोटा है तो यह मेरी सबसे आपकी काम आएगा ही आएगा धन्यवाद

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