Hindi, asked by manjugangwar1457, 1 year ago

Vigyan vardan ya abhishap par ek annuchhed

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Answered by jishan0075
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आज का युग विज्ञान का युग है । हमारे जीवन का कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं है । प्राचीन काल में असंभव समझे जाने वाले तथ्यों को विज्ञान ने संभव कर दिखाया है । छोटी-सी सुई से लेकर आकाश की दूरी नापते हवाई जहाज तक सभी विज्ञान की देन हैं ।

विज्ञान ने एक ओर मनुष्य को जहाँ अपार सुविधाएँ प्रदान की हैं वहीं दूसरी ओर दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि नाभिकीय यंत्रों आदि के विध्वंशकारी आविष्कारों ने संपूर्ण मानवजाति को विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है । अत: एक ओर तो यह मनुष्य के लिए वरदान है वहीं दूसरी ओर यह समस्त मानव सभ्यता के लिए अभिशाप भी है ।

वास्तविक रूप में यदि हम विज्ञान से होने वाले लाभ और हानियों का अवलोकन करें तो हम देखते हैं कि विज्ञान का सदुपयोग व दुरुपयोग मनुष्य के हाथ में है । यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह इसे किस रूप में लेता है । उदाहरण के तौर पर यदि नाभिकीय ऊर्जा का सही दिशा में उपयोग किया जाए तो यह मनुष्य को ऊर्जा प्रदान करता है जिसे विद्‌युत उत्पादन जैसे उपभोगों में लिया जा सकता है ।

परंतु दूसरी ओर यदि इसका गलत उपयोग हो तो यह अत्यंत विनाशकारी हो सकता है । द्‌वितीय विश्व युद्‌ध के समय जापान के हिरोशिमा एवं नागासाकी शहरों में परमाणु बम द्‌वारा हुई विनाश-लीला इसका ज्वलंत उदाहरण है ।

विज्ञान के वरदान असीमित हैं । विद्‌युत विज्ञान का ही अद्‌भुत वरदान है जिससे मनुष्य ने अंधकार पर विजय प्राप्त की है । विद्‌युत का उपयोग प्रकाश के अतिरिक्त मशीनों, कल-कारखानों, सिनेमाघरों आदि को चलाने में भी होता है ।

इसी प्रकार चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान ने अभूतपूर्व सफलताएँ अर्जित की हैं । इसने असाध्य समझे जाने वाले रोगों का निदान ढूँढ़कर उसे साध्य कर दिखाया है । यात्रा के क्षेत्र में भी विज्ञान की देन कम नहीं है । इसके द्‌वारा वर्षों में तय की जाने वाली यात्राओं को मनुष्य कुछ ही दिनों या घंटों में तय कर सकता है ।

हवाई जहाज के आविष्कार ने तो मनुष्य को पंख प्रदान कर दिए हैं । विज्ञान के माध्यम से मनुष्य ने चंद्रमा पर विजय प्राप्त कर ली है और अब वह मंगल ग्रह पर विजय प्राप्त करने की तैयारी कर रहा है । विज्ञान की देन असीमित है ।

विज्ञान ने जहाँ मनुष्य को आराम और सुविधाएँ दी हैं वहीं दूसरी ओर उसके लिए नई मुश्किलें भी खड़ी कर दी हैं । विश्व आज अनेक खेमों में बँट गया है । इसके अतिरिक्त स्वयं को अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए हथियारों की होड़-सी लग गई है । उसने संपूर्ण मानव सभ्यता को अपने हाइड्रोजेन एवं परमाणु बमों की खोज से विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है ।

बेरोजगारी व निर्धनता दिन-प्रतिदन बढ़ रही है। लोगों का गाँवों से शहरों की ओर पलायन जारी है जिससे महानगरों एवं शहरों की जनसंख्या अत्यधिक बढ़ गई है । इस प्रकार विज्ञान का दुरुपयोग संपूर्ण मानव सभ्यता के लिए अभिशाप सिद्‌ध हो रहा है ।

विज्ञान का समुचित उपयोग न करने का ही यह परिणाम है कि आज दुनिया की आबादी बेतहाशा बढ़ रही है । आबादी रोकने के जितने भी साधन विज्ञान ने उपलब्ध कराए हैं वे सभी निर्विवाद रूप से कारगर हैं पर अविकसित देशों द्‌वारा इन साधनों को न अपनाने के फलस्वरूप ऐसे देश कई प्रकार की समस्याओं से घिर गए हैं ।

विज्ञान की मदद से बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध हो सकता है लेकिन कई देशों में अपने संसाधनों का इस्तेमाल न कर पाने की समस्या है । विज्ञान ने बृहत् पैमाने पर शिक्षा देने के साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कर दी है फिर भी कई देशों में भारी तादाद में अनपढ़ लोग हैं ।

वैज्ञानिक कृषि अपनाए जाने पर दुनिया से भुखमरी और कुपोषण की समस्या समाप्त हो सकती है, बावजूद इसके लोग खाद्‌यान्नों के बिना संकटग्रस्त दशा में हैं । अत: कहा जा सकता है कि वे अभिशाप जो विज्ञान के कारण उत्पन्न समझे जाते हैं वास्तव में मानव सृजित हैं ।

हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम विज्ञान की अद्‌भुत देन का रचनात्मक कार्यों में ही प्रयोग करें । विज्ञान के दुरुपयोग के विरुद्‌ध अभियान छेड़ा जाना चाहिए । विश्व के समस्त देशों को विश्व शांति का प्रयास करना चाहिए तथा हथियारों की जो होड़ बढ़ती जा रही है उसका विरोध एवं उस पर अंकुश लगाना चाहिए ।

Answered by rachnabharti41197
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