vigyapan hamara jeevan per anuchchhed likhiye
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हम विज्ञापन और जीवन के बीच के सम्बन्ध को समझे इससे पूर्व हमें जानना होगा कि विज्ञापन का अर्थ क्या हैं. दरअसल यह एक प्रचार माध्यम है जो वस्तु या सेवा को अधिक से अधिक उपभोक्ताओं को आकर्षित करता हैं.
हम विज्ञापन के होड़ की ऐसी दुनिया में जी रहे हैं. जहाँ से घर से निकलने के बाद हमारे आकर्षण के पूरे बंदोबस्त किये होते हैं. बोर्ड, होर्डिंग, तस्वीर, बेनर की शक्ल में पूरा बाजार विज्ञापनों से अटा पड़ा नजर आता हैं.
विज्ञापन के लिए अंग्रेजी शब्द Advertising का बहुतायत उपयोग होता हैं. जो लेटिन भाषा के एडवरटेरे से बना है जिसका आशय होता है दिमाग का आकर्षित होना. इसे सरल शब्दों में समझे तो यह वस्तु प्रचार का ऐसा सरल माध्यम है जिसके जरिये उपभोक्ताओं के मस्तिष्क को आकर्षित किया जाता हैं. हिंदी के दो शब्दों वि और ज्ञापन से विज्ञापन बना हैं. वि का अर्थ होता है विशेष जबकि ज्ञापन से आशय है सूचना अथवा ज्ञान. अर्थात किसी विशेष ज्ञान या जानकारी को देना विज्ञापन कहलाता हैं.
विज्ञापन का उद्देश्य – किसी उत्पाद अथवा ब्रांड के अधिकतम प्रसार और प्रचार के लिए जिस सार्वजनिक माध्यम का उपयोग किया जाता हैं. उसे हम विज्ञापन कहते हैं. इसका उद्देश्य सम्बन्धित वस्तु, उत्पाद सेवा का उपभोक्ताओं तक फैलाना होता हैं. इसके मूल में आर्थिक लाभ, व्यापार, ब्रांड व कम्पनी की लोकप्रियता में वृद्धि करना होता हैं.
विज्ञापनों का सामाजिक जीवन पर प्रभाव- विज्ञापन की मायावी दुनिया का मूल लक्ष्य सम्बन्धित सेवा को उसके उपभोक्ताओं तक पहुंचाना होना हैं. वस्तु की गुणवत्ता, दोष के इसका कोई सम्बन्ध नहीं होता हैं इस लिए कहा जाता है जो दीखता है वही बिकता हैं. आज लोग गुणवत्ता की परख को छोड़कर विज्ञापन की हस्ती के कथनानुसार ही खरीद करते नजर आ रहे हैं.