Vigyapan ka manav jeevan par prabhav
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विज्ञापन का मानव जीवन पर प्रभाव
आजकल के दुनिया में विज्ञापन का असर हम सब लोगों पर जरूर पड़ता है और वो भी अधिक मात्रा में. कोई आदमी या व्यवसाय या कम्पनी या सरकार जब सब लोगों को कुछ बताना चाहता है तब अखबार या रेडिओ या टीवी या सोशल मीडिया में विज्ञापन देते हैं.
आजकल देश , राज्य, या शहर में इतने सारे काम होते रहते हैं, और कंपनिया नए नए सर्विस या वस्तुएं बनाते हैं कि उनके बारे में जानकारी रखना आसान नहीं होता. अगर हम एक छोटेसे गाँव में होते तो, जो कुछ भी गाँव में होता है, वह पता चलता रहता है. लेकिन शहरों में ऐसा नहीं होता.
आजकल के विज्ञापन बच्चोंको और बडोंको बहुत लुभाते हैं. विज्ञापन में बहुत कुछ बताते हैं अपनी नए चीजों के बारे में, कि सुनते ही लोग उसे खरीदने चलें. विज्ञापन में लड़कियों से बात करवाते हैं और देखनेवालों पर प्रभाव डालने के लिए सुन्दर लड़कियों का इस्तेमाल करते हैं. कुछ वीग्यपनों में तो कपडे भी ढंग से नहीं पहनते.
अपने वास्तु की प्रशंशा करते हुए दूसरों की मजाक भी करते हैं. विज्ञापन बनाने में बहुत ज्यादा पैसा भी लगता है. उनको देखकर बचों की सोच भी उसी तरह बदल जाता है. शायद यह उतना अच्चा नहीं है.
आजकल विज्ञापन का इतना खासता है कि कहीं भी कुछ भी उत्सव, घटना, सालगिरा वगैरा होते हैं, उनसब को आयोजन करने के लिए विज्ञापन लेन देन आवश्यक हो गया है. बिन विज्ञापन के पैसे इकठे नहीं होते.
आजकल के दुनिया में विज्ञापन का असर हम सब लोगों पर जरूर पड़ता है और वो भी अधिक मात्रा में. कोई आदमी या व्यवसाय या कम्पनी या सरकार जब सब लोगों को कुछ बताना चाहता है तब अखबार या रेडिओ या टीवी या सोशल मीडिया में विज्ञापन देते हैं.
आजकल देश , राज्य, या शहर में इतने सारे काम होते रहते हैं, और कंपनिया नए नए सर्विस या वस्तुएं बनाते हैं कि उनके बारे में जानकारी रखना आसान नहीं होता. अगर हम एक छोटेसे गाँव में होते तो, जो कुछ भी गाँव में होता है, वह पता चलता रहता है. लेकिन शहरों में ऐसा नहीं होता.
आजकल के विज्ञापन बच्चोंको और बडोंको बहुत लुभाते हैं. विज्ञापन में बहुत कुछ बताते हैं अपनी नए चीजों के बारे में, कि सुनते ही लोग उसे खरीदने चलें. विज्ञापन में लड़कियों से बात करवाते हैं और देखनेवालों पर प्रभाव डालने के लिए सुन्दर लड़कियों का इस्तेमाल करते हैं. कुछ वीग्यपनों में तो कपडे भी ढंग से नहीं पहनते.
अपने वास्तु की प्रशंशा करते हुए दूसरों की मजाक भी करते हैं. विज्ञापन बनाने में बहुत ज्यादा पैसा भी लगता है. उनको देखकर बचों की सोच भी उसी तरह बदल जाता है. शायद यह उतना अच्चा नहीं है.
आजकल विज्ञापन का इतना खासता है कि कहीं भी कुछ भी उत्सव, घटना, सालगिरा वगैरा होते हैं, उनसब को आयोजन करने के लिए विज्ञापन लेन देन आवश्यक हो गया है. बिन विज्ञापन के पैसे इकठे नहीं होते.
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