Hindi, asked by rajfam2004, 1 year ago

vigyapan ke prati yuvao ka moh

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Answered by bhatiamona
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                             विज्ञापन के प्रति युवाओं का मोह  

आजकल विज्ञापन का ऐसा भ्रामक और मोहित कर देने वाला संसार बन गया है कि युवा पर इन भ्रामक एवं खोखले विज्ञापनों के जाल में फंस गया है। ये भ्रामक विज्ञापन अनेक तरह के दावे कर के युवा वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और युवा वर्ग इन विज्ञापनों के आकर्षण में फंसकर इन विज्ञापनों में किये गये दावों जैसा ही आचरण करने का प्रयत्न करता है, और अपने जीवन और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर बैठता है।

उदाहरण के लिए एक विज्ञापन आता है कि आप चंद दिनों में इस दवाई के माध्यम से अपने शरीर को बॉडी बिल्डर जैसा बना लेंगे और युवा वर्ग ऐसी दवाइयों के भ्रामक जाल में फंसकर अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। वे प्राकृतिक जीवन शैली को छोड़कर दवाइयों के भ्रम जाल में फंस जाते हैं।

कोल्ड ड्रिंक से लेकर जंक फूड के ऐसे अनेक विज्ञापन हैं, जो युवाओं को उनके जाल में फंसा लेते हैं और युवा ऐसे हानिकारक खाद्य पदार्थों की ओर आकर्षित हो जाते हैं। वह पौष्टिक एवं पारंपरिक भोजन से दूर होकर ऐसे जंक फूड को अपने जीवन की नियमित दिनचर्या का हिस्सा बना लेते हैं।

जिससे आगे चलकर उनको स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्यायें पैदा हो जाती हैं। अतः केवल विज्ञापन के कारण ही युवा वर्ग इनके भ्रमजाल में फंस कर अपने जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है, यह एक चिंतन का विषय है। सरकारें भी ऐसे विज्ञापनों पर अंकुश लगा नहीं पातीं, जो ऐसी भ्रामक विज्ञापन देकर लोगों खासकर युवाओं को ठगते हैं।

जरूरत है सरकार द्वारा ऐसे भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के लिये उचित नीति बनाने की तथा युवाओं में ऐसे भ्रामक विज्ञापनों से बचने की प्रति जागरुकता फैलाई जाये।

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