vigyapan lekhan on hindi sahitya
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विज्ञापन शब्द की रचना ‘ज्ञापन’ शब्द में ‘वि’ उपसर्ग लगाने से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ है-विशेष जानकारी देना। अर्थात किसी वस्तु की बिक्री बढ़ाने के लिए उस वस्तु के गुणों का प्रचार-प्रसार करना ही विज्ञापन कहलाता है। विज्ञापन का उद्देश्य होता है-उत्पादक द्वारा अपनी वस्तुएँ खरीदने के लिए लोगों को आकर्षित और लालायित करना तथा उन्हें बेचकर मोटा मुनाफ़ा कमाना। आज जिधर भी देखो, विज्ञापन किसी न किसी वस्तु का गुणगान करते नज़र आते हैं। टेलीविजन के चैनेल, समाचार पत्र-पत्रिकाएँ, होर्डिंग्स, साइन बोर्ड, बस स्टैंड, दीवारें मेट्रो, बस तथा वाहनों की दीवारें आदि पर विज्ञापन दिखाई देते हैं। अब फ़िल्मों के बीचबीच में इतने विज्ञापन आने लगे हैं कि पता ही नहीं लगता कि हम विज्ञापन देख रहे हैं या फ़िल्म। इनके अलावा कुछ विज्ञापन सरकारी एजेंसियों द्वारा लोगों को जागरूक करने के लिए प्रसारित किए जाते हैं। राष्ट्रीय एकता, जनसंख्या वृद्धि रोकने संबंधी, रोगों से बचाव, मद्यपान न करने संबंधी तथा समय-समय पर मच्छर-मलेरिया रोकने संबंधी विज्ञापन इसी कोटि में आते हैं।
विज्ञापन-लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
कम से कम शब्दों में विज्ञापन होना चाहिए।
शब्दों में गागर में सागर भरने की क्षमता होनी चाहिए।
भाषा सरस, रोचक तथा प्रभावपूर्ण होनी चाहिए।
विज्ञापन की भाषा काव्यात्मक हो तो बेहतर रहता है।
विज्ञापन की भाषा में मुहावरे तथा सूक्तियों का प्रयोग होने से भाषा साधारण लोगों की समझ में भी आ जाती है।
रंगीन, आकर्षक एवं बड़े चित्र को जगह अवश्य देनी चाहिए।
प्रस्तुतीकरण सबसे अलग एवं नवीन हो।
उपभोक्ताओं को आकर्षित करने वाले शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।