Hindi, asked by rahmanriyadh9747, 10 months ago

Vigyapan on pustak pradarshni

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संवाद सहयोगी, रामनगर : फिल्म फेस्टिवल के दौरान पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई गई। इसमें जाने-माने साहित्यकार, लेखक, कवियों की पुस्तकों के अलावा शायरों एवं जनवादी कवियों और बच्चों की ज्ञानव‌र्द्धक पुस्तकें लोगों को आकर्षित किया।

प्रदर्शनी में वीरेन डंगवाल की इसी दुनिया में स्याहीताल, विद्यागर नौटियाल की सरोज का सन्निपात, रश्किन बांड की रष्टि के कारनामे, मुरारी लाल शर्मा की पहाड़ पर धूप, घनश्याम त्रिपाठी की समुद्र को बांधना अभी शेष है, मुंशी प्रेमचंद्र की बच्चों की कहानियां, ऊषा आयंगा की अमरीकी आदिवासी की लोक कथाएं जहां लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती नजर आई वहीं जन कवि बल्ली सिंह चीमा की जमीन से उठती आवाज, तय करो किस ओर हो, अनिल कार्की की उदास बखतों का रमोलिया के अलावा फैज की पुस्तकें वर्तमान व्यवस्था का खाका खींचती नजर आई।

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