(vii) लोहे पर जंग लगने की अभिक्रिया का स्पष्टीकरण रिक्त स्थान की पूर्ति करते हुए करो। इस प्रकिया को रोकने का प्रतिबन्धक उपाय लिखो। लोहे पर जग अभिक्रिया से लगता हैं। लोहे के पृष्ठभाग के अलग अलग भाग धनाग्र व ऋणाग बनते है। धनाम पर अभिक्रिया : Fe(s)- Fep+(aq)+2e- 2H2(D ऋणान पर अभिक्रिया :0g) +4H (aq) + से Fe+2 धनाग्रह से स्थानांतरित होते हुए_के साथ अभिक्रिया करके F2+3 बनता हैं अधुलशील लालू भरे रंग के सजल आक्साइड का निर्माण होता है उसे ही जंग करते है। +6H (aq) 2F"(aq) +4H20(1)- प्रतिबंधात्मक उपाय
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- जब लोहा नमी तथा वायु के संपर्क में आता है तो धीरे धीरे अवांछित पदार्थ में परिवर्तित होने लगता है।इसे संक्षारण कहते हैं।
- उपाय,,,पेंट करना ,एनोडीकरण।
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