VII. नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-
1. काकी ने अपनी सारी संपत्ति बुद्धि राम के नाम क्यों कर दी थी?
2. “मानव सेवा ही ईश्वर की सच्ची भक्ति है, दीन दुखियों की सेवा ही सच्ची
तीर्थयात्रा है।
इस वाक्य का भाव स्पष्ट कीजिए?
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1.) अब एक भतीजे के अलावा और कोई न था। उसी भतीजे के नाम उन्होंने अपनी सारी सम्पत्ति लिख दी। भतीजे ने सारी सम्पत्ति लिखाते समय ख़ूब लम्बे-चौड़े वादे किए, किन्तु वे सब वादे केवल कुली-डिपो के दलालों के दिखाए हुए सब्ज़बाग थे। ... बुद्धिराम स्वभाव के सज्जन थे, किंतु उसी समय तक जब कि उनके कोष पर आँच न आए।
2.) जब प्रभु की सच्ची भक्ति मिलती है तो घट घट में प्रभु का ही वास नजर आता है और शिवाय प्रभु के उसे कुछ चाहिए भी नहीं होता और प्रभु मिलते भी ऐसे ही भक्त को है, सच्ची भक्ति भगवान के मंदिर में करोडों का सोना चढ़ाने से या ढोल मंजीरा बजाने से नहीं होती बल्कि दीन दुखियों को ईश्वर का अंश मानकर उसकी सेवा करने से होती है।
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