VII. संस्कृतेन अनुवादं कुरुत। (1) सदा सत्य और मधुर बोलो। (2) वृक्षों से उद्यान शोभित होता है। (3) विद्या से रहित व्यक्ति पशु के समान है। (4) मूर्ख के लिए उपदेश व्यर्थ है। (5) रात्रि में आकाश में चाँद और तारे होते हैं। (6) विद्या का दान श्रेष्ठ दान है।
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- VII. संस्कृतेन अनुवादं कुरुत। (1) सदा सत्य और मधुर बोलो। (2) वृक्षों से उद्यान शोभित होता है। (3) विद्या से रहित व्यक्ति पशु के समान है। (4) मूर्ख के लिए उपदेश व्यर्थ है। (5) रात्रि में आकाश में चाँद और तारे होते हैं। (6) विद्या का दान श्रेष्ठ दान है।
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संस्कृतेन अनुवादं कुरुत। (1) सदा सत्य और मधुर बोलो। (2) वृक्षों से उद्यान शोभित होता है। (3) विद्या से रहित व्यक्ति पशु के समान है। (4) मूर्ख के लिए उपदेश व्यर्थ है। (5) रात्रि में आकाश में चाँद और तारे होते हैं। (6) विद्या का दान श्रेष्ठ दान है।
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