Viigyaan thaap ki verdaan
sajil76:
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HEY DEAR ...
आज का युग विज्ञान का युग है । हमारे जीवन का कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं है । प्राचीन काल में असंभव समझे जाने वाले तथ्यों को विज्ञान ने संभव कर दिखाया है । छोटी-सी सुई से लेकर आकाश की दूरी नापते हवाई जहाज तक सभी विज्ञान की देन हैं ।
विज्ञान ने एक ओर मनुष्य को जहाँ अपार सुविधाएँ प्रदान की हैं वहीं दूसरी ओर दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि नाभिकीय यंत्रों आदि के विध्वंशकारी आविष्कारों ने संपूर्ण मानवजाति को विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है । अत: एक ओर तो यह मनुष्य के लिए वरदान है वहीं दूसरी ओर यह समस्त मानव सभ्यता के लिए अभिशाप भी है ।
वास्तविक रूप में यदि हम विज्ञान से होने वाले लाभ और हानियों का अवलोकन करें तो हम देखते हैं कि विज्ञान का सदुपयोग व दुरुपयोग मनुष्य के हाथ में है । यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह इसे किस रूप में लेता है । उदाहरण के तौर पर यदि नाभिकीय ऊर्जा का सही दिशा में उपयोग किया जाए तो यह मनुष्य को ऊर्जा प्रदान करता है जिसे विद्युत उत्पादन जैसे उपभोगों में लिया जा सकता है ।
परंतु दूसरी ओर यदि इसका गलत उपयोग हो तो यह अत्यंत विनाशकारी हो सकता है । द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान के हिरोशिमा एवं नागासाकी शहरों में परमाणु बम द्वारा हुई विनाश-लीला इसका ज्वलंत उदाहरण है ।
विज्ञान के वरदान असीमित हैं । विद्युत विज्ञान का ही अद्भुत वरदान है जिससे मनुष्य ने अंधकार पर विजय प्राप्त की है । विद्युत का उपयोग प्रकाश के अतिरिक्त मशीनों, कल-कारखानों, सिनेमाघरों आदि को चलाने में भी होता है ।
इसी प्रकार चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान ने अभूतपूर्व सफलताएँ अर्जित की हैं । इसने असाध्य समझे जाने वाले रोगों का निदान ढूँढ़कर उसे साध्य कर दिखाया है । यात्रा के क्षेत्र में भी विज्ञान की देन कम नहीं है । इसके द्वारा वर्षों में तय की जाने वाली यात्राओं को मनुष्य कुछ ही दिनों या घंटों में तय कर सकता है ।
हवाई जहाज के आविष्कार ने तो मनुष्य को पंख प्रदान कर दिए हैं । विज्ञान के माध्यम से मनुष्य ने चंद्रमा पर विजय प्राप्त कर ली है और अब वह मंगल ग्रह पर विजय प्राप्त करने की तैयारी कर रहा है । विज्ञान की देन असीमित है ।
विज्ञान ने जहाँ मनुष्य को आराम और सुविधाएँ दी हैं वहीं दूसरी ओर उसके लिए नई मुश्किलें भी खड़ी कर दी हैं । विश्व आज अनेक खेमों में बँट गया है । इसके अतिरिक्त स्वयं को अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए हथियारों की होड़-सी लग गई है । उसने संपूर्ण मानव सभ्यता को अपने हाइड्रोजेन एवं परमाणु बमों की खोज से विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है ।
बेरोजगारी व निर्धनता दिन-प्रतिदन बढ़ रही है। लोगों का गाँवों से शहरों की ओर पलायन जारी है जिससे महानगरों एवं शहरों की जनसंख्या अत्यधिक बढ़ गई है । इस प्रकार विज्ञान का दुरुपयोग संपूर्ण मानव सभ्यता के लिए अभिशाप सिद्ध हो रहा है ।
विज्ञान का समुचित उपयोग न करने का ही यह परिणाम है कि आज दुनिया की आबादी बेतहाशा बढ़ रही है । आबादी रोकने के जितने भी साधन विज्ञान ने उपलब्ध कराए हैं वे सभी निर्विवाद रूप से कारगर हैं पर अविकसित देशों द्वारा इन साधनों को न अपनाने के फलस्वरूप ऐसे देश कई प्रकार की समस्याओं से घिर गए हैं ।
विज्ञान की मदद से बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध हो सकता है लेकिन कई देशों में अपने संसाधनों का इस्तेमाल न कर पाने की समस्या है । विज्ञान ने बृहत् पैमाने पर शिक्षा देने के साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कर दी है फिर भी कई देशों में भारी तादाद में अनपढ़ लोग हैं ।
वैज्ञानिक कृषि अपनाए जाने पर दुनिया से भुखमरी और कुपोषण की समस्या समाप्त हो सकती है, बावजूद इसके लोग खाद्यान्नों के बिना संकटग्रस्त दशा में हैं । अत: कहा जा सकता है कि वे अभिशाप जो विज्ञान के कारण उत्पन्न समझे जाते हैं वास्तव में मानव सृजित हैं ।
हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम विज्ञान की अद्भुत देन का रचनात्मक कार्यों में ही प्रयोग करें । विज्ञान के दुरुपयोग के विरुद्ध अभियान छेड़ा जाना चाहिए । विश्व के समस्त देशों को विश्व शांति का प्रयास करना चाहिए तथा हथियारों की जो होड़ बढ़ती जा रही है उसका विरोध एवं उस पर अंकुश लगाना चाहिए ।
HOPE , IT HELPS ...
आज का युग विज्ञान का युग है । हमारे जीवन का कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं है । प्राचीन काल में असंभव समझे जाने वाले तथ्यों को विज्ञान ने संभव कर दिखाया है । छोटी-सी सुई से लेकर आकाश की दूरी नापते हवाई जहाज तक सभी विज्ञान की देन हैं ।
विज्ञान ने एक ओर मनुष्य को जहाँ अपार सुविधाएँ प्रदान की हैं वहीं दूसरी ओर दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि नाभिकीय यंत्रों आदि के विध्वंशकारी आविष्कारों ने संपूर्ण मानवजाति को विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है । अत: एक ओर तो यह मनुष्य के लिए वरदान है वहीं दूसरी ओर यह समस्त मानव सभ्यता के लिए अभिशाप भी है ।
वास्तविक रूप में यदि हम विज्ञान से होने वाले लाभ और हानियों का अवलोकन करें तो हम देखते हैं कि विज्ञान का सदुपयोग व दुरुपयोग मनुष्य के हाथ में है । यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह इसे किस रूप में लेता है । उदाहरण के तौर पर यदि नाभिकीय ऊर्जा का सही दिशा में उपयोग किया जाए तो यह मनुष्य को ऊर्जा प्रदान करता है जिसे विद्युत उत्पादन जैसे उपभोगों में लिया जा सकता है ।
परंतु दूसरी ओर यदि इसका गलत उपयोग हो तो यह अत्यंत विनाशकारी हो सकता है । द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान के हिरोशिमा एवं नागासाकी शहरों में परमाणु बम द्वारा हुई विनाश-लीला इसका ज्वलंत उदाहरण है ।
विज्ञान के वरदान असीमित हैं । विद्युत विज्ञान का ही अद्भुत वरदान है जिससे मनुष्य ने अंधकार पर विजय प्राप्त की है । विद्युत का उपयोग प्रकाश के अतिरिक्त मशीनों, कल-कारखानों, सिनेमाघरों आदि को चलाने में भी होता है ।
इसी प्रकार चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान ने अभूतपूर्व सफलताएँ अर्जित की हैं । इसने असाध्य समझे जाने वाले रोगों का निदान ढूँढ़कर उसे साध्य कर दिखाया है । यात्रा के क्षेत्र में भी विज्ञान की देन कम नहीं है । इसके द्वारा वर्षों में तय की जाने वाली यात्राओं को मनुष्य कुछ ही दिनों या घंटों में तय कर सकता है ।
हवाई जहाज के आविष्कार ने तो मनुष्य को पंख प्रदान कर दिए हैं । विज्ञान के माध्यम से मनुष्य ने चंद्रमा पर विजय प्राप्त कर ली है और अब वह मंगल ग्रह पर विजय प्राप्त करने की तैयारी कर रहा है । विज्ञान की देन असीमित है ।
विज्ञान ने जहाँ मनुष्य को आराम और सुविधाएँ दी हैं वहीं दूसरी ओर उसके लिए नई मुश्किलें भी खड़ी कर दी हैं । विश्व आज अनेक खेमों में बँट गया है । इसके अतिरिक्त स्वयं को अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए हथियारों की होड़-सी लग गई है । उसने संपूर्ण मानव सभ्यता को अपने हाइड्रोजेन एवं परमाणु बमों की खोज से विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है ।
बेरोजगारी व निर्धनता दिन-प्रतिदन बढ़ रही है। लोगों का गाँवों से शहरों की ओर पलायन जारी है जिससे महानगरों एवं शहरों की जनसंख्या अत्यधिक बढ़ गई है । इस प्रकार विज्ञान का दुरुपयोग संपूर्ण मानव सभ्यता के लिए अभिशाप सिद्ध हो रहा है ।
विज्ञान का समुचित उपयोग न करने का ही यह परिणाम है कि आज दुनिया की आबादी बेतहाशा बढ़ रही है । आबादी रोकने के जितने भी साधन विज्ञान ने उपलब्ध कराए हैं वे सभी निर्विवाद रूप से कारगर हैं पर अविकसित देशों द्वारा इन साधनों को न अपनाने के फलस्वरूप ऐसे देश कई प्रकार की समस्याओं से घिर गए हैं ।
विज्ञान की मदद से बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध हो सकता है लेकिन कई देशों में अपने संसाधनों का इस्तेमाल न कर पाने की समस्या है । विज्ञान ने बृहत् पैमाने पर शिक्षा देने के साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कर दी है फिर भी कई देशों में भारी तादाद में अनपढ़ लोग हैं ।
वैज्ञानिक कृषि अपनाए जाने पर दुनिया से भुखमरी और कुपोषण की समस्या समाप्त हो सकती है, बावजूद इसके लोग खाद्यान्नों के बिना संकटग्रस्त दशा में हैं । अत: कहा जा सकता है कि वे अभिशाप जो विज्ञान के कारण उत्पन्न समझे जाते हैं वास्तव में मानव सृजित हैं ।
हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम विज्ञान की अद्भुत देन का रचनात्मक कार्यों में ही प्रयोग करें । विज्ञान के दुरुपयोग के विरुद्ध अभियान छेड़ा जाना चाहिए । विश्व के समस्त देशों को विश्व शांति का प्रयास करना चाहिए तथा हथियारों की जो होड़ बढ़ती जा रही है उसका विरोध एवं उस पर अंकुश लगाना चाहिए ।
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२१व्या शतकामधे विज्ञान हा मानवी जीवनाचा अविभाज्य घटक बनला आहे. आज विज्ञानाशिवाय जगणे अशक्य बनले आहे. मानवी जीवनाचा प्रत्येक भाग हा विज्ञानाशी जोडला गेलेला आहे, त्यामुळे विज्ञान हा माणसासाठी शाप की वरदान आहे हे ठरवणे खूप कठीण आहे. तर सर्वात आधी विज्ञानाची खरी व्याख्या काय आहे हे जाणणे जरुरी आहे. आपल्याला विज्ञानाच्या खूप व्याख्या पहावयास मिळतात. वेब्स्टर शब्दकोशानुसार “विज्ञान म्हणजे अभ्यास आणि सरावातून मिळवलेले ज्ञान.” विज्ञानाची दुसरी व्याख्या अशी आहे कि “नैसर्गिक जग आणि त्यामधील प्रक्रियांचा सखोल आणि व्यवस्थित अभ्यास म्हणजेच विज्ञान होय.” आपल्या आसपासच्या वस्तूंचा आणि घटनांचा सखोल अभ्यास आणि त्यातून मिळणारे ज्ञान म्हणजेच विज्ञान होय. तर मग विज्ञान हा माणसासाठी शाप किंवा वरदान आहे हे ठरवणार कस? तर जसे प्रत्येक नाण्याला दोन बाजू असतात तसच विज्ञानाचे फायदे आणि तोटे ही आहेत. माणसाच्या उत्क्रांतीमध्ये विज्ञानाचा खूप मोठा हात आहे.
आज आपण आपल्या आजूबाजूला ज्या गोष्टी बघतो त्या विज्ञानाची देणगी आहे. आपल्या घरातील टीव्ही, आपण ज्या बस ने प्रवास करतो त्यापासून आपल्या हातातील मोबाईल हे सगळं विज्ञानामुळे शक्य झालं आहे. आज आपण आपल्या घरात बसून मोबाईल आणि कॉम्पुटर च्या साहाय्याने जगातील कोणत्याही व्यक्तीशी बोलू शकतो आणि जगातील कोणत्याही वस्तू, घटना आणि जागेविषयी जाणून घेऊ शकतो. विज्ञानामुळे आज जगातील खूप अश्या जीवघेण्या आजारांवर इलाज शक्य झाला आहे. विज्ञानामुळे आज आपण हजारो मैलांचा प्रवास खूप सहजपणे करू शकतो. विज्ञानामुळे आज माणूस चंद्रावर जाऊन पोहोचला आहे. माणसाने अन्नावर प्रक्रिया केल्या आणि नवीन शोध लावले ज्यामुळे उपासमार बंद झाली. नवीन बियाणांचा शोध लावला त्यामुळे शेतीचे उत्पन्न वाढले. हे सगळं विज्ञानाशिवाय अशक्य होत. विज्ञानाचा मानवाचा विकास होण्या मागे सिंहाचा वाटा आहे. ज्याप्रमाणे विज्ञानाने माणसाला विकासाचे दिवस दाखवले त्याचप्रमाणे अनर्थ करण्याची ताकद ही माणसाच्या हातात दिली. विज्ञानामुळे अणुबॉम्ब सारख्या घातक अण्वस्त्रांचा शोध लागला ज्यांमध्ये मानवी प्रजाती समूळ नष्ट करण्याची ताकद आहे. इंटरनेट, ज्याचा शोध माणसाचे जीवन सोपे करण्यासाठी लावला होता त्याचाच उपयोग आज खूप चुकीच्या मार्गाने केला जात आहे. ज्याप्रमाणे विज्ञान प्रगती करत गेले त्याचप्रमाणे औद्योगिकीकरण वाढले आणि पर्यावरणाचा ऱ्हास होण्यास सुरुवात झाली. महात्मा गांधी एका उक्ती मध्ये म्हणाले आहेत की “निसर्ग माणसाला पोटभर पुरवतो फक्त माणसाने आपली भूक आवरली पाहिजे.” जशी विज्ञानाने प्रगती केली तशी माणसाची भूक ही वाढत गेली. त्याने झाडे तोडली अन रस्ते व घरं बांधली. स्वतःच्या स्वार्थासाठी प्राणी मारले, त्यामुळे पर्यावरणाचा ऱ्हास झाला. मग हे विज्ञान फायद्याचे कसे? “व्यक्ती तितक्या प्रवृत्ती” ह्या उक्तीप्रमाणे विज्ञान शाप कि वरदान हे प्रत्येकाच्या दृष्टिकोनावर अवलंबून आहे. ह्या सर्वाचा सारांश असा कि जर विज्ञानाचा योग्य उपयोग केला तरच विज्ञान एक वरदान ठरेल.
धन्यवाद!
आज आपण आपल्या आजूबाजूला ज्या गोष्टी बघतो त्या विज्ञानाची देणगी आहे. आपल्या घरातील टीव्ही, आपण ज्या बस ने प्रवास करतो त्यापासून आपल्या हातातील मोबाईल हे सगळं विज्ञानामुळे शक्य झालं आहे. आज आपण आपल्या घरात बसून मोबाईल आणि कॉम्पुटर च्या साहाय्याने जगातील कोणत्याही व्यक्तीशी बोलू शकतो आणि जगातील कोणत्याही वस्तू, घटना आणि जागेविषयी जाणून घेऊ शकतो. विज्ञानामुळे आज जगातील खूप अश्या जीवघेण्या आजारांवर इलाज शक्य झाला आहे. विज्ञानामुळे आज आपण हजारो मैलांचा प्रवास खूप सहजपणे करू शकतो. विज्ञानामुळे आज माणूस चंद्रावर जाऊन पोहोचला आहे. माणसाने अन्नावर प्रक्रिया केल्या आणि नवीन शोध लावले ज्यामुळे उपासमार बंद झाली. नवीन बियाणांचा शोध लावला त्यामुळे शेतीचे उत्पन्न वाढले. हे सगळं विज्ञानाशिवाय अशक्य होत. विज्ञानाचा मानवाचा विकास होण्या मागे सिंहाचा वाटा आहे. ज्याप्रमाणे विज्ञानाने माणसाला विकासाचे दिवस दाखवले त्याचप्रमाणे अनर्थ करण्याची ताकद ही माणसाच्या हातात दिली. विज्ञानामुळे अणुबॉम्ब सारख्या घातक अण्वस्त्रांचा शोध लागला ज्यांमध्ये मानवी प्रजाती समूळ नष्ट करण्याची ताकद आहे. इंटरनेट, ज्याचा शोध माणसाचे जीवन सोपे करण्यासाठी लावला होता त्याचाच उपयोग आज खूप चुकीच्या मार्गाने केला जात आहे. ज्याप्रमाणे विज्ञान प्रगती करत गेले त्याचप्रमाणे औद्योगिकीकरण वाढले आणि पर्यावरणाचा ऱ्हास होण्यास सुरुवात झाली. महात्मा गांधी एका उक्ती मध्ये म्हणाले आहेत की “निसर्ग माणसाला पोटभर पुरवतो फक्त माणसाने आपली भूक आवरली पाहिजे.” जशी विज्ञानाने प्रगती केली तशी माणसाची भूक ही वाढत गेली. त्याने झाडे तोडली अन रस्ते व घरं बांधली. स्वतःच्या स्वार्थासाठी प्राणी मारले, त्यामुळे पर्यावरणाचा ऱ्हास झाला. मग हे विज्ञान फायद्याचे कसे? “व्यक्ती तितक्या प्रवृत्ती” ह्या उक्तीप्रमाणे विज्ञान शाप कि वरदान हे प्रत्येकाच्या दृष्टिकोनावर अवलंबून आहे. ह्या सर्वाचा सारांश असा कि जर विज्ञानाचा योग्य उपयोग केला तरच विज्ञान एक वरदान ठरेल.
धन्यवाद!
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