VIII. भावार्थ लिखिए।
धरती की-सी रीत है, सीत धाम औ मेह ।जैसी परे सो सहि रहे क्यों रहीम यह देह
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जैसी परे सो सहि रहै, त्यों रहीम यह देह॥ अर्थ- इस दोहे में रहीम दास जी ने धरती के साथ-साथ मनुष्य के शरीर की सहन शक्ति का वर्णन किया है। वह कहते हैं कि इस शरीर की सहने की शक्ति धरती समान है। ... उसी प्रकार मनुष्य का शरीर भी जीवन में आने वाले सुख-दुःख को सहने की शक्ति रखता है।
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धरती की-सी रीत है, सीत धाम औ मेह ।जैसी परे सो सहि रहे क्यों रहीम यह देह
अर्थ- इस दोहे में रहीम दास जी ने धरती के साथ-साथ मनुष्य के शरीर की सहन शक्ति का वर्णन किया है। वह कहते हैं कि इस शरीर की सहने की शक्ति धरती समान है। ... उसी प्रकार मनुष्य का शरीर भी जीवन में आने वाले सुख-दुःख को सहने की शक्ति रखता है।
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