Hindi, asked by prasadbramhankar36, 1 year ago

Vikas ki aur badhta Hua Bharat

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Answered by Palakchoudhary
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हमारा देश तरक्की की चक्की में, पिस रहा है। देश का विकास, आम आदमी को उदास कर रहा है। अब तो आम भी इतने महंगे होते जा रहे हैं कि कुछ दिन बाद लोग‘आम’आदमी होना भी अफोर्ड नहीं कर पायेंगे। जो आदमी मिलेंगे, वो बिना‘आम’ वाले आदमी होंगें। रोड के एक तरफ बड़े बड़े माल। तो दूसरी तरफ कटोरा पकड़े कंगाल। एक तरफ सरकार खाती है अन्ना‘नाश’। दूसरी तरफ जनता को एक बूँद पानी की प्यास। जनता फंस गयी है, पेट्रोल के दाम की चक्की में। देश बहुत आगे निकल गया है तरक्की में।

आजादी के वक्त हमने जमीन से शुरुआत की थी। अब हम आकाश में पहुँच गए हैं। शायद आप समझे नहीं। मेरा कहने का मतलब है कि 1948 में जीप घोटाले से शुरुआत हुई थी, 2013 आते आते हेलीकाप्टर तक पहुँच गए हैं। वैसे सबसे ज्यादा तरक्की हमने अगर की है तो वो हैं घोटाले। घोटालों में हमने हर देश को पछाड़ दिया है। किस्म-किस्म के घोटाले। हर साइज के घोटाले। आकाश हो या पाताल, सबमें घोटाले। जमीन से अंतरिक्ष तक घोटाले। यानी कि हेलीकाप्टर (आकाश) हो या कोयला खदान (पाताल), सबमें घोटाला। जीप, कामनवेल्थ (जमीन) से 2जी (अंतरिक्ष) तक घोटाले। भाजपा हो या कांग्रेस, सपा हो या बसपा, सबने बहती गंगा में हाथ धोये।

अब जाकर समझ में आया कि हमारे देश ने शून्य का आविष्कार क्यों किया था? सिर्फ शून्य की कोई कीमत नहीं होती। लेकिन किसी बिल या बाउचर में एक-दो शून्य बढ़ा दो, फिर देखो, घोटाला तैयार। फिर सीएजी चिल्लाएगी कि सरकार ने इतने करोड़ का घोटाला किया। और सरकार कहेगी कि सीएजी को ज्यादा जीरो (शून्य) लगाने का शौक है, और जनता शून्य में उलझकर शून्य हो जाती है।

आज घोटालों में तरक्की कि वजह से ही सरकारें बनती और चलती हैं। कभी सरकार बनाने में घोटाला, कभी सरकार बचाने में घोटाला। घोटाला ही शाश्वत सत्य है। हमारे यहाँ जब मन-रेगा, तभी घोटाला। ना मन-रेगा, तो भी घोटाला।

हमारे देश ने घोटालों में इतनी तरक्की कर ली है कि, कालाधन-कालाधन चिल्लाने वालों का, सरकार मुँह काला करने में जुट जाती है। हमारे यहाँ लोग घोटाला करने में इतने तरक्की कर गए हैं, कि उन्होने ‘लोकपाल’ में ही घोटाला कर दिया। सरकार ने,‘सरकारी लोकपाल’में। और अन्ना टीम ने‘जन लोकपाल’में।

इटली, कहने के लिए भले ही तरक्की कर चुका देश हो, लेकिन हमारे देश के आगे अभी बहुत पिछड़ा है। वहाँ के लोग इतने बेवकूफ और पिछड़े होते हैं, कि पैसा देकर भी घोटाले में फंस जाते हैं। लेकिन हमारे देश का छोटा सा कर्मचारी भी करोड़ों एसे डकार जाता है कि अगर उसका पता लगाने सीबीआई भी जाये, तो फिर सीबीआई का पता लगाने के लिए भी किसी को जाना पड़ेगा। जैन भाई कि डायरी में हवाला का पैसा लेने वालों के नाम होने के बाद भी किसी का पता नहीं लगा। आज तक किसी भी घोटाले में, पैसा लेने वाला हमारे देश में पकड़ा जाये, ये नहीं हो सका । पहले लाखों में घोटाला होता था, फिर करोड़ों में। अब महँगाई बढ़ गयी है तो अरबों –खरबों में घोटाले होने लगे हैं। हमें खुश होना चाहिए, आखिर देश तरक्की कर रहा है

Answered by dackpower
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Answer:

2000 के दशक के अंत में, भारत की वृद्धि 7.5% तक पहुँच गई, जो एक दशक में औसत आय को दोगुना कर देगी। [1] आईएमएफ का कहना है कि अगर भारत ने अधिक बुनियादी बाजार सुधारों को आगे बढ़ाया, तो यह दर को बनाए रख सकता है और यहां तक ​​कि सरकार के 2011 के लक्ष्य 10% तक पहुंच सकता है।

उनकी अर्थव्यवस्थाओं पर राज्यों की बड़ी जिम्मेदारियां हैं। गुजरात (13.86%), उत्तराखंड (13.66%), बिहार (10.15%) या झारखंड (9.85%) के लिए औसत वार्षिक विकास दर (2007-15) पश्चिम बंगाल (6.24%), महाराष्ट्र (7.84%) की तुलना में अधिक थी। , ओडिशा (7.05%), पंजाब (11.78%) या असम (5.88%)। [2] भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और बिजली समता समायोजित विनिमय दर (पीपीपी) खरीदकर तीसरी सबसे बड़ी है। प्रति व्यक्ति आधार पर, यह दुनिया में 140 वें या पीपीपी द्वारा 129 वें स्थान पर है।

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