Vikashshil Bharat par essay in hindi
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ये सब हमारी बहुत अच्छी उपलब्धियां हैं जिनके लिए हमें गर्व महसूस हो सकता है किंतु जब सतह से नीचे देखते हैं तो जो तस्वीर हमें नजर आती है वह बड़ी ही निराशाजनक है। नियोजन से समस्त देश को लाभ नहीं पहुंचा है। आम जनता की दशा अभी वहीं की वहीं है। हमारी जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग अभी भी गरीबी की रेखा के नीचे से जीवन यापन कर रहा है। जनसंख्या का एक अंश ऐसा है जिसको दिन में पेट भर भोजन भी नहीं मिल पाता है। भारत के कुछ हिस्सों में तो करोड़ों की संख्या में लोग अति निर्धनता¸ गंदगी और बीमारी का जीवन जीते हैं। अर्ध पोषित¸ दुबले और भूखे लोगों को अभी देखा जा सकता है। ऐसा क्यों है? इसका पहला कारण यह है कि हमारे नियोजन में असमानताओं को दूर करने की दिशा में बहुत कम काम किया गया है। अमीर और अधिक अमीर हो गए हैं। निर्धन और अधिक निर्धन हो गए हैं। सरकार ने जो योजनाएं गरीबों के लाभ के लिए चलाईं उनसे अमीरों को फायदा पहुंचा है क्योंकि निर्धन साधनहीन और कमजोर है। बहुत से निर्धन लोग तो यह भी नहीं जानते कि सरकार उनके लिए कुछ कर रही है इसलिए विभिन्न योजनाओं से मिलने वाले लाभ अमीरों द्वारा हथिया लिए जाते हैं। भारत के 80% संसाधनों को 10% अमीर लोग हड़प कर जाते हैं और शेष 20% भाग 90% निर्धन जनता में बंटता है जोकि अत्यंत ही अपर्याप्त अंश है। देश में व्यापक निरक्षरता है जिसकी वजह से सामाजिक और सांस्कृतिक पिछड़ापन बहुत अधिक है। हमारी बहुत सी जनसंख्या को तो अपने अधिकारों और कर्तव्यों का ज्ञान नहीं है। वे अब भी दासता की स्थिति में है क्योंकि वे अमीरों और शक्तिशालियों से अपना हक मांगने का साहस भी नहीं कर सकते।
वास्तव में बड़ी दुखद स्थिति है कोई राष्ट्र तभी मजबूत बनता है जबकि इसकी आम जनता शारीरिक¸ मानसिक¸ आर्थिक एवं सांस्कृतिक रूप से मजबूत हो। बहुत ही अल्प संख्या के लोगों का विकास भारत को महान नहीं बनाएगा। हमें तो प्रत्येक व्यक्ति के लिए भले कार्य करना है। हमें ऐसा साधन और व्यापक नियोजन करना है कि प्रत्येक व्यक्ति के हितों का ध्यान रखा जा सके। आवश्यकता इस बात की भी है कि विकेंद्रीयकरण को और अधिक बढ़ाया जाए जिससे योजनाओं का लाभ सामान्य जनता तक पहुंच सके। हमें वास्तविक निर्धनों की तलाश करनी है और उनके हितों की चिंता करनी है। आय की असमानताओं को शीघ्रातिशीघ्र कम किया जाना चाहिए। गरीबों की शैक्षिक¸ चिकित्सीय एवं अन्य सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध करानी चाहिए। व्यक्ति पर आधारित नियोजन ही व्यक्ति तक पहुंचने और उनकी दशा सुधारने का सुनिश्चित एवं सर्वोत्तम साधन है।
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वास्तव में बड़ी दुखद स्थिति है कोई राष्ट्र तभी मजबूत बनता है जबकि इसकी आम जनता शारीरिक¸ मानसिक¸ आर्थिक एवं सांस्कृतिक रूप से मजबूत हो। बहुत ही अल्प संख्या के लोगों का विकास भारत को महान नहीं बनाएगा। हमें तो प्रत्येक व्यक्ति के लिए भले कार्य करना है। हमें ऐसा साधन और व्यापक नियोजन करना है कि प्रत्येक व्यक्ति के हितों का ध्यान रखा जा सके। आवश्यकता इस बात की भी है कि विकेंद्रीयकरण को और अधिक बढ़ाया जाए जिससे योजनाओं का लाभ सामान्य जनता तक पहुंच सके। हमें वास्तविक निर्धनों की तलाश करनी है और उनके हितों की चिंता करनी है। आय की असमानताओं को शीघ्रातिशीघ्र कम किया जाना चाहिए। गरीबों की शैक्षिक¸ चिकित्सीय एवं अन्य सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध करानी चाहिए। व्यक्ति पर आधारित नियोजन ही व्यक्ति तक पहुंचने और उनकी दशा सुधारने का सुनिश्चित एवं सर्वोत्तम साधन है।
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