vikmaaditya nagran Brahman samay ki hastvan
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नागर ब्राह्मण इतिहास - स्कन्दपुराण वह प्राचीनतम पुस्तक है जिसमे नागर ब्रह्मणों की उत्पत्ति के विषय में उल्लेख मिलता है ऐसा माना जाता है कि स्कन्द पुराण वह ग्रन्थ है जिसे ३००-७०० A.D. के मध्य राजा स्कन्दगुप्त और वल्लभी शासको द्वारा बुद्ध धर्मं के विरुद्ध ब्राह्मण धर्म के निर्धारण के लिए विभिन्न इतिहासकारों तथा लेखको द्वारा लिखा गया था |
इनमे नागर ब्राह्मण सर्वोत्कृत्ष्ट ब्राह्मण थे, अतः ब्राह्मण धर्म को और आगे बढाने के कार्य के लिए नागर ब्राह्मणों को लगाया गया | नागर ब्राह्मण धर्म का अर्थ समझाने और व्याख्या करने के कार्य में निपुण थे और विशेष ज्ञान रखते थे और इसके बदले में कोई पारिश्रमिक भी नहीं लेते थे इसलिए राजाओं द्वारा इन्हें भूमि दे दी जाती थी, अधिकतर इनका निवास स्थान वडनगर और आनंदनगर के आसपास था | नागर ब्राह्मण समुदाय के ये लोग सुदूर प्रदेशों की यात्रा करते थे | मिश्र, बेबीलोन, ब्राज़ील, काबुल, भारत, चीन तथा कम्बोडिया जैसे देशों में इन्ही लोगों ने शिव तथा शैव मत में विश्वास स्थापित किया
स्कन्दपुराण के नागरखंड अनुसार भगवान शिव... ने उमा से विवाह के लिए नागरों को उत्पन्न किया था तथा इसके पश्चात प्रसन्न होकर उत्सव मनाने के लिए इन्हें हाटकेश्वर नाम का स्थान वरदान के रूप में दिया था |
नागर ब्राह्मण के मूल स्थान के आधार पर ही उन्हें जाना जाने लगा जैसे वडनगर के वडनगरा ब्राह्मण विसनगर के विसनगरा, प्रशनिपुर के प्रशनोरा (राजस्थान,) जो अब भावनगर तथा गुजरात के अन्य प्रान्तों में बस गए, क्रशनोर के क्रशनोरा तथा शतपद के शठोदरा आदि।
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