Hindi, asked by shivangiratnesh, 9 months ago

Vikse sant saroj sab isme kaun sa alankar hai aur Kyu????

Answers

Answered by Anonymous
2

\huge\underline\bold\red{AnsWer}

Explanation:

अलंकार से तात्पर्य-

अलंकार में ’अलम्‌’ और ’कार’ दो शब्द हैं। ’अलम्‌’ का अर्थ है-भूषण सजावट। अर्थात्‌ जो अलंकृत या भूषित करे, वह अलंकार है। स्त्रियाँ अपने साज-श्रृंगार के लिए आभूषणों का प्रयोग करती हैं, अतएव आभूषण ’अलंकार’ कहलाते हैं। ठीक उसी प्रकार कविता-कामिनी अपने श्रृंगार और सजावट के लिए जिन तत्वों का उपयोग-प्रयोग करती हैं, वे अलंकार कहलाते हैं। अत: हम कह सकते हैं कि काव्य के शोभाकारक धर्म अलंकार हैं। जिस प्रकार हार आदि अलंकार रमणी के नैसर्गिक सौंदर्य में चार-चाँद लगा देते हैं, उसी प्रकार अनुप्रास, यमक और उपमा आदि अलंकार काव्य के सौंदर्य की अभिवृद्धि करते हैं। वस्तुत: अलंकार वाणी के श्रृंगार हैं। इनके दव्ारा अभिव्यक्ति में अस्पष्टता, प्रभावोत्पादकता और चमत्कार आ जाता है।

अलंकार की परिभाषा:-

वे तत्व, जो काव्य की शोभा में वृद्धि करते हैं, अलंकार कहलाते हैं, ”अलंकरोती अलंकार” अलंकार का शाब्दिक अर्थ आभूषण या गहना है। काव्य की सुंदरता को बढ़ाने वाले धर्म काव्यांलकार कहलाते हैं। जिस प्रकार कोई कुरुप स्त्री अलंकारों को ग्रहण करके सुंदर नहीं बन जाती, उसी प्रकार रमणीयता के अभाव में अलंकारों को समूह किसी काव्य को प्रभावशाली व सजीव नहीं बना सकता।

काव्यलांकार के भेद

शब्दालंकार, अर्थालंकार

शब्दालंकार की परिभाषा- जहाँ किसी कथन में विशिष्ट शब्द-प्रयोग के कारण चमत्कार अथवा सौंदर्य आ जाता है, वहाँ शब्दालंकार होता हैं। अर्थात्‌ काव्य के धर्म, जो शब्दों के प्रयोग से कविता में चमत्कार उत्पन्न करते हैं और उसके सौंदर्य में वृद्धि करते हैं शब्दालंकार कहलाते हैं,

जैसे:-

1. वह बाँसुरी की धुनि कानि परै, कुल-कानि हियो तजि भाजति है।

उपर्युक्त काव्य-पंक्तियों में कानि शब्द दो बार आया है। पहले शब्द कानि का अर्थ है कान और दूसरे शब्द कानि का अर्थ है मर्यादा। इस प्रकार एक ही शब्द दो अलग-अलग अर्थ देकर चमत्कार उत्पन्न कर रहा है। इस प्रकार का शब्द-प्रयोग ’शब्दालंकार’ कहलाता हैं।

2. तुलसी मन रंजन रंजित अंजन नैन सुखजन जातक से ऊपर उद्ध्सत

पंक्ति में ’न’ वर्ण की आवृत्ति और रेखांकित शब्दों में ’अज’ शब्दांश के प्रयोग से श्रुति माधुर्य का संचार हुआ है। इससे काव्य-पंक्ति का प्रभाव बढ़ जाता है।

नीचे कुछ प्रमुख शब्दालंकारों का परिचय दिया जा रहा हैं-

प्रमुख शब्दालंकार

अनुप्रास शब्दालंकार की परिभाषा- जहाँ किसी वर्ण अथवा वर्णों के समूह की दो या दो से अधिक आवृति हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। अर्थात्‌ जहाँ वर्णों की आवृत्ति से चमत्कार उत्पन्न हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता हैं।

उदाहरण-

• कल कानन कुंडल मोर पखा, उर पे बनमाल बिराजति है।

इस काव्य-पंक्ति में ’क’ वर्ण की तीन बार और ’ब’ वर्ण की दो बार आवृत्ति होने से चमत्कार आ गया है।

• छोरटी है गोरटी या चोरटी अहीर की।

इस काव्य-पंक्ति में ’ट’ वर्ण की तीन बार और ट’ वर्ण की दो बार आवृत्ति होने से चमत्कार आ गया है।

• महराज महा महिमा आपकी

स्पष्टीकरण- उक्त वाक्य में ’म’ वर्ण की आवृति तीन बार हुई है।

या जहाँ एक ही व्यंजन वर्ण की आवृत्ति एक या एकाधिक बार होती है। जिसके प्रभाव से काव्य में संगीतात्मक ध्वनि और झंकार उत्पन्न होती हैं।

जैसे:-

कंकन किंकिन नुपूर धुनि सुनि।

कहत लखन सन राम हृदय गुनि।।

अनुप्रास के मुख्य भेद-

छेकानुप्रास, वृत्यनुप्रास, लाटानुप्रास

छेकानुप्रास की परिभाषा- जब किसी व्यंजन की एक बार निश्चित क्रम से आवृत्ति हो तो छेकानुप्रास अलंकार होता हैं।

जैसे-

करुणा-कलित हृदय में अब विकल रागिनी बजती।

इन हाहाकार स्वरों में वेदना असीमा गरजती।।

यहाँ ’क’ वर्ण की एक बार आवृत्ति हुई है।

वृत्यनुप्रास की परिभाषा-एक व्यंजन वर्ण की एक ही क्रम से एकाधिक बार आवृत्ति होने पर वृत्यनुप्रास होता है।

उदाहरण-

तरनि-तनुजा-तट तमाल तरुवर बहु छाये।

यहाँ ’त’ वर्ण की अनेक बार आवृत्ति हुई हैं।

Answered by Shivi22k
1

Answer:

अनुप्रास अलंकार

Explanation:

'स' शब्द कई बार आया है

Similar questions