viraam chinh kitne prakar ke hote hai
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विराम चिन्हों के प्रकार या भेद—:
हिन्दी में प्रयुक्त विराम चिह्न निम्नलिखित है-
●पूर्ण विराम (।)
किसी वाक्य के अंत में पूर्ण विराम चिन्ह लगाने का अर्थ होता है कि वह वाक्य खत्म हो गया है। यानी जहाँ एक बात पूरी हो जाये या वाक्य समाप्त हो जाये वहाँ पूर्ण विराम ( । ) चिह्न लगाया जाता है। पूर्ण विराम (।) का प्रयोग प्रश्नसूचक और विस्मयादि सूचक वाक्यों को छोड़कर बाकि सभी प्रकार के वाक्यों के अंत में किया जाता है।
जैसे —
पढ़ रहा हूँ।
तुम जा रहे हो।
राम स्कूल से आ रहा है।
●अर्द्ध विराम (;)
जब किसी वाक्य को कहते हुए बीच में हल्का सा विराम लेना हो पर वाक्य को खत्म न किया जाये तो वहाँ पर अर्द्ध विराम (;) चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। यानी जहाँ अल्प विराम से कुछ अधिक ठहरते है तथा पूर्ण विराम से कम ठहरते है, वहाँ अर्द्ध विराम का चिह्न ( ; ) लगाया जाता है।
जैसे —
यह घड़ी ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगी; यह बहुत सस्ती है।
राम तो अच्छा लड़का है; किन्तु उसकी संगत कुछ ठीक नहीं है।
कल रविवार है; छुट्टी का दिन है; आराम मिलेगा।
●अल्प विराम (,)
जब किसी वाक्य को प्रभावी रूप से कहने के लिए वाक्य में अर्द्ध विराम (;) से ज्यादा परन्तु पूर्ण विराम (।) से कम विराम लेना हो तो वहां अल्प विराम (,) चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जहाँ थोड़ी सी देर रुकना पड़े, वहाँ अल्प विराम चिन्ह (Alp Viram) का प्रयोग करते हैं ।
जैसे —
सुनील, जरा इधर आना।
राम, सीता और लक्ष्मण जंगल गए ।
अल्प विराम का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है-
जहाँ किसी व्यक्ति को संबोधित किया जाय, वहाँ अल्पविराम का चिह्न लगता है। जैसे- प्रिय महराज, मैं आपका आभारी हूँ।
अंको को लिखते समय भी अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है। जैसे- — 1, 2, 3, 4, 5, 6 आदि।
‘हाँ’ और ‘नहीं’ के बाद — नहीं, यह काम नहीं हो पाएगा।
जहाँ शब्दों को दो या तीन बार दुहराया जाय, वहाँ अल्पविराम का प्रयोग होता है। जैसे- वह दूर से, बहुत दूर से आ रहा है।
तारीख और महीने का नाम लिखने के बाद — 2 अक्टूबर, सन् 1869 ई० को गाँधीजी का जन्म हुआ।
●प्रश्न चिन्ह (?)
प्रश्न चिन्ह (?) का प्रयोग प्रश्नवाचक वाक्यों के अंत में किया जाता है । अर्थात जिस वाक्य में किसी प्रश्न (सवाल) के पूछे जाने के भाव की अनुभूति हो वहां वाक्य के अंत में प्रश्न चिन्ह (?) का प्रयोग होता है।
यानी जहाँ बातचीत के दौरान जब किसी से कोई बात पूछी जाती है अथवा कोई प्रश्न पूछा जाता है, तब वाक्य के अंत में प्रश्नसूचक-चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे —
ताजमहल किसने बनवाया ?
तुम कहाँ जा रहे हो ?
यह तो तुम्हारा घर नहीं है ?
●उप विराम (अपूर्ण विराम) (:)
जब किसी शब्द को अलग दर्शना हो तो वहां उप विराम (अपूर्ण विराम) (:) का प्रयोग किया जाता है।अर्थात जहाँ वाक्य पूरा नहीं होता, बल्कि किसी वस्तु अथवा विषय के बारे में बताया जाता है, वहाँ अपूर्ण विराम-चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
यानी जब किसी कथन को अलग दिखाना हो तो वहाँ पर उप विराम (Up Viram) का प्रयोग करते हैं ।
जैसे —
प्रदूषण : एक अभिशाप ।
उदाहरण : राम घर जाता है।
कृष्ण के अनेक नाम है : मोहन, गोपाल, गिरिधर आदि।
●विस्मयबोधक चिन्ह (!) या आश्चर्य चिन्ह
विस्मयबोधक चिन्ह का प्रयोग हर्ष, विवाद, विस्मय, घृणा, आश्रर्य, करुणा, भय इत्यादि का बोध कराने के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे —
वाह! क्या आलिशान घर है।
रे! तुम यहां।
ओह! यह तो उसके साथ बुरा हुआ।
छी! कितनी गंदगी है यहाँ।
अच्छा! ऐसा कहा उस पाखण्डी व्यक्ति ने तुमसे।
शाबाश! मुझे तुमसे यही उम्मीद थी।
हे भगवान! ये क्या अनर्थ कर दिया तुमने?
●निर्देशक चिन्ह (डैश) (-) या संयोजक चिन्ह या सामासिक चिन्ह
निर्देशक चिन्ह (-) जिसे संयोजक चिन्ह या सामासिक चिन्ह भी कहा जाता है, कुछ इसे रेखा चिन्ह भी कहते हैं। विषय, विवाद, सम्बन्धी, प्रत्येक शीर्षक के आगे, उदाहरण के पश्चात, कथोपकथन के नाम के आगे किया जाता है
किसी के द्वारा कही बात को दर्शाने के लिए
जैसे —
तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा – सुभाष चन्द्र बोस
अध्यापक ― तुम जा सकते हो ।
किसी शब्द की पुनरावत्ति होने पर अर्थात एक ही शब्द के दो बार लिखे जाने पर उनके मध्य (बीच में) संयोजक चिन्ह (-) का प्रयोग होता है।
दो-दो हाथ हो जायें।
कभी-कभी में ख्यालों में खो सा जाता हूँ।