Visarga Sandhi kitne Prakar ki hoti hai
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विसर्ग (:) के बाद स्वर या व्यंजन आने पर विसर्ग में जो विकार होता है उसे विसर्ग-संधि कहते हैं। जैसे- मनः + अनुकूल = मनोनुकूल
(क) विसर्ग के पहले यदि ‘अ’ और बाद में भी ‘अ’ अथवा वर्गों के तीसरे, चौथे पाँचवें वर्ण, अथवा य, र, ल, व हो तो विसर्ग का ओ हो जाता है। जैसे -
मनः + अनुकूल = मनोनुकूल ; अधः + गति = अधोगति ; मनः + बल = मनोबल
(ख) विसर्ग से पहले अ, आ को छोड़कर कोई स्वर हो और बाद में कोई स्वर हो, वर्ग के तीसरे, चौथे, पाँचवें वर्ण अथवा य्, र, ल, व, ह में से कोई हो तो विसर्ग का र या र् हो जाता है। जैसे -
निः + आहार = निराहार ; निः + आशा = निराशा निः + धन = निर्धन
(ग) विसर्ग से पहले कोई स्वर हो और बाद में च, छ या श हो तो विसर्ग का श हो जाता है। जैसे -
निः + चल = निश्चल ; निः + छल = निश्छल ; दुः + शासन = दुश्शासन
(घ) विसर्ग के बाद यदि त या स हो तो विसर्ग स् बन जाता है। जैसे -
नमः + ते = नमस्ते ; निः + संतान = निस्संतान ; दुः + साहस = दुस्साहस
(ङ) विसर्ग से पहले इ, उ और बाद में क, ख, ट, ठ, प, फ में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग का ष हो जाता है। जैसे -
निः + कलंक = निष्कलंक ; चतुः + पाद = चतुष्पाद ; निः + फल = निष्फल
(च) विसर्ग से पहले अ, आ हो और बाद में कोई भिन्न स्वर हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है। जैसे -
निः + रोग = निरोग ; निः + रस = नीरस
(छ) विसर्ग के बाद क, ख अथवा प, फ होने पर विसर्ग में कोई परिवर्तन नहीं होता। जैसे -
अंतः + करण = अंतःकरण
(क) विसर्ग के पहले यदि ‘अ’ और बाद में भी ‘अ’ अथवा वर्गों के तीसरे, चौथे पाँचवें वर्ण, अथवा य, र, ल, व हो तो विसर्ग का ओ हो जाता है। जैसे -
मनः + अनुकूल = मनोनुकूल ; अधः + गति = अधोगति ; मनः + बल = मनोबल
(ख) विसर्ग से पहले अ, आ को छोड़कर कोई स्वर हो और बाद में कोई स्वर हो, वर्ग के तीसरे, चौथे, पाँचवें वर्ण अथवा य्, र, ल, व, ह में से कोई हो तो विसर्ग का र या र् हो जाता है। जैसे -
निः + आहार = निराहार ; निः + आशा = निराशा निः + धन = निर्धन
(ग) विसर्ग से पहले कोई स्वर हो और बाद में च, छ या श हो तो विसर्ग का श हो जाता है। जैसे -
निः + चल = निश्चल ; निः + छल = निश्छल ; दुः + शासन = दुश्शासन
(घ) विसर्ग के बाद यदि त या स हो तो विसर्ग स् बन जाता है। जैसे -
नमः + ते = नमस्ते ; निः + संतान = निस्संतान ; दुः + साहस = दुस्साहस
(ङ) विसर्ग से पहले इ, उ और बाद में क, ख, ट, ठ, प, फ में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग का ष हो जाता है। जैसे -
निः + कलंक = निष्कलंक ; चतुः + पाद = चतुष्पाद ; निः + फल = निष्फल
(च) विसर्ग से पहले अ, आ हो और बाद में कोई भिन्न स्वर हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है। जैसे -
निः + रोग = निरोग ; निः + रस = नीरस
(छ) विसर्ग के बाद क, ख अथवा प, फ होने पर विसर्ग में कोई परिवर्तन नहीं होता। जैसे -
अंतः + करण = अंतःकरण
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