Vishv shanti ki maang sarvadhik prasangik hai, is tathya par apne vichaar likho
Answers
आज संसार में चारों तरफ अंशाति का वातावरण व्याप्त है। लोग धर्म, रंग, वर्ण, जाति, स्वतंत्रता या अधिकारों को पाने के लिए लड़ते रहते हैं। कोई शक्ति के मद में चूर है, तो कोई स्वतंत्रता के नाम पर मरने-मारने को तैयार। स्थान-स्थान पर किसी न किसी विषय को लेकर विवाद के बादल गहराते रहते हैं। बस कारण चाहिए लड़ने के लिए। इसी श्रृंखला की सबसे प्रमुख कड़ी आतंकवाद है। यह विश्व-शांति के मार्ग का सबसे बड़ा बाधक है। आतंकवादी आज़ादी, श्रेष्ठता और अधिकार के नाम पर सारे विश्व में आतंक फैलाए हुए हैं। इनके निशाने पर हज़ारों मासूम लोग हर वर्ष मौत की बलिवेदी पर चढ़ जाते हैं। कभी यह दूसरों के हाथ की कटपुतली बनते हैं, तो कभी स्वयं अधिकारों के लिए लड़ते नज़र आते हैं। कई देश विश्व-शांति के लिए प्रयासरत्त हैं परन्तु आतंकवाद उनके इन प्रयासों को विफल बना देते हैं।
Explanation:
विश्वबंधुता अर्थात संपूर्ण विश्व के लोगों में एक - दूसरे के प्रति भाईचारे का भाव , चाहे वह व्यक्ति किसी भी जाति , धर्म अथवा देश का हो । विश्वबंधुता के स्थान पर आज राष्ट्रवाद की भावना अधिक बलवती हो चुकी है । परिणामानुसार संपूर्ण विश्व धीरे - धीरे विनाश की ओर बढ़ता जा रहा है । लोगों में इंसानियत से अधिक अपनी जाति , धर्म व देश के प्रति निष्ठा दिखाई दे रही है , जिसका सीधा व प्रतिकूल प्रभाव ' वसुधैव कुटुम्बकम् ' की भावना पर पड़ रहा है । सभी अपने जाति , धर्म व देश को सर्वश्रेष्ठ साबित करने की होड़ में लग गए हैं । आज एकदूसरे से बड़ा बनने की होड़ को खत्म कर प्रेम की राह पर चलने के लिए विश्व के सभी राष्ट्रों व नागरिकों को आगे आने की बहुत आवश्यकता है । प्रेम व भाईचारे को इसी भावना को जागृत कर हम विश्व के विनाश को रोक सकते हैं । अत : वर्तमान युग में विश्व शांति को माँग सर्वाधिक प्रासंगिक व अत्यधिक आवश्यक है ।