vishva bandhuta par geet
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vishva bandhuta par geet
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अपना दिल पेश करूं, अपनी वफा पेश करूं कुछ समझ में नहीं आता तुझे क्या पेश करुं
जो तेरे दिल को लुभाए वो अदा मुझ में नहींक्यों न तुझको कोई तेरी ही अदा पेश करुं
साहिर लुधियानवी की कहीं ये पंक्तियां एक बेचैन आशिक की ईमानदारी का कलाम हैं. वो अपनी माशूक को कोई तोहफा पेश करना चाहता है, पर उलझन में है कि ऐसा क्या दे जो उसे पसंद आए. प्रेम में पड़े लोगों के सामने कभी न कभी तो ऐसा वाकया जरूर पेश आता है.
लेकिन अगर एक प्रेमी एक शायर भी हो तो इस मुसीबत का हल जरा आसान हो जाता है. शायर या कवि की कलम में इतनी ताकत होती कि वो पूरी कायनात बना सकता है, फिर एक तोहफे की क्या हस्ती.
कहते हैं कि अगर किसी शायर को आप से मोहब्बत हो जाए तो आप कभी मर नहीं सकते.
वेलेंटाइंस डे हो या विश्व कविता दिवस, एक शायर के दिलकश कलाम या किसी कवि की हृदयस्पर्शी कविता से बेहतर कुछ भी नहीं.
इंसान के दुनिया में आने के साथ ही प्रेम दुनिया में आया और भाषा के बनने के साथ कविता. तो यहां पेश हैं आपके लिए हिंदी के सभी कालों से ली गईं कुछ प्रतिनिधि प्रेम कविताएं.
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