Vishwa shaanti ke upar Koee kavita padhe aur sandarb prasang sahit vyakhya keejiye kavita ke kavi ya kaviyitry K bare me do sau words ka vivarn
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सोचता हूँ
जब कभी सरहदों पर सिपाहियों का न कोई डेरा होगा,
तब दुश्मनों के सिर पर सेहरा होगा,
तब हमें घूट घूट कर मरना होगा,
अगले ही पल सोचता हूँ
यदि हटा लें चीन पाकिस्तान अन्य मुल्क भी सेनायें अपनी
तब न कोई सरहदों की बेड़ियाँ होंगी
हर सुबह खुशहाल सवेरा होगा,
न सैनिक मरेंगे
न बम बनेंगे
ये मुल्क भी अपना होगा
वो मुल्क भी अपना होगा।
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