vividhta hamare jivan ko samridhh banati he kyse?
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Explanation:
जाति व्यवस्था असमानता का एक और उदाहरण है। इस व्यवस्था में समाज को अलग-अलग समूहों में बाँटा गया। इस बँटवारे का आधार था कि लोग किस-किस तरह का काम करते हैं। लोग जिस जाति में पैदा होते थे, उसे बदल नहीं सकते थे। उदाहरण के लिए अगर आप कुम्हार के घर में पैदा हो गईं तो आपकी जाति कुम्हार ही होती और आप बस वही बन सकती थीं। कोई व्यक्ति जाति से जुड़ा अपना पेशा भी नहीं बदल सकता था, इसलिए उस ज्ञान के अलावा किसी अन्य ज्ञान को हासिल करना जरूरी नहीं समझा जाता था।इससे गैर-बराबरी पैदा हुई।
भारत में विविधता
भारत विविधताओं का देश है। हम विभिन्न भाषाएँ बोलते हैं। विभिन्न प्रकार का खाना खाते हैं, अलग-अलग त्योहार मनाते हैं और भिन्न-भिन्न धर्मों का पालन करते हैं। लेकिन गहराई से सोचें तो वास्तव में हम एक ही तरह की चीजें करते हैं केवल हमारे करने के तरीके अलग हैं।
हम विविधता को कैसे समझें ?
लोग जब नई जगह में बसना शुरू करते थे तो उनके रहन-सहन में थोड़ा बदलाव आ जाता था। कुछ चीजें वे नई जगह की अपना लेते थे और कुछ चीजों में वे पुराने ढर्रे पर ही चलते रहते थे। इस तरह उनकी भाषा, भोजन, संगीत, धर्म आदि में नए और पुराने का मिश्रण होता रहता था। उनकी संस्कृति और नई जगह की संस्कृति में आदान-प्रदान होता और धीरे-धीरे एक मिश्रित यानी मिली-जुली संस्कृति उभरती।
ठीक इसी प्रकार लोग अलग-अलग तरह की भौगोलिक स्थितियों से किस प्रकार सामंजस्य बैठाते हैं, उससे भी विविधता उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिए समुद्र के पास रहने में और पहाड़ी इलाकों में रहने में बड़ा फ़र्क है। न केवल वहाँ के लोगों के कपड़ों और खान-पान की आदतों में फ़र्क होगा, बल्कि जिस तरह का काम वे करेंगे, वे भी अलग होंगे। शहरों में अक्सर लोग यह भूल जाते हैं कि उनका जीवन उनके भौतिक वातावरण से किस तरह गहराई से जुड़ा हुआ है। ऐसा इसलिए कि शहरों में लोग विरले ही अपनी सब्जी या अनाज उगाते हैं। वे इन चीजों के लिए बाजार पर ही निर्भर रहते हैं।