vocal Mein swelling se bhi gale ka cancer ho sakta hai
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मुंह, गर्दन व सिर का कैंसर, अन्य कैंसरों की तुलना में तेजी से पांव पसार रहा है। फिलहाल भारत में इसकी जानकारी भी कम है। पर अच्छी बात यह है कि इन कैंसर से न सिर्फ पूरी तरह बचा जा सकता है, बल्कि समय पर सचेत रह कर शुरुआती स्तर पर ही इन्हें बढ़ने से रोका जा सकता है, बता रहे हैं जयकुमार सिंह
हमारा शरीर बहुत-सी छोटी-छोटी इकाइयों से बना है, जिन्हें हम कोशिकाएं कहते हैं। इन कोशिकाओं का जीवनकाल बहुत कम होता है, इसलिए शरीर में इनके टूटने और नए बनने की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। जब किन्हीं कारणों से इस प्रक्रिया में बाधा आती है तो ये कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ना शुरू कर देती हैं और धीरे-धीरे गांठ का रूप धारण कर लेती हैं। यही कैंसर है। भारत में सौ से ज्यादा प्रकार के कैंसर हैं, जिसमें स्तन, फेफड़ों और सर्वाइकल कैंसर के बारे में सबसे ज्यादा सुना जाता है। पर मुंह, सिर और गले के कैंसर के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। भारत में इसकी जानकारी रखने वालों की संख्या बहुत कम है, पर इसके शिकार बने लोगों की संख्या कम नहीं है।
जर्नल ऑफ हेड एंड नेक सजर्री में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार सिर और गले के कैंसर के मामले में एशिया सबसे आगे है। वैश्विक स्तर पर इस बीमारी से ग्रसित लोगों में 57.5 प्रतिशत एशियाई मुल्क के रहने वाले हैं। खासकर भारत में सिर और गले का कैंसर तेजी से अपने पांव पसार रहा है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट के अनुसार हर साल इस बीमारी से ग्रसित 2 से 2.5 लाख नए मामले सामने आते हैं। विश्व के एक तिहाई पीड़ित हमारे देश में ही हैं। कैंसर के करीब 70% मामलों में मरीज की अनुचित जीवनशैली और सामाजिक व्यवहार मुख्य रूप से जिम्मेदार होता है।