Hindi, asked by RitaVorster4777, 1 year ago

Vrutaan lekhan in hindi

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Answered by shweta77
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हिन्दी के यात्रा-वृत्तान्त : प्रकृति और प्रदेय


    मनुष्य का चाहे बचपना हो अथवा युवावस्था उसकी प्रवृत्ति सदैव से ही घुमक्कड़ी रही है। वह अपने वाल्यकाल से लेकर प्रौढ़ावस्था तक कहीं न कहीं भ्रमण करने की चेष्टा किया करता है। इस भ्रमण में जो भी पात्र और विचार सम्पर्क में आते हैं वह उसक मानस-पटल पर अंकित हो जाते हैं। जब वह उन विचारों को लिपिबद्ध करता है तब वहीं से यात्रा-साहित्य का जन्म होता है। यात्रा-साहित्य-सृजन के मूल में सर्जनकर्ता की प्रकृति के प्रति प्रेम और उसके दार्शनिक विचार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यात्रा-वृत्त लिखने वाले लेखक को वहां के नगर, मुहल्लों, रीति-रिवाजों, धार्मिक प्रवृत्तियों एवं उसकी ऐतिहासिकता का भी वर्णन पूर्ण दक्षता से करना होता है। इस प्रकार उस स्थान, जहां से यात्रा का सन्दर्भ जुड़ता है का चित्र पूर्ण रूपेण पाठक के मानस पटल पर उकेर देना सफल यात्रा-वृत्तान्त का परिचायक है। अतः यात्रा-वृत्तान्त का पाठक पूर्ण मनोयोग से उस स्थान के भौतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, दार्शनिक, ऐतिहासिक, भौगोलिक आदि सम्पूर्ण पक्षों से विधिवत् तादात्म्य स्थापित कर लेता है। महादेवी वर्मा के अनुसार- ‘‘संगीत थम जाने पर गायक जैसे भैरो के वाद्य और अपने गीत के संगीत पर विचार करने लगता है वैसे ही यात्री अपनी यात्रा के संस्मरण दुहराता है। स्मृति के प्रकाश में अतीतकालीन यात्रा को सजीव कर देने का तत्त्व इस वर्णन को साहित्य का स्वरूप प्रदान करता है। पर्यटक के साथ पाठक भी अतीत में जी उठता है।’’3 






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