Hindi, asked by Sauviksantra, 7 months ago

vruttant lekhok on online shiksha divas celebration 2020​

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Answered by manya77778
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Answered by Anonymous
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शिक्षक दिवस- 5 सितम्बर 2020 पर विशेष
– ललित गर्ग-
भारत के राष्ट्रपति, महान दार्शनिक, शिक्षाशास्त्री डाॅ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस को 5 सितम्बर को पूरे देश में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति घोषित की गयी है, इसको लेकर देश में शिक्षा एवं शिक्षक पर व्यापक चर्चा आरंभ हो गई है। भारत की नई शिक्षा नीति में शिक्षा व्यवस्था के अलावा शिक्षकों की योग्यता एवं गुरुता पर विशेष ध्यान दिया गया है। पूरे देश में ‘एक जैसे शिक्षक और एक जैसी शिक्षा’ पॉलिसी पर काम किया जाएगा। शिक्षक दिवस एक अवसर है जब हम इस वर्ष शिक्षा को परिष्कृत करनेे और जिम्मेदार व्यक्तियों का निर्माण करने में शिक्षकों के प्रयासों और कड़ी मेहनत की सराहना और स्वीकार करने के अवसर के रूप में यह दिवस मनायेंगे। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य एक छात्र की जिंदगी में शिक्षकों के महत्व को रेखांकित करना है। यह शिक्षकों के योगदान के प्रति आभार जताने के साथ उनकी धुंधलाती भूमिका पर गहन चिन्तन-मनन का दिन भी है।
वर्तमान समय में शिक्षक की भूमिका भले ही बदली हो, लेकिन उनका महत्व एवं व्यक्तित्व-निर्माण की जिम्मेदारी अधिक प्रासंगिक हुई है। क्योंकि सर्वतोमुखी योग्यता की अभिवृद्धि के बिना युग के साथ चलना और अपने आपको टिकाए रखना अत्यंत कठिन होता है। फौलाद-सा संकल्प और सब कुछ करने का सामथ्र्य ही व्यक्तित्व में निखार ला सकता है। शिक्षक ही ऐसे व्यक्तित्वों का निर्माण करते हैं। महात्मा गांधी के अनुसार सर्वांगीण विकास का तात्पर्य है- आत्मा, मस्तिष्क, वाणी और कर्म-इन सबके विकास में संतुलन बना रहे। स्वामी विवेकानंद के अनुसार सर्वांगीण विकास का अर्थ है- हृदय से विशाल, मन से उच्च और कर्म से महान। सर्वांगीण व्यक्तित्व के विकास हेतु शिक्षक आचार, संस्कार, व्यवहार और विचार- इन सबका परिमार्जन करने का प्रयत्न करते रहते थे। इन्हीं सब चर्चाओं के मध्य हम देखेंगे कि 1986 की शिक्षा नीति में ऐसी क्या कमियाँ रह गई थीं जिन्हें दूर करने के लिये नई राष्ट्रीय शिक्षा नति को लाने की आवश्यकता पड़ी। साथ ही क्या यह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति उन उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम होगी जिसका स्वप्न महात्मा गांधी और स्वामी विवेकानंद ने देखा था? सबसे पहले ‘शिक्षा’ क्या है इस पर गौर करना आवश्यक है। शिक्षा का शाब्दिक अर्थ होता है सीखने एवं सिखाने की क्रिया परंतु अगर इसके व्यापक अर्थ को देखें तो शिक्षा किसी भी समाज में निरंतर चलने वाली सामाजिक प्रक्रिया है जिसका कोई उद्देश्य होता है और जिससे मनुष्य की आंतरिक शक्तियों का विकास तथा व्यवहार को परिष्कृत किया जाता है। शिक्षा द्वारा ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि कर मनुष्य को योग्य नागरिक बनाया जाता है।
यह सर्वविदित है कि इंसान के जीवन को बल्कि समूची दुनिया को सँवारने में शिक्षक एक बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सफलता प्राप्ति के लिये वे हर विद्यार्थी की कई प्रकार से मदद करते हैं जैसे ज्ञान, कौशल के स्तर, विश्वास आदि को बढ़ाते हैं तथा जीवन को सही आकार में ढ़ालते है। अतः अपने निष्ठावान शिक्षक के लिये हर विद्यार्थी की भी कुछ जिम्मेदारी बनती है। हम सभी को एक आज्ञाकारी विद्यार्थी के रूप में अपने शिक्षक का दिल से अभिनंदन करने की जरूरत है और जीवनभर अध्यापन के अपने निःस्वार्थ सेवा के लिये साथ ही अपने अनगिनत विद्यार्थियों के जीवन को सही आकार देने के लिये उन्हें धन्यवाद देना चाहिये। ताकि शिक्षक समाज के प्रति अपनी विशिष्ट जिम्मेदारी का निर्वाह पूरी तत्परता के साथ करते रहें। इस मौके पर देशभर में छात्र-छात्राओं द्वारा शिक्षकों के अपने जीवन में योगदान को याद किया जाता है। उनके योगदान और प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया कहा जाता है। यानि यह दिन है अपने शिक्षकों को थैंक्यु कहने और उनके योगदान के प्रति आभार जताने का।
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