➡️➡️➡️➡️➡️➡️Vyashti Samshti kya hai?✳️✳️✳️✳️✳️✳️✳️✳️✳️✳️✳️
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✳️समष्टि अर्थशास्त्र अर्थशास्त्र की वह शाखा है जो सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर एक अर्थव्यवस्था से सम्बंधित आर्थिक तथ्यों जैसे - पूर्ण रोजगार की समस्या, सकल राष्ट्रीय उत्पाद, बचत, निवेश
, समग्र उपभोग आदि का अध्ययन कराता है |
✳️व्यष्टि अर्थशास्त्र अर्थशास्त्र की वह शाखा है जो व्यक्तिगत इकाईयों जैसे एक उपभोक्ता, एक उत्पादक से सम्बंधित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करता है |
, समग्र उपभोग आदि का अध्ययन कराता है |
✳️व्यष्टि अर्थशास्त्र अर्थशास्त्र की वह शाखा है जो व्यक्तिगत इकाईयों जैसे एक उपभोक्ता, एक उत्पादक से सम्बंधित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करता है |
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सामान्य रूप से साधना के दो प्रकार होते हैं –
१. व्यष्टि साधना : जब हम व्यष्टि साधना की बात करते हैं तब उसका तात्पर्य व्यक्तिगत आध्यात्मिक उन्नति को गति प्रदान करने के लिए किए जाने वाले प्रयासों से होता है । देवता का नामजप करना, आध्यात्मिक ग्रंथ पढना, व्यष्टि साधना के अंग हैं । यहां पर जो व्यक्ति व्यष्टि साधना करता है उसे ही साधना से लाभ होता है ।
२. समष्टि साधना :समष्टि साधना का अर्थ है संपूर्ण समाज की आध्यात्मिक उन्नति हेतु किए जाने वाले प्रयास । उदा. जब साधक सत्संग के आयोजन के लिए अपना समय देता है तथा उसके लिए प्रयत्न करता है, तब उसे समष्टि साधना कहते हैं ।
एक साधक को व्यष्टि तथा समष्टि साधना के मध्य सामंजस्य बनाए रखना आवश्यक है । दीपक के उदाहरण से इस सामंजस्य का महत्त्व और भी स्पष्ट होगा ।
दीपक में जो तेल है वह व्यष्टि साधना का सूचक है तथा उसकी लौ समष्टि साधना की सूचक है । यदि दीपक में तेल की मात्रा अल्प होगी, तो हमें प्रकाश भी अल्प मिलेगा । अत: हमारी व्यष्टि साधना की नींव ठोस होनी चाहिए क्योंकि उसीसे हमें समष्टि साधना हेतु उर्जा प्राप्त होती है । (दीपक के जलने से तेल घटता है, परंतु समष्टि साधना से हमारी व्यष्टि साधना घटती नहीं है, अपितु समष्टि साधना हमारी व्यष्टि साधना को और बढाती है ।)
१. व्यष्टि साधना : जब हम व्यष्टि साधना की बात करते हैं तब उसका तात्पर्य व्यक्तिगत आध्यात्मिक उन्नति को गति प्रदान करने के लिए किए जाने वाले प्रयासों से होता है । देवता का नामजप करना, आध्यात्मिक ग्रंथ पढना, व्यष्टि साधना के अंग हैं । यहां पर जो व्यक्ति व्यष्टि साधना करता है उसे ही साधना से लाभ होता है ।
२. समष्टि साधना :समष्टि साधना का अर्थ है संपूर्ण समाज की आध्यात्मिक उन्नति हेतु किए जाने वाले प्रयास । उदा. जब साधक सत्संग के आयोजन के लिए अपना समय देता है तथा उसके लिए प्रयत्न करता है, तब उसे समष्टि साधना कहते हैं ।
एक साधक को व्यष्टि तथा समष्टि साधना के मध्य सामंजस्य बनाए रखना आवश्यक है । दीपक के उदाहरण से इस सामंजस्य का महत्त्व और भी स्पष्ट होगा ।
दीपक में जो तेल है वह व्यष्टि साधना का सूचक है तथा उसकी लौ समष्टि साधना की सूचक है । यदि दीपक में तेल की मात्रा अल्प होगी, तो हमें प्रकाश भी अल्प मिलेगा । अत: हमारी व्यष्टि साधना की नींव ठोस होनी चाहिए क्योंकि उसीसे हमें समष्टि साधना हेतु उर्जा प्राप्त होती है । (दीपक के जलने से तेल घटता है, परंतु समष्टि साधना से हमारी व्यष्टि साधना घटती नहीं है, अपितु समष्टि साधना हमारी व्यष्टि साधना को और बढाती है ।)
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