Vyayam ka mahatva pur samvad lekhan
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वयायाम का अर्थ है – शरीर को इस तरह तानना सिकोड़ना कि वह सही स्थिति में कार्य कर सके । जिस प्रकार अच्छे भोजन से शरीर को पोषण मिलता है, उसी प्रकार से व्यायाम से शरीर लंबे समय तक उचित दशा में बना रहता है । व्यायाम से शरीर को सुगठित, तंदुरुस्त और फुर्तीला बनाया जा सकता है ।
आजकल अधिकतर काम मशीनों की सहायता से होते हैं । मशीनें आदमी को एक ही दशा में कार्य करते रहने के लिए विवश कर देती हैं । लोग बद कक्षों में बैठे या खड़े रहते हैं । यह अस्वास्थ्यप्रद स्थिति मानसिक तनाव और शारीरिक बीमारियों को जन्म देती है । परंतु प्रतिदिन व्यायाम किया जाए तो इस स्थिति में बदलाव लाया जा सकता है । हर दिन एक घंटे के व्यायाम से आदमी भिन्न-भिन्न प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक व्याधियों से दूर रह सकता है । इतना ही नहीं, वह मानसिक चिंता से मुक्त होकर, शारीरिक शक्ति एवं स्कूर्ति से युक्त होकर अपने दैनिक कार्यों को भली-भांति संचालित कर सकता है ।
आजकल अधिकतर काम मशीनों की सहायता से होते हैं । मशीनें आदमी को एक ही दशा में कार्य करते रहने के लिए विवश कर देती हैं । लोग बद कक्षों में बैठे या खड़े रहते हैं । यह अस्वास्थ्यप्रद स्थिति मानसिक तनाव और शारीरिक बीमारियों को जन्म देती है । परंतु प्रतिदिन व्यायाम किया जाए तो इस स्थिति में बदलाव लाया जा सकता है । हर दिन एक घंटे के व्यायाम से आदमी भिन्न-भिन्न प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक व्याधियों से दूर रह सकता है । इतना ही नहीं, वह मानसिक चिंता से मुक्त होकर, शारीरिक शक्ति एवं स्कूर्ति से युक्त होकर अपने दैनिक कार्यों को भली-भांति संचालित कर सकता है ।
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