vyayam se labh par nibandh in hindi
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मनुष्य की दशा उस घड़ी के समान है ,जो यदि ठीक तरह से रखी जाए, तो सो वर्ष तक काम दे सकती है और यदि लापरवाही बरती जाए तो शीघ्र बिगड़ जाती है। व्यक्ति को अपने शरीर को स्वस्थ तथा काम करने योग्य बनाये रखने के लिए व्यायाम आवश्यक है। व्यायाम और स्वास्थ्य का चोली दामन का साथ है। व्यायाम से न केवल हमारा शरीर पुष्ट होता है। अपितु मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहता है। रोगी शरीर मे स्वस्थ मन निवास नही कर सकता है। यदि मन स्वस्थ न हो, तो विचार भी स्वस्थ नही होते। जब विचार स्वस्थ नही होंगे, तो कर्म की साधना केसे होगी। कर्तव्यों का पालन कैसे होगा शरीर को पुष्ट चुस्त यवं बलिष्ट बनाने के लिए व्यायाम आवशयक है।
व्यायाम न करने वाले मनुष्य आलसी तथा अकम्रण्य बन जाते है। अलस्य को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कहा गया है। आलसी व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में असफल होते है तथा निराशा में डूबे रहते है। व्यायाम के अभाव में शरीर बोझ सा प्रतीत होता है। क्योंकि यह बेडौल होकर तरह तरह के रोगों को निमंत्रण देने लगता है, ‘मोटापा’ अपने आप मे एक बीमारी है। जो ह्रदय रोग, डायबिटीज, तनाव तथा रक्त चाप जैसे बीमारियों को जन्म देती है।
व्यायाम के प्रकार:- खेलना कूदना प्रातः भृमण दौड़ना तैराकी, घुड़सवारी, दण्डबेठक लगाना ,योगासन आदि प्रमुख व्यायाम है। जिनमे प्रातः भृमण अत्यन्त उपयोगी है। जिस प्रकार किसी मशीन को सुचारू रूप से चलाने के लिए उसमे तेल आदि डालना अनिवार्य है। इसी प्रकार शरीर मे ताजगी तथा गतिशीलता बनाये रखने के लिए प्रातः भृमण तथा यौगिक क्रियाएं अत्यंत उपयोगी है। तैराकी , खेल कूद तथा घुड़सवारी भी उत्तम व्ययाम है।
व्यायाम के लाभ:- व्यायाम करने से शरीर मे रक्त का संचार बढ़ता है, बुढापा जल्दी आक्रमण नही करता, शरीर हल्का-फुल्का बना रहता है , चुस्त गतिशील बना रहता है । शरीर मे काम करने की क्षमता बनी रहती है तथा व्यक्ति कर्मठ बनता है। जो व्यक्ति नियमित रूप से व्यायाम करने वाला होगा, उसका जीवन उतना ही उल्लासपूर्ण तथा सुखी होगा। व्यायाम करने वाला व्यक्ति हँसमुख, आत्मविश्वासी , उत्साही तथा निरोग होता है
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