Hindi, asked by dangerwizard78451, 7 months ago

Wafadar nevla story in hindi written

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Answered by DisneyPrincess29
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Answer:

रामदास और सावित्री पति-पत्नी थे। उनके एक पुत्र था। उसका नाम महेश था। उन्होनें अपने घर मे एक नेवला पाल रखा था। महेश और नेवला एक-दूसरे से हिल मिल गए थे दोनो पक्के मित्र।

रामदास और सावित्री पति-पत्नी थे। उनके एक पुत्र था। उसका नाम महेश था। उन्होनें अपने घर मे एक नेवला पाल रखा था। महेश और नेवला एक-दूसरे से हिल मिल गए थे दोनो पक्के मित्र।एक दिन रामदास अपने खेत गया था। सावित्री भी किसी काम से बाहर गई थी। महेश पालने में गहरी नींद में सो रहा था। नेवला पालने के पास बैठ कर उसकी रखवाली कर रहा था।

रामदास और सावित्री पति-पत्नी थे। उनके एक पुत्र था। उसका नाम महेश था। उन्होनें अपने घर मे एक नेवला पाल रखा था। महेश और नेवला एक-दूसरे से हिल मिल गए थे दोनो पक्के मित्र।एक दिन रामदास अपने खेत गया था। सावित्री भी किसी काम से बाहर गई थी। महेश पालने में गहरी नींद में सो रहा था। नेवला पालने के पास बैठ कर उसकी रखवाली कर रहा था।एकाएक नेवले की नजर साँप पर पड़ी वह महेश के पालने की तरफ सरपट आ रहा था।

रामदास और सावित्री पति-पत्नी थे। उनके एक पुत्र था। उसका नाम महेश था। उन्होनें अपने घर मे एक नेवला पाल रखा था। महेश और नेवला एक-दूसरे से हिल मिल गए थे दोनो पक्के मित्र।एक दिन रामदास अपने खेत गया था। सावित्री भी किसी काम से बाहर गई थी। महेश पालने में गहरी नींद में सो रहा था। नेवला पालने के पास बैठ कर उसकी रखवाली कर रहा था।एकाएक नेवले की नजर साँप पर पड़ी वह महेश के पालने की तरफ सरपट आ रहा था।नेवले ने उछलकर साँप की गर्दन दबोच ली फिर तो साँप और नेवले में जमकर लड़ाई हुई। अंत में नेवले ने साँप को मार डाला।

रामदास और सावित्री पति-पत्नी थे। उनके एक पुत्र था। उसका नाम महेश था। उन्होनें अपने घर मे एक नेवला पाल रखा था। महेश और नेवला एक-दूसरे से हिल मिल गए थे दोनो पक्के मित्र।एक दिन रामदास अपने खेत गया था। सावित्री भी किसी काम से बाहर गई थी। महेश पालने में गहरी नींद में सो रहा था। नेवला पालने के पास बैठ कर उसकी रखवाली कर रहा था।एकाएक नेवले की नजर साँप पर पड़ी वह महेश के पालने की तरफ सरपट आ रहा था।नेवले ने उछलकर साँप की गर्दन दबोच ली फिर तो साँप और नेवले में जमकर लड़ाई हुई। अंत में नेवले ने साँप को मार डाला।थोड़ी देर में नेवले ने सावित्री को आते देखा। मालकिन का स्वागत करने के लिए वह दौड़कर दरवाजे पर जा पहँुचा। सावित्री नेवले के खून से सने मुँह को देख कर चकित रह गयी। उसे शंका हुई कि नेवले ने उसके बेटे को मार डाला। वह गुस्से से पागल हो गई। उसने बरामदे में पड़ा हुआ डंडा उठाया। और जोर से नेवले को इतना मारा कि नेवला तुंरत मर गया। इसके बाद दौड़ती हुई अंदर के कमरे में गई

रामदास और सावित्री पति-पत्नी थे। उनके एक पुत्र था। उसका नाम महेश था। उन्होनें अपने घर मे एक नेवला पाल रखा था। महेश और नेवला एक-दूसरे से हिल मिल गए थे दोनो पक्के मित्र।एक दिन रामदास अपने खेत गया था। सावित्री भी किसी काम से बाहर गई थी। महेश पालने में गहरी नींद में सो रहा था। नेवला पालने के पास बैठ कर उसकी रखवाली कर रहा था।एकाएक नेवले की नजर साँप पर पड़ी वह महेश के पालने की तरफ सरपट आ रहा था।नेवले ने उछलकर साँप की गर्दन दबोच ली फिर तो साँप और नेवले में जमकर लड़ाई हुई। अंत में नेवले ने साँप को मार डाला।थोड़ी देर में नेवले ने सावित्री को आते देखा। मालकिन का स्वागत करने के लिए वह दौड़कर दरवाजे पर जा पहँुचा। सावित्री नेवले के खून से सने मुँह को देख कर चकित रह गयी। उसे शंका हुई कि नेवले ने उसके बेटे को मार डाला। वह गुस्से से पागल हो गई। उसने बरामदे में पड़ा हुआ डंडा उठाया। और जोर से नेवले को इतना मारा कि नेवला तुंरत मर गया। इसके बाद दौड़ती हुई अंदर के कमरे में गईमहेश को सुरझित देख कर बड़ी खुशी हुई। उसकी नजर मरे हुए साँप पर पड़ी उसे अपनी गलती समझते देर नही लगी। वह विलाप करने लगी जिस विश्वाशपात्र नेवले ने उसके बेटे की जान बचाई थी, उसी को उसने मार डाला था। उसे अपार दुःख हुआ। मगर अब पश्चाताप करने से कोई फायदा नहीं था।

रामदास और सावित्री पति-पत्नी थे। उनके एक पुत्र था। उसका नाम महेश था। उन्होनें अपने घर मे एक नेवला पाल रखा था। महेश और नेवला एक-दूसरे से हिल मिल गए थे दोनो पक्के मित्र।एक दिन रामदास अपने खेत गया था। सावित्री भी किसी काम से बाहर गई थी। महेश पालने में गहरी नींद में सो रहा था। नेवला पालने के पास बैठ कर उसकी रखवाली कर रहा था।एकाएक नेवले की नजर साँप पर पड़ी वह महेश के पालने की तरफ सरपट आ रहा था।नेवले ने उछलकर साँप की गर्दन दबोच ली फिर तो साँप और नेवले में जमकर लड़ाई हुई। अंत में नेवले ने साँप को मार डाला।थोड़ी देर में नेवले ने सावित्री को आते देखा। मालकिन का स्वागत करने के लिए वह दौड़कर दरवाजे पर जा पहँुचा। सावित्री नेवले के खून से सने मुँह को देख कर चकित रह गयी। उसे शंका हुई कि नेवले ने उसके बेटे को मार डाला। वह गुस्से से पागल हो गई। उसने बरामदे में पड़ा हुआ डंडा उठाया। और जोर से नेवले को इतना मारा कि नेवला तुंरत मर गया। इसके बाद दौड़ती हुई अंदर के कमरे में गईमहेश को सुरझित देख कर बड़ी खुशी हुई। उसकी नजर मरे हुए साँप पर पड़ी उसे अपनी गलती समझते देर नही लगी। वह विलाप करने लगी जिस विश्वाशपात्र नेवले ने उसके बेटे की जान बचाई थी, उसी को उसने मार डाला था। उसे अपार दुःख हुआ। मगर अब पश्चाताप करने से कोई फायदा नहीं था।शिक्षा -बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय।

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