Wahspi karad kya hai
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वह प्रक्रिया, जिसके द्वारा जल गैस अवस्था में परिवर्तित होता है, वाष्पीकरण कहलाती
है। वाष्पीकरण की प्रक्रिया ओसांक अवस्था को छोड़कर प्रत्येक तापमान, स्थान व समय
में होती है, वाष्पीकरण की दर कई कारकों पर निर्भर करती है।
वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले कारक
जल की उपलब्धता – स्थल भागों की अपेक्षा जल भागों से वाष्पीकरण अधिक
होता है। यही कारण है कि वाष्पीकरण महाद्वीपों की तुलना में महासागरों पर
अधिक होता है।
तापमान – हम जानते हैं कि गर्म वायु ठंडी वायु की तुलना में अधिक नमी धारण
कर सकती है। अत: जब किसी वायु का तापमान अधिक होता है, वह अपने अन्दर
कम तापमान की तुलना में अधिक नमी धारण करने की स्थिति में होती है। यही
कारण है कि शीत काल की तुलना में ग्रीष्म काल में वाष्पीकरण
अधिक होता है, अत: गीले कपड़े सर्दियों की तुलना में गर्मियों में जल्दी सूख जाते
हैं।
वायु की नमी – यदि किसी वायु की सापेक्ष आद्रता अधिक है तो वह कम मात्रा
में अतिरिक्त नमी धारण कर सकती है। इसके विपरीत यदि सापेक्ष आद्रता कम
है तो अधिक मात्रा में अतिरिक्त नमी धारण कर सकती है। ऐसी स्थिति में
वाष्पीकरण अधिक तेजी से होगा। वायु की शुष्कता भी वाष्पीकरण की दर को तेज
करती है। वर्षा वाले दिनों में वायु में अधिक नमी होने के कारण गीले कपड़े देर
से सूखते हैं।
पवन – हवा भी वाष्पीकरण की दर को प्रभावित करती है। यदि वायु शांत है, तो
जलीय धरातल से लगी वायु वाष्पीकरण होते ही संतृप्त हो जाएगी। वायु के संतृप्त
होने पर वाष्पीकरण रूक जाएगा। यदि वायु गतिशील है तो वह संतृप्त वायु को
उस स्थान से हटा देती है उसके स्थान पर कम आदर््रता वाली वायु आ जाती है।
इससे वाष्पीकरण की प्रक्रिया फिर प्रारम्भ हो जाती है और तब तक होती रहती
है जब तक संतृप्त वायु पवन द्वारा हटायी जाती रहती है।
बादलों का आवरण – मेघाच्छादन सौर विकिरण में अवरोध डालता है और किसी
स्थान की वायु के तापमान को प्रभावित करता है। इस प्रकार यह अप्रत्यक्ष रूप
से वाष्पीकरण प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
Answer:
किसी तत्त्व या यौगिक का द्रव अवस्था से गैस अवस्था में परिवर्तन वाष्पीकरण कहलाता है। वाष्पीकरण दो प्रकार का होता है- वाष्पन, तथा क्वथन।