wan a poem on birds in hindi
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चिड़िया चहचहाती है
चिड़िया गाती जाती है
दाना चुगती जाती है
मुफ्त संगीत सुनाती है |
फुर्र-फुर्र देखो उड़ ये जाती
सुबह-सवेरे काम पे जाती,
शाम ढले वो घर को आती |
घोंसला-घरोंदा बनाती है
दूर-दूर से दाना चुगती
बच्चों को खिलाती है |
धमा-चौकड़ी मचाती है
कभी दीवार, तो कभी डाल पे
फुदक-फुदक इठलाती है |
काली-सफ़ेद, रंग-बिरंगी
चिड़िया कितनी निराली है
चूं, चूं, चूं, चूं, करती फिरती
चिड़िया भोली-भाली है |
नींद से मुझे उठाती है
कोयल हो या कबूतर हो
चिड़िया मुझको भाती है |
खूब खुश हो जाते
काश कि वो भी पंछी होते—
तो चिड़िया की तरह उड़ जाते |
कान में मिसरी घोल है देती
सब को चिड़िया खुश कर देती
चूं, चूं, चूं, चूं बोल जो देती |
मानो कहती रहती है—
जग में आये, कुछ नाम करो
आलस त्यागो, काम करो |
चिड़िया गाती जाती है
दाना चुगती जाती है
मुफ्त संगीत सुनाती है |
कभी नहीं ये आलस करती
फुर्र-फुर्र देखो उड़ ये जाती
सुबह-सवेरे काम पे जाती,
शाम ढले वो घर को आती |
चिड़िया मेहनत सिखाती है
घोंसला-घरोंदा बनाती है
दूर-दूर से दाना चुगती
बच्चों को खिलाती है |
चिड़िया हमें हँसाती है
धमा-चौकड़ी मचाती है
कभी दीवार, तो कभी डाल पे
फुदक-फुदक इठलाती है |
काली-सफ़ेद, रंग-बिरंगी
चिड़िया कितनी निराली है
चूं, चूं, चूं, चूं, करती फिरती
चिड़िया भोली-भाली है |
सुबह-सवेरे चिड़िया गाती—
नींद से मुझे उठाती है
कोयल हो या कबूतर हो
चिड़िया मुझको भाती है |
बच्चें चिड़िया को देखते,
खूब खुश हो जाते
काश कि वो भी पंछी होते—
तो चिड़िया की तरह उड़ जाते |
चिड़िया की आवाज़ है मीठी
कान में मिसरी घोल है देती
सब को चिड़िया खुश कर देती
चूं, चूं, चूं, चूं बोल जो देती |
चिड़िया व्यस्त रहती है
मानो कहती रहती है—
जग में आये, कुछ नाम करो
आलस त्यागो, काम करो |
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Nanhi si woh chidiya thi
Barsaat mein bheeg rahi thi,
Udkar ped par baithi woh
Pani se bachne nikli woh,
Par fir bhi baarish mein doobi jaa rahi thi
Apne liye ghosla nahi dhundh paa rahi thi.
Dekhkar use bola mera Nanha Munna
Aa chidiya! Mere ghar aakar baithna,
Maano usne sun lee iski cheekhe
Seedhe udhkar aa baithi woh mere ghar ke bagiche,
Khush hokar bajayi Munne ne taali
Darkar bechari ud gayi chidiya fir usi ped ke daali!!!!
Barsaat mein bheeg rahi thi,
Udkar ped par baithi woh
Pani se bachne nikli woh,
Par fir bhi baarish mein doobi jaa rahi thi
Apne liye ghosla nahi dhundh paa rahi thi.
Dekhkar use bola mera Nanha Munna
Aa chidiya! Mere ghar aakar baithna,
Maano usne sun lee iski cheekhe
Seedhe udhkar aa baithi woh mere ghar ke bagiche,
Khush hokar bajayi Munne ne taali
Darkar bechari ud gayi chidiya fir usi ped ke daali!!!!
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