Hindi, asked by rai011924, 1 year ago

wastav me asli aajadi kya hai​

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Answered by shanaya123455
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Answer:

exam ka the end hona ok by

Answered by cutieepragya
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15 अगस्‍त 2015 को हमारा 69वां स्वतंत्रता दिवस है। हम आजाद तो हो चुके है पर कालाबाजारी, महंगाई, जात-पात, भ्रष्टाचार से अभी तक आजाद नहीं हो पाए हैं। हमारा देश हजार टुकड़ों में बंटा हुआ है। जाति एवं धर्म ने तो पूरे देश को बांट दिया है। हम किस टुकडे का भाग है पता नहीं। कालाबाजारी सबसे ऊपर है, महंगाई के स्तर की तो आप बात ही मत कीजिए, शिक्षा तो अब गरीबों के लिए अभिशाप हो गई है, नेता घोटालों में लिप्त हैं।

किसी देश के नागरिक खुद को पूरी तरह से आजाद समझें इसके लिए कुछ मूलभूत अधिकार और सुविधाएं प्राप्त होनी चाहिए। हर व्यक्ति के साथ देश में समान व्यवहार होना चाहिए और लिंग भेद, जाति भेद, अमीरी और गरीबी के अंतर जैसी सामाजिक बुराईयों के लिए देश में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

किसी भी इंसान को एक सुखद जीवन यापन करने के लिए कुछ बेहद खास सुविधाओं की आवश्यकता होती है जिनमें रोटी, कपड़ा, मकान, चिकित्सा और शिक्षा जैसी अहम जरूरतें शामिल हैं। हम इन सुविधाओं को प्राप्त करने में लगे हैं लेकिन विडंबना यह है कि प्राप्त करने के तरीकों पर किसी का ध्यान नहीं है।

देश की 70 प्रतिशत जनता इन सुविधाओं को हर हाल में पाना चाहती है और इस हेतु हर तरीके अपनाने को तैयार हैं। जो गलत तरीकों का इस्तेमाल नहीं जानते उनकी हालत बदतर हो रही है। यह कैसी आजादी है?

देश में शिक्षा का स्तर आशा से बहुत नीचे है। इसके बावजूद की देश के लगभग हर इलाके में स्कूल खोले जा चुके हैं आज भी सभी छोटे बच्चे स्कूल न जाकर श्रम कार्य करते दिखाई दे जाते हैं। ग्रामीण इलाकों में जो बच्चे स्कूल जाते भी हैं उनका मुख्य उद्देश्य वहां पर मिलने वाला भोजन है। इसके अलावा शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों से भागने को आतुर दिखाई देते हैं। शहरी क्षेत्रों को छोड़े तो ग्रामीण क्षेत्रों के हालात काफी खराब हैं।

पढ़े-लिखे लोग नौकरी को तरसते हैं। इन्हीं कारणों से देश की युवा शक्ति अपराध के रास्ते पर चल पड़ी है।

महिलाओं के खिलाफ होने वाला सबसे जघन्य अपराध बलात्कार को मीडिया ने इस तरह पेश करना आरंभ किया है कि जनता को यह खबर मामूली लगने लगी है। हम अपने ही देश में सुरक्षित नही हैं। क्यों हम अपने ही घर के बहार जाने में डरने लगे हैं? छोटी बच्चियों तक को नहीं छोड़ा जा रहा है।

आवश्यकता इस बात की है कि व्यापक स्तर पर लोगों की सोच बदलना होगा। वे कितने भी पढ़े-लिखे क्यों न हो गये हो पर सोच आज भी संकुचित है। सही मायनों में ना सोच बदली है ना समाज।

छोटी-छोटी बातों पर आपस में लड़ना छोड़कर हमें राष्ट्र के लिए सोचना होगा। हम युवा शक्ति को एकजुट होकर वैज्ञानिक सोच के साथ आगे बढ़ना होगा।

हमे खुद से पहल करना होगा। हमारा एक-एक वोट देश की तकदीर बदल देगा अगर उसका उपयोग हम समझदारी से करें। आज़ादी की कीमत समझना जरूरी है। असली आजादी तब हासिल होगी जब यह देश धर्म, जात-पात, लिंगभेद, भाषायी भेदभाव जैसी रूढि़यों से आजाद हो जाएगा।

आजादी यानि जब हर नागरिक के मानव अधिकार सुरक्षित हो जाएंगे। आजादी यानि भ्रष्टाचार से मुक्ति, आजादी यानि हर मानव के लिए समान सामाजिक न्याय होगा। शायद तभी हम सही मायने में आजाद होंगे।

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