Hindi, asked by shahidtanveerka6125, 9 hours ago

Watchdog patrkarita kya hai

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Answered by XxDREAMKINGxX
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वाच डॉग पत्रकारिता को खोजी पत्रकारिता भी कहते हैं। पत्रकार जब किसी नेता या प्रतिष्ठित व्‍यक्‍तित्‍व पर अपने पैनी नज़र से उसके भ्रष्‍टाचार का पर्दाफाश करता है और समाचार पत्रों या अन्‍य माध्‍यमों से उसे आम जनता तक पहुंचाता है तो ऐसी पत्रकारिता वाच डॉग पत्रकारिता कहलाती है।

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वाच डाग पत्रकारिता की शास्त्रीय परिभाषा मुझे कहीं पढ़ने सुनने को नहीं मिली।श्री नवीन जिंदल ने सुधीर का एक स्टिंग किया था पता नहीं यह वाचडाग पत्रकारिता में आता है कि नही । अपने निजी अनुभव से कह सकता हूं कि जिस पत्रकार को‌ लतिया कर/ धकिया कर संपादक अपने कमरे से बाहर करा दे, शायद वही वाच डाग पत्रकार होते हैं । इस पर शोधार्थी श्री पुण्य प्रसून जैसे लोगों को अपने शोध का विषय बना सकते हैं। वाच डाग पत्रकार जन्मना होते हैं जैसे अपने के विक्रम राव साहब। ऐसे लोगों का मन आइएएस /आइपीएस की नौकरी में भी नहीं लगता है। हो सकता है ऐसे लोगों को ही वाच डाग पत्रकार कहा जाता हो। सरकारी नौकरी में वाचडाग पद का आधिकारिक प्रयोग कैग जैसे कई बड़े छोटे पदों के लिए होता है। बडे़ पदों का तो अनुभव पता नहीं , अलबत्ता छोटे पदों के वाचडाग की स्थिति बंधे हुए पालतू श्वान की तरह होती है।उसे खिलाया पिलाया जाता है कि वह भौंकना तक भूल जाता है। काटने की तो उसे सरकारी इज़ाजत भी नहीं होती है। जिस कार्यालय में खाना -पानी छोड़कर जो श्वान भौंकने की कोशिश करता है उसे आते - जाते सभी आफिस वाले, और उस आफिस में आने वाले भी लतियाते रहते हैं। किसी भी आफिस में कोई ऐसा आदमी मिले जो समय से कार्यालय जाता हो, अपना काम नियम से करता हो, अपने बास के सामने गलत काम के लिए साफ मना कर देता हो, रिश्वत न लेता हो और जिसे पूरा आफिस पागल और मेंटल कहकर गरियाता हो , जिसकी महीने पन्द्रह दिन पर नियमित ठुकाई होती है वही वाचडाग होता है। ऐसे वाच डाग अब केवल रील लाइफ में बम्बईया फिल्मों में दिखते हैं। देश के वास्तविक जीवन में ये दुर्लभ विलुप्तप्राय प्राणी हैं। कृपया ऐसे प्राणी कहीं दिख जांय तो उन्हें गाली न दें और उनके साथ मारपीट न करें। मेरे ऊपर भी दया करें और मुझे भी क्षमा करें, यदि मेरा जवाब आपको गलत लगे। मैं अपवोट , व्यूज , टिप्पणी और शब्दयुद्ध के लिए नहीं लिखता। न मुझे गुगल शूगल और खबरिया चैनलों से नकल मारने की कला आती है। बस इसे एक वाचडाग की आत्मकथा की प्रस्तावना समझ कर पढ़िए , अच्छा लगे तो आप भी भौंकिए , बुरा लगे तो आप भी मन में ही गरिया लीजिए

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