water pollution eassy in hindi 200 words
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जल सभी जीवित प्राणियों के जीवन का आधार है। आधुनिक मानव सभ्यता के विकास के साथ, जल प्रदूषण की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। औद्योगीकरण एवं शहरीकरण की प्रवृत्ति बढ़ रही है। गांवों के अंदर एवं आसपास तेजी से विभिन्न उद्योगों की स्थापना के साथ ही वे तेजी से कस्बों एवं शहरों में तब्दील होते जा रहे हैं जिससे जल संसाधनों का अत्यधिक दोहन एवं प्रदूषण हो रहा है। शुरू में जब विभिन्न प्रौद्योगिकियों का विकास नहीं हुआ था तो लोग प्रकृति की गोद में रहते हुए जीवन का आनंद लेते थे, लेकिन तेजी से हुए विकास एवं औद्योगीकरण के उद्भव के साथ ही जल प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है।
शहरों में अत्यधिक आबादी होने के कारण बड़ी संख्या में फ्लैटों के निर्माण की प्रवृत्ति बढ़ रही है, ताकि ज्यादा से ज्यादा जनसंख्या को आवास उपलब्ध कराया जा सके क्योंकि एक फ्लैट में तीन से छह लोगों का परिवार आसानी से रह सकता है। हालांकि, इन फ्लैटों में पानी की आवश्यकता बहुत अधिक होती है और इस वजह से वहां भूमिगत जल भंडार पर दवाब बढ़ रहा है। वहां डीप बोरिंग निर्माण किया जा रहा है और भूमिगत जल का दोहन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। अनियंत्रित बोरिंग और तटीय क्षेत्रों में भूजल की अत्यधिक निकासी के फलस्वरूप खारा पानी बाहर निकल कर जमीन पर फैल सकता है जिससे जल की आपूर्ति भी प्रदूषित हो सकती है।
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धरती पर जीवन का सबसे मुख्य स्रोत ताजा पानी है। कोई भी जीव-जन्तु कुछ दिन तक बिना भोजन के गुजार सकता है लेकिन एक मिनट भी बिना पानी और ऑक्सीजन के जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। पीने, धोने, औद्योगिक इस्तेमाल, कृषि, स्वीमिंग पूल और दूसरे जल क्रिड़ा केन्द्रों जैसे उद्देश्यों के लिये अधिक पानी की माँग लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण बढ़ रही है।
बढ़ती मांग और विलासिता के जीवन की प्रतियोगिता के कारण जल प्रदूषण पूरे विश्व के लोगों के द्वारा किया जा रहा है। कई सारी मानव क्रियाकलापों से उत्पादित कचरा पूरे पानी को खराब करता है और जल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करता है। ऐसे प्रदूषक जल की भौतिक, रसायनिक, थर्मल और जैव-रसायनिक विशेषता को कम करते हैं और पानी के बाहर के साथ ही पानी के अंदर के जीवन को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।
जब हम प्रदूषित पानी पीते हैं, खतरनाक रसायन और दूसरे प्रदूषक शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और शरीर के सभी अंगों के कार्यों को बिगाड़ देते हैं और हमारा जीवन खतरे में डाल देते हैं। ऐसे खतरनाक रसायन पशु और पौधों के जीवन को भी बुरी तरह से प्रभावित करते हैं। जब पौधे अपनी जड़ों के द्वारा गंदे पानी को सोखते हैं, वो बढ़ना बंद कर देते हैं और मर या सूख जाते हैं। जहाजों और उद्योगों से छलकते तेल की वजह से हजारों समुद्री पक्षी मर जाते हैं।
खाद, कीटनाशकों के कृषि उपयोगों से बाहर आने वाले रसायनों के कारण उच्च स्तरीय जल प्रदूषण होता है। जल प्रदूषक की मात्रा और प्रकार के आधार पर जल प्रदूषण का प्रभाव जगह के अनुसार बदलता है। पीने के पानी की गिरावट को रोकने के लिये तुरंत एक बचाव तरीके की ज़रुरत है जो धरती पर रह रहे हरेक अंतिम व्यक्ति की समझ और सहायता के द्वारा संभव है।