welcome speech in hindi on disability day
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हर साल 3 दिसंबर को विश्व विकलांग दिवस मनाया जाता है | यह दिन संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 1992 में विकलांगजनो के लिए बराबरी,रोकथाम ,प्रचार के विषयों पर ध्यान देने के लिए मनाया जाता है | यह दिन उनके अधिकारों के बारे में लोगों को जागरूक करने व उन्हें समाज में समान रूप से देखे जाने के लिए और उनकी आर्थिक और समाजिक स्थिति पर गौर देने के लिए मनाया जाता है | इस दिन को मानाने का मुख्य उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के जीवन के पहलुओं पर ध्यान देने और उन्हें सुधारने का है |
विश्व दिव्यांग दिवस 1992 से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निशक्त जनों को प्रोत्साहन देने के लिए शुरू किया गया है | इस दिवस से लोग निशक्त लोगो से मिलकर उनके साथ अपना सुख दुःख बाँटते है | World Disability Day दिव्यांग दिवस को न केवल मानसिक रोगियों या शारीरिक विकलांग व्यक्तियों के लिए प्रोत्साहन दिवस है बल्कि ये असाध्य रोगों से पीड़ित रोगियों को भी प्रोत्साहित करने का अवसर है |
अंग्रेजी में नि:शक्त या विकलांग शब्द की व्याख्या की शुरुवात “Handicapped या Disabled” के रूप में की जाती है | आगे चलकर 1980 के दशक में इस परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास किया गया | अमेरिका के Democratic National Committee ने विकलांगो के लिए Handicapped की जगह Differently Abled शब्द के इस्तेमाल पर जोर दिया , जो अपने पूर्ववती शब्द Handicapped या Disabled” की तुलना में ज्यादा स्वीकार्य हुआ | नि:शक्तजनों की भावना को समझते हुए उन्हें एक सौम्य और करुणामयी शब्द से नवाजकर इस समिति ने भी अतिरिक्त योग्यता का प्रमाण प्रस्तुत किया|
वर्तमान में भारतीय परिदृश्य पर विचार करे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर प्रसारित होने वाले “मन की बात” कार्यक्रम में विकलांगो या नि:शक्तो के लिए “दिव्यांग” शब्द का प्रयोग किये जाने की बात कही | यह शब्द जनमाध्यमो में भी दिखाई सुनाई देने लगा है ऐसे में आमजनों में भी इस शब्द का प्रचलन बढने लगा है तथ जनमानस के बीच इस शब्द की स्वीकार्यता स्थापित होने लगी है | नि:शक्तो और विकलांगो को दिव्यांग कहकर सम्बोधित करना एक विशिष्ट प्रकार का विचार है | दिव्यांग शरीर वाले लोग कुछ मायने में भले शारीरिक तौर पर कमजोर होते है लेकिन ज्ञान ,मेधा और तार्किक शक्ति के लिहाज से अन्य व्यक्तियों से कम नही आंके जा सकते है |
वर्ष 1976 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा के द्वारा “विकलांगजनों के अंतरराष्ट्रीय वर्ष” के रुप में वर्ष 1981 को घोषित किया गया था। अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर विकलांगजनों के लिये पुनरुद्धार, रोकथाम, प्रचार और बराबरी के मौकों पर जोर देने के लिये योजना बनायी गयी थी। समाज में उनकी बराबरी के विकास के लिये विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिये, सामान्य नागरिकों की तरह ही उनके सेहत पर भी ध्यान देने के लिये और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिये “पूर्ण सहभागिता और समानता” का थीम विकलांग व्यक्तियों के अंतरराष्ट्रीय वर्ष के उत्सव के लिये निर्धारित किया गया था। सरकारी और दूसरे संगठनों के लिये निर्धारित समय-सीमा प्रस्ताव के लिये संयुक्त राष्ट्र आम सभा के द्वारा “विकलांग व्यक्तियों के संयुक्त राष्ट्र दशक” के रुप में वर्ष 1983 से 1992 को घोषित किया गया था जिससे वो सभी अनुशंसित क्रियाकलापों को ठीक ढंग से लागू कर सकें।
ज्यादातर लोग ये भी नहीं जानते कि उनके घर के आस-पास समाज में कितने लोग विकलांग हैं। समाज में उन्हें बराबर का अधिकार मिल रहा है कि नहीं। अच्छी सेहत और सम्मान पाने के लिये तथा जीवन में आगे बढ़ने के लिये उन्हें सामान्य लोगों से कुछ सहायता की ज़रुरत है, । लेकिन, आमतौर पर समाज में लोग उनकी सभी ज़रुरतों को नहीं जानते हैं। आँकड़ों के अनुसार, ऐसा पाया गया है कि, लगभग पूरी दुनिया के 15% लोग विकलांग हैं।
इसलिये, विकलांगजनों की वास्तविक स्थिति के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिये इस उत्सव को मनाना बहुत आवश्यक है। विकलांगजन “विश्व की सबसे बड़ी अल्पसंख्यकों” के तहत आते हैं और उनके लिये उचित संसाधनों और अधिकारों की कमी के कारण जीवन के सभी पहलुओं में ढ़ेर सारी बाधाओं का सामना करते हैं।
World Disability day speech
‘अन्तर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस’ अथवा ‘अन्तर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस’ प्रतिवर्ष 3 दिसंबर को मनाया जाता है। वर्ष 1976 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा के द्वारा ‘विकलांगजनों के अन्तर्राष्ट्रीय वर्ष’ के रुप में वर्ष 1981 को घोषित किया गया था। वर्ष 1992 से संयुक्त राष्ट्र के द्वारा इसे अन्तर्राष्ट्रीय रीति-रिवाज़ के रुप में प्रचारित किया जा रहा है।
दिव्यांगता प्रायः जन्म से, परिस्थितिजन्य अथवा दुर्घटना के कारण होती है। सर्वविदित है कि समाज में दिव्यांगजन की स्थिति चुनौतीपूर्ण होती है। दिव्यांगता के कारण जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यदि दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो व्यक्ति इस कठिनाई पर विजय प्राप्त कर सकता है।
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यह निर्विवाद सत्य है कि प्रत्येक दिव्यांगजन में किसी न किसी प्रकार की विशेष प्रतिभा विद्यमान होती है। आवश्यकता होती है कि उनकी इच्छा शक्ति को जागृत कर उनके आत्मविश्वास को दृढ़ करते हुए उनकी प्रतिभा को विकसित कर उनको आत्मनिर्भर बनाया जाए, जिससे वह सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकें।
अन्तर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर विभिन स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा अनेक गोष्ठियों व कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा विशिष्ट प्रतिभा के धनी दिव्यांगजन, उनके सेवायोजकों एवं दिव्यांगजन के हितार्थ कार्य करने वाले व्यक्ति विशेष एवं संस्थाओं को पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय दिवस का वार्षिक अवलोकन 1992 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव 47/3 द्वारा घोषित किया गया था।
Explanation:
इसका उद्देश्य समाज और विकास के सभी क्षेत्रों में विकलांग लोगों के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देना है, और राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के हर पहलू में विकलांग लोगों की स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
विकलांगता के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र के कई दशकों के काम का निर्माण, विकलांगों के अधिकारों पर कन्वेंशन, 2006 में अपनाया गया, सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के कार्यान्वयन में विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों और कल्याण को आगे बढ़ाया है। और अन्य अंतर्राष्ट्रीय विकास ढांचे, जैसे कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंदाई फ्रेमवर्क, मानवीय कार्रवाई में विकलांग व्यक्तियों के समावेश पर चार्टर, न्यू अर्बन एजेंडा, और विकास के लिए वित्त पोषण पर अदीस अबाबा एक्शन एजेंडा।
इस वर्ष, विकलांग व्यक्तियों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (IDPD) समावेशी विकास के लिए 2030 एजेंडा में प्रत्याशित, समावेशी, समान और सतत विकास के लिए विकलांग व्यक्तियों के सशक्तीकरण पर केंद्रित है, जो 'किसी को भी पीछे नहीं छोड़ने' का संकल्प करता है और विकलांगता को पहचानता है। क्रॉस-कटिंग मुद्दों के रूप में, इसके 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के कार्यान्वयन में विचार किया जाना है।