what are the causes of french revolution in hindi
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राजनैतिक कारण
i) निरंकुश राजतंत्र
राजतंत्र की निरंकुशता फ्रांसीसी क्रांति (French Revolution) का एक प्रमुख कारण था. राजा शासन का सर्वोच्च अधिकारी होता था. वह अपनी इच्छानुसार काम करता था. वह अपने को ईश्वर का प्रतिनिधि बतलाता था. राजा के कार्यों के आलोचकों को बिना कारण बताए जेल में डाल दिया जाता था. राजा के अन्यायों और अत्याचारों से आम जनता तबाह थी. वह निरंकुश से छुटकारा पाने के लिए कोशिश करने लगी.
ii) स्वतंत्रताओं का अभाव
फ्रान्स में शासन का अति केन्द्रीकरण था. शासन के सभी सूत्र राजा के हाथों में थे. भाषण, लेखन और प्रकाशन पर कड़ा प्रतिबंध लगा हुआ था. राजनैतिक स्वतंत्रता का पूर्ण अभाव था. लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता भी नहीं थी. बंदी प्रत्यक्षीकरण नियम की व्यवस्था नहीं थी. न्याय और स्वतंत्रता की इस नग्न अवहेलना के कारण लोगों का रोष धीरे-धीरे क्रांति का रूप ले रहा था.
iii) राजप्रसाद का विलासी जीवन और धन का अपव्यय
राष्ट्र की सम्पूर्ण आय पर राजा का निजी अधिकार था. सम्पूर्ण आमदनी राजा-रानी और दरबारियों के भोग-विलास तथा आमोद-प्रमोद पर खर्च हुआ होता था. रानी बहुमूल्य वस्तुएँ खरीदने में अपार धन खर्च करती थी. एक ओर किसानों, श्रमिकों को भरपेट भोजन नहीं मिलता था तो दूसरी ओर सामंत, कुलीन और राजपरिवार के सदस्य विलासिता का जीवन बिताते थे.
iv) प्रशासनिक अव्यवस्था
फ्रान्स का शासन बेढंगा और अव्यवस्थित था. सरकारी पदों पर नियुक्ति योग्यता के आधार पर नहीं होती थी. राजा के कृपापात्रों की नियुक्ति राज्य के उच्च पदों पर होती थी. भिन्न-भिन्न प्रान्तों में अलग-अलग कानून थे. कानून की विविधता के चलते स्वच्छ न्याय की आशा करना बेकार था.
सामजिक कारण
i) पादरी वर्ग
फ्रांसमें रोमन कैथोलिक चर्च की प्रधानता थी. चर्च एक स्वतंत्र संस्था के रूप में काम कर रहा था. इसका अपना अलग संगठन था, अपना न्यायालय था और धन प्राप्ति का स्रोत था. देश की भूमि का पाँचवा भाग चर्च के पास था. चर्च की वार्षिक आमदनी करीब तीस करोड़ रुपये थी. चर्च स्वयं करमुक्त था, लेकिन उसे लोगों पर कर लगाने का विशेष अधिकार प्राप्त था. चर्च की अपार संपत्ति से बड़े-बड़े पादरी भोग-विलास का जीवन बिताते थे. धर्म के कार्यों से उन्हें कोई मतलब नहीं था. वे पूर्णतया सांसारिक जीवन व्यतीत करते थे.
ii) कुलीन वर्ग
फ्रांसका कुलीन वर्ग सुविधायुक्त एवं सम्पन्न वर्ग था. कुलीनों को अनेक विशेषाधिकार प्राप्त थे. वे राजकीय कर से मुक्त थे. राज्य, धर्म और सेना के उच्च पदों पर कुलीनों की नियुक्ति होती थी. वे किसानों से कर वसूल करते थे. वे वर्साय के राजमहल में जमे रहते और राजा को अपने प्रभाव में बनाए रखने की पूरी कोशिश करते थे. कुलीनों के विशेषाधिकार और उत्पीड़न ने साधारण लोगों को क्रांतिकारी बनाया था.
iii) कृषक वर्ग
किसानों का वर्ग सबसे अधिक शोषित और पीड़ित था. उन्हें कर का बोझ उठाना पड़ता था. उन्हें राज्य, चर्च और जमींदारों को अनेक प्रकार के कर देने पड़ते थे. कृषक वर्ग अपनी दशा में सुधार लान चाहते थे और यह सुधार सिर्फ एक क्रांति द्वारा ही आ सकती थी.
iv) मजदूर वर्ग
मजदूरों और कारीगरों की दशा अत्यंत दयनीय थी. औद्योगिक क्रान्ति के कारण घरेलू उद्योग-धंधों का विनाश हो चुका था और मजदूर वर्ग बेरोजगार हो गए थे. देहात के मजदूर रोजगार की तलाश में पेरिस भाग रहे थे. क्रांति के समय (French Revolution) मजदूर वर्ग का एक बड़ा गिरोह तैयार हो चुका था.
v) मध्यम वर्ग
माध्यम वर्ग के लोग सामजिक असमानता को समाप्त करना चाहते थे. चूँकि तत्कालीन शासन के प्रति सबसे अधिक असंतोष मध्यम वर्ग में था, इसलिए क्रांति (French Revolution) का संचालन और नेतृत्व इसी वर्ग ने किया.
आर्थिक कारण
विदेशी युद्ध और राजमहल के अपव्यय के कारण फ्रांस की आर्थिक स्थिति लचर हो गयी थी. आय से अधिक व्यय हो चुका था. खर्च पूरा करने के लिए सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा था. कर की असंतोषजनक व्यवस्था के साथ-साथ शासकों की फिजूलखर्ची से फ्रांसकी हालत और भी ख़राब हो गई थी.
बौधिक जागरण
विचारकों और दार्शनिकों ने फ्रांसकी राजनैतिक एवं सामाजिक बुराइयों की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया और तत्कालीन व्यवस्था के प्रति असंतोष, घृणा और विद्रोह की भावना को उभरा. Montesquieu, Voltaire, Jean-Jacques Rousseau के विचारों से मध्यम वर्ग सबसे अधिक प्रभावित था. Montesquieu ने समाज और शासन-व्यवस्था की प्रसंशा Power-Separation Theory का प्रतिपादन किया. वाल्टेयर ने सामाजिक एवं धार्मिक कुप्रथाओं पर प्रहार किया. रूसो ने राजतंत्र का विरोध किया और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर बल दिया. उसने जनता की सार्वभौमिकता के सिद्धांत (Principles of Rational and Just Civic Association) का प्रतिपादन किया. इन लेखकों ने लोगों को मानसिक रूप से क्रान्ति के लिए तैयार किया.
सैनिकों में असंतोष
फ्रांस की सेना भी तत्कालीन शासन-व्यवस्था से असंतुष्ट थी. सेना में असंतोष फैलते ही शासन का पतन अवश्यम्भावी हो जाता है. सैनिकों को समय पर वेतन नहीं मिलता था. उनके खाने-पीने तथा रहने की उचित व्यवस्था नहीं थी. उन्हें युद्ध के समय पुराने अस्त्र-शस्त्र दिए जाते थे. ऐसी स्थिति में सेना में रोष का उत्पन्न होना स्वाभाविक था.
i) निरंकुश राजतंत्र
राजतंत्र की निरंकुशता फ्रांसीसी क्रांति (French Revolution) का एक प्रमुख कारण था. राजा शासन का सर्वोच्च अधिकारी होता था. वह अपनी इच्छानुसार काम करता था. वह अपने को ईश्वर का प्रतिनिधि बतलाता था. राजा के कार्यों के आलोचकों को बिना कारण बताए जेल में डाल दिया जाता था. राजा के अन्यायों और अत्याचारों से आम जनता तबाह थी. वह निरंकुश से छुटकारा पाने के लिए कोशिश करने लगी.
ii) स्वतंत्रताओं का अभाव
फ्रान्स में शासन का अति केन्द्रीकरण था. शासन के सभी सूत्र राजा के हाथों में थे. भाषण, लेखन और प्रकाशन पर कड़ा प्रतिबंध लगा हुआ था. राजनैतिक स्वतंत्रता का पूर्ण अभाव था. लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता भी नहीं थी. बंदी प्रत्यक्षीकरण नियम की व्यवस्था नहीं थी. न्याय और स्वतंत्रता की इस नग्न अवहेलना के कारण लोगों का रोष धीरे-धीरे क्रांति का रूप ले रहा था.
iii) राजप्रसाद का विलासी जीवन और धन का अपव्यय
राष्ट्र की सम्पूर्ण आय पर राजा का निजी अधिकार था. सम्पूर्ण आमदनी राजा-रानी और दरबारियों के भोग-विलास तथा आमोद-प्रमोद पर खर्च हुआ होता था. रानी बहुमूल्य वस्तुएँ खरीदने में अपार धन खर्च करती थी. एक ओर किसानों, श्रमिकों को भरपेट भोजन नहीं मिलता था तो दूसरी ओर सामंत, कुलीन और राजपरिवार के सदस्य विलासिता का जीवन बिताते थे.
iv) प्रशासनिक अव्यवस्था
फ्रान्स का शासन बेढंगा और अव्यवस्थित था. सरकारी पदों पर नियुक्ति योग्यता के आधार पर नहीं होती थी. राजा के कृपापात्रों की नियुक्ति राज्य के उच्च पदों पर होती थी. भिन्न-भिन्न प्रान्तों में अलग-अलग कानून थे. कानून की विविधता के चलते स्वच्छ न्याय की आशा करना बेकार था.
सामजिक कारण
i) पादरी वर्ग
फ्रांसमें रोमन कैथोलिक चर्च की प्रधानता थी. चर्च एक स्वतंत्र संस्था के रूप में काम कर रहा था. इसका अपना अलग संगठन था, अपना न्यायालय था और धन प्राप्ति का स्रोत था. देश की भूमि का पाँचवा भाग चर्च के पास था. चर्च की वार्षिक आमदनी करीब तीस करोड़ रुपये थी. चर्च स्वयं करमुक्त था, लेकिन उसे लोगों पर कर लगाने का विशेष अधिकार प्राप्त था. चर्च की अपार संपत्ति से बड़े-बड़े पादरी भोग-विलास का जीवन बिताते थे. धर्म के कार्यों से उन्हें कोई मतलब नहीं था. वे पूर्णतया सांसारिक जीवन व्यतीत करते थे.
ii) कुलीन वर्ग
फ्रांसका कुलीन वर्ग सुविधायुक्त एवं सम्पन्न वर्ग था. कुलीनों को अनेक विशेषाधिकार प्राप्त थे. वे राजकीय कर से मुक्त थे. राज्य, धर्म और सेना के उच्च पदों पर कुलीनों की नियुक्ति होती थी. वे किसानों से कर वसूल करते थे. वे वर्साय के राजमहल में जमे रहते और राजा को अपने प्रभाव में बनाए रखने की पूरी कोशिश करते थे. कुलीनों के विशेषाधिकार और उत्पीड़न ने साधारण लोगों को क्रांतिकारी बनाया था.
iii) कृषक वर्ग
किसानों का वर्ग सबसे अधिक शोषित और पीड़ित था. उन्हें कर का बोझ उठाना पड़ता था. उन्हें राज्य, चर्च और जमींदारों को अनेक प्रकार के कर देने पड़ते थे. कृषक वर्ग अपनी दशा में सुधार लान चाहते थे और यह सुधार सिर्फ एक क्रांति द्वारा ही आ सकती थी.
iv) मजदूर वर्ग
मजदूरों और कारीगरों की दशा अत्यंत दयनीय थी. औद्योगिक क्रान्ति के कारण घरेलू उद्योग-धंधों का विनाश हो चुका था और मजदूर वर्ग बेरोजगार हो गए थे. देहात के मजदूर रोजगार की तलाश में पेरिस भाग रहे थे. क्रांति के समय (French Revolution) मजदूर वर्ग का एक बड़ा गिरोह तैयार हो चुका था.
v) मध्यम वर्ग
माध्यम वर्ग के लोग सामजिक असमानता को समाप्त करना चाहते थे. चूँकि तत्कालीन शासन के प्रति सबसे अधिक असंतोष मध्यम वर्ग में था, इसलिए क्रांति (French Revolution) का संचालन और नेतृत्व इसी वर्ग ने किया.
आर्थिक कारण
विदेशी युद्ध और राजमहल के अपव्यय के कारण फ्रांस की आर्थिक स्थिति लचर हो गयी थी. आय से अधिक व्यय हो चुका था. खर्च पूरा करने के लिए सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा था. कर की असंतोषजनक व्यवस्था के साथ-साथ शासकों की फिजूलखर्ची से फ्रांसकी हालत और भी ख़राब हो गई थी.
बौधिक जागरण
विचारकों और दार्शनिकों ने फ्रांसकी राजनैतिक एवं सामाजिक बुराइयों की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया और तत्कालीन व्यवस्था के प्रति असंतोष, घृणा और विद्रोह की भावना को उभरा. Montesquieu, Voltaire, Jean-Jacques Rousseau के विचारों से मध्यम वर्ग सबसे अधिक प्रभावित था. Montesquieu ने समाज और शासन-व्यवस्था की प्रसंशा Power-Separation Theory का प्रतिपादन किया. वाल्टेयर ने सामाजिक एवं धार्मिक कुप्रथाओं पर प्रहार किया. रूसो ने राजतंत्र का विरोध किया और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर बल दिया. उसने जनता की सार्वभौमिकता के सिद्धांत (Principles of Rational and Just Civic Association) का प्रतिपादन किया. इन लेखकों ने लोगों को मानसिक रूप से क्रान्ति के लिए तैयार किया.
सैनिकों में असंतोष
फ्रांस की सेना भी तत्कालीन शासन-व्यवस्था से असंतुष्ट थी. सेना में असंतोष फैलते ही शासन का पतन अवश्यम्भावी हो जाता है. सैनिकों को समय पर वेतन नहीं मिलता था. उनके खाने-पीने तथा रहने की उचित व्यवस्था नहीं थी. उन्हें युद्ध के समय पुराने अस्त्र-शस्त्र दिए जाते थे. ऐसी स्थिति में सेना में रोष का उत्पन्न होना स्वाभाविक था.
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