What are the images and symbols used in the poem.
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Answer:
छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय क्या-क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया?
उत्तर:- छोटे भाई ने टाइम टेबिल बनाते यह सोचा कि वह मन लगाकर पढ़ाई करेगा और अपने बड़े भाई साहब को शिकायत का कोई मौका न देगा परन्तु उसके स्वच्छंद स्वभाव के कारण वह अपने ही टाईम टेबिल का पालन नहीं कर पाया क्योंकि पढ़ाई के समय उसे खेल के हरे-भरे मैदान, फुटबॉल, बॉलीबॉल और मित्रों की टोलियाँ अपनी ओर खींच लेते थे ।
2. एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:- एक दिन गुल्ली डंडा खेलने के बाद छोटे भाई का सामना बड़े भाई से हो जाता है। उसे देखते ही बड़े भाई साहब उसे समझाने लगते हैं कि एक बार कक्षा में अव्वल आने का तात्पर्य यह नहीं कि वह अपने पर घमंड करने लगे क्योंकि घमंड तो रावण जैसे शक्तिशाली को भी ले डूबा इसलिए उसे इसी तरह समय बर्बाद करना है तो उसे घर चले जाना चाहिए। उसे पिता की मेहनत की कमाई को यूँ खेल कूद में बर्बाद करना शोभा नहीं देता नहीं है।
3. बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं?
उत्तर:- बड़े भाई होने के नाते वे अपने छोटे भाई के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करना चाहते थे। उन्हें अपने नैतिक कर्तव्य का ज्ञान था वे अपने किसी भी कार्यों द्वारा अपने छोटे भाई के सामने गलत उदाहरण रखना नहीं चाहते थे जिससे कि उनके छोटे भाई पर बुरा असर पड़े। इसलिए बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छा दबानी पड़ती थी।
4. बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों?
उत्तर:- बड़े भाई साहब छोटे भाई साहब को हमेशा पढ़ाई के लिए परिश्रम की सलाह देते थे। उनके अनुसार एक बार कक्षा में अव्वल आने का तात्पर्य यह नहीं कि हर बार वह ही अव्वल आए। घमंड और जल्दबाजी न करते हुए उसे अपनी नींव मजबूती की ओर ध्यान देना चाहिए। अत: पढ़ाई के लिए सतत अध्ययन, खेल कूद से ध्यान हटाना तथा मन की इच्छाओं को दबाना आदि सलाह वे समय-समय पर देते रहते थे।
5. छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या फायदा उठाया?
उत्तर:- बड़े भाई के नरम व्यवहार का छोटे भाई ने गलत फायदा उठाना शुरू कर दिया। छोटे भाई की स्वच्छंदता बढ़ गई अब वह पढ़ने-लिखने की अपेक्षा सारा ध्यान खेल-कूद में लगाने लगा। उसे लगने लगा कि वह पढ़े या न पढ़े परीक्षा में पास तो हो ही जाएगा। उसके मन में अपने बड़े भाई के प्रति आदर और उनसे डरने की भावना कम होती जा रही थी।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –
6. बड़े भाई की डाँट-फटकार अगर न मिलती, तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता? अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर:- मेरे अनुसार बड़े भाई की डाँट फटकार का ही अप्रत्यक्ष परिणाम था कि छोटा भाई कक्षा में अव्वल आया। क्योंकि छोटे भाई को वैसे ही पढ़ने लिखने की अपेक्षा खेल-कूद कुछ ज्यादा ही पसंद था। ये तो बड़े भाई के उस पर अंकुश रखने के कारण वह घंटा दो घंटा पढाई कर लेता था जिसके कारण वह परीक्षा में अव्वल आ जाता था।
7. इस पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचार से सहमत हैं?
उत्तर:- मैं लेखक के शिक्षा पर किए व्यंग पर पूरी तरह सहमत हूँ । पाठ में बच्चों की व्यावहारिक शिक्षा को पूरी तरह नजर अंदाज किया है। पाठ में बच्चों के ज्ञान कौशल को बढ़ाने की बजाए उसे रट्टू तोता बनाने पर जोर दिया गया है जो कि सर्वाधिक अनुचित है। परीक्षा प्रणाली में आंकड़ों को महत्त्व दिया गया है। बच्चों के सर्वांगीण विकास की ओर शिक्षा प्रणाली कोई ध्यान नहीं देती है।
8. बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?
उत्तर:- बड़े भाई के अनुसार जीवन की समझ ज्ञान के साथ अनुभव और व्यावहारिकता से आती है। पुस्तकीय ज्ञान को अनुभव में उतारने पर ही हम सही जीवन जी सकते हैं। हमारे बड़े बुजुर्गों ने भले कोई किताबी ज्ञान नहीं प्राप्त किया था परन्तु अपने अनुभव और व्यवहार के द्वारा उन्होंने अपने जीवन की हर परीक्षा को सफलतापूर्वक पार किया। अत: पुस्तकीय ज्ञान और अनुभव के तालमेल द्वारा जीवन की समझ आती है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 पक्तियों में) लिखिए –
1. छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय क्या-क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया?
उत्तर:- छोटे भाई ने टाइम टेबिल बनाते यह सोचा कि वह मन लगाकर पढ़ाई करेगा और अपने बड़े भाई साहब को शिकायत का कोई मौका न देगा परन्तु उसके स्वच्छंद स्वभाव के कारण वह अपने ही टाईम टेबिल का पालन नहीं कर पाया क्योंकि पढ़ाई के समय उसे खेल के हरे-भरे मैदान, फुटबॉल, बॉलीबॉल और मित्रों की टोलियाँ अपनी ओर खींच लेते थे ।
2. एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:- एक दिन गुल्ली डंडा खेलने के बाद छोटे भाई का सामना बड़े भाई से हो जाता है। उसे देखते ही बड़े भाई साहब उसे समझाने लगते हैं कि एक बार कक्षा में अव्वल आने का तात्पर्य यह नहीं कि वह अपने पर घमंड करने लगे क्योंकि घमंड तो रावण जैसे शक्तिशाली को भी ले डूबा इसलिए उसे इसी तरह समय बर्बाद करना है तो उसे घर चले जाना चाहिए। उसे पिता की मेहनत की कमाई को यूँ खेल कूद में बर्बाद करना शोभा नहीं देता नहीं है।
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