What are the various authorities invisaged in the indian tax law discuss power of cbdt taxes in hindi details?
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जिस प्रकार से सूर्य जमींन से नमीं को सोंख कर, इसे कई हजार गुणा करके वापस कर देता है। ठीक उसी प्रकार से राजा अपनी प्रजा से करों की वसूली करके, इसे अपनी प्रजा की भलाई पर ही व्यय कर देता है "
---रघुवंश में कालिदास राजा दलीप से कहते है ।
यह आम-धारणा है कि आय तथा सम्पत्ति पर करों की उत्पत्ति हाल ही में हुई है परंतु इस बात के पर्याप्त सबूत है कि आदिम तथा प्राचीन समुदायों में भी आय पर कर किसी न किसी रूप में लगाए जाते थे । 'कर' शब्द की उत्पत्ति 'कराधान' से हुई है जिससे तात्पर्य आंकलन से है। इसे माल या पशुधन की बिक्री या खरीद पर लगाया जाता था तथा समय समय पर बेतरतीब ढंग से एकत्र किया जाता था। लगभग 2000 वर्ष पहले, सीजर ऑगस्त्स ने एक आदेश जारी कर कहा था कि सारी दुनियां में कर लगाया जाना चाहिए। ग्रीस, जर्मनी और रोमन साम्राज्य में, करों को कभी कारोबार के आधार पर लगाया गया तथा कभी व्यवसाय के आधार पर लगाया गया। कई शताब्दियों तक, करों से प्राप्त आय सम्राट के पास जाती रही। उत्तरी इंग्लैंड में, जमीन तथा चल सम्पत्ति पर कर लगाए गए जैसाकि 1188 में सलादीन सिरनामें में कहा गया है। बाद में, इनके स्थान पर पूरक व्यक्ति-कर और अप्रत्यक्ष करों की शुरूआत हुई, जिन्हें 'प्राचीन-सीमा शुल्क' के नाम से जाना गया जिनमें ऊन, चमड़ें तथा खालों पर शुल्क लगाए गए थे। विभिन्न रूपों और विभिन्न वस्तुओं तथा व्यवसायों पर लगाई गई ये लेवी और कर, प्रजा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ही नही, अपितु नागरिकों की आम जरूरतों को पूरा करने के लिए, सड़कों के रखरखाव, न्याय व्यवस्था और राज्य के इस तरह के अन्य कार्यों के साथ साथ सरकार द्वारा अपने सैन्य और नागरिक व्ययों को पूरा करने के लिए लगाये गये।