what happens to those who cannot bear scorching defeat in the lesson the grass is really like me
Answers
Answer:
एक दिन भरी दोपहर में एक लोमड़ी जंगल में घूम रही थी, वहाँ चलते-चलते रास्ते में उसे पेड़ से लिपटी एक बेल में अंगूर लटके हुए नजर आए। अंगूर के गुच्छे इतने स्वादिष्ट लग रहे थे कि जैसे ही उस लालची लोमड़ी ने उन अंगूरों को देखा और उसके मुंह में पानी आ गया। लोमड़ी ने सोचा यदि वह अंगूर का पूरा गुच्छा ले लेती है तो दिनभर उसे खाने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। लोमड़ी स्वादिष्ट अंगूर को खाने के लिए लपकी, किंतु अंगूर बहुत ऊंचाई में लगे थे और वह उन तक नहीं पहुँच पा रही थी। लोमड़ी अंगूरों तक पहुँचने के लिए और ऊंची छलांग लगाई पर इस बार भी उसका प्रयास विफल रहा। बेचारी लोमड़ी तब हार कर एक जगह बैठ गई और थोड़ी देर बाद उसने यह सोचकर फिर से एक ऊंची छलांग लगाई कि इस बार वह इन स्वादिष्ट अंगूरों का आनंद ले लेगी किंतु इस बार भी वह असफल रही। अब क्या था कई बार प्रयास करने के बाद भी जब उस लोमड़ी को अंगूर नहीं मिले तो उसने यह कह कर अपने मन को समझा लिया कि अंगूर खट्टे हैं इन्हें खाकर कोई फायदा नहीं है। अंत में बेचारी लोमड़ी थक हार कर अपने घर वापस चली गई।
Answer:
THE GRASS IS REALLY LIKE ME
The grass is also like me
it has to unfurl underfoot to fulfil itself
but what does its wetness manifest:
a scorching sense of shame
or the heat of emotion?
The grass is also like me
As soon as it can raise its head
the lawnmower
obsessed with flattening it into velvet,
mows it down again.
How you strive and endeavour
to level woman down too!
But neither the earth’s nor woman’s
desire to manifest life dies.
Take my advice: the idea of making a footpath was a good one.
Those who cannot bear the scorching defeat of their courage
are grafted on to the earth.
That’s how they make way for the mighty
but they are merely straw not grass
—the grass is really like me.
© 1991, Rukhsana Ahmad
From: We Sinful Women: Contemporary Urdu Feminist Poetry (with original Urdu poems)
Publisher: The Women’s Press Ltd,
Explanation:
ppz make me brainliest
follo
me
and gives me some pointes