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Answers
अरविन्द पानगड़िया, उपाध्यक्ष, नीति आयोग
पूर्ववर्ती योजना आयोग में 30 अप्रैल, 2014 को अपने आखिरी संबोधन में, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पूछा था,"कहीं हम अब भी उन्हीं साधनों और तौर-तरीक़ों का तो इस्तेमाल नहीं कर रहे जो बहुत पहले के लिए निर्धारित किए गए थे? क्या हमने आयोग में अधिक पारम्परिक क्रियाकलापों की पुनर्संरचना किए बगैर नए कार्य तथा स्तर जोड़ लिए हैं?" इसलिए, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2014 को अपने पहले स्वतंत्रता दिवस संबोधन में कहा कि वे योजना आयोग की जगह नई संस्था बनाना चाहते हैं, तो वे साझा भावना को ही अभिव्यक्ति दे रहे थे। तदुपरान्त, 1 जनवरी,2015 को उन्होंने राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्था अथवा नीति आयोग के सृजन की घोषणा की। दो सप्ताह बाद, मुझे इसका उपाध्यक्ष बनने का गौरव मिला। योजना आयोग की ही तरह, अब भी प्रधानमंत्री ही नीति आयोग के अध्यक्ष हैं।
योजना आयोग 64 वर्ष तक अस्तित्व में रहा जबकि नीति आयोग अभी-अभी बना है। किंतु संस्थान के नए होने के बावजूद इससे अपेक्षाएं काफी अधिक हैं जैसी कि योजना आयोग के साथ थी। इसलिए, इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि प्रधानमंत्री मोदी के साहसिक कार्य के प्रति प्रशंसाभाव रखने वाले लोग जानना चाह रहे हैं कि अपने एक वर्ष के कार्यकाल में नीति आयोग की गतिविधियां और उपलब्धियां क्या रही हैं। आयोग से संबंधित कई खबरें छपती रही हैं और हाल के दिनों में समाचार माध्यमों को दिए साक्षात्कारों में मैंने इसे काफी स्पष्ट किया है। किंतु आयोग की पहली वर्षगांठ को देखते हुए अधिक विस्तारपूर्वक तथा व्यवस्थित रूप से यह बताना ठीक होगा कि नीति आयोग की एक वर्ष की यात्रा कैसी रही है।