What is FORCE
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Force is a push or pull.It has magnitude as well as direction that makes it a vector quantity.
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बल (force in hindi) : ” बल वह कारक है जो किसी भी वस्तु की स्थिति में परिवर्तन ला सकता है। ”
उदाहरण : जब एक विराम अवस्था वाली वस्तु पर बल लगाया जाता है तो वह बल के प्रभाव में गति करने लगती है।
इसी प्रकार जब एक गतिशील वस्तु के विपरीत दिशा में बल लगाया जाता है तो यह गति रुक जाती है।
गैलिलियो ने वस्तुओं की ,,गति पर विभिन्न प्रकार के प्रयोग किये और यह निष्कर्ष निकाला , यदि कोई वस्तु एक समान वेग से गति कर रही हो तो इसे गति कराते रहने के लिए बाह्य बल की आवश्यकता होती है बशर्ते इस गति के विपरीत कोई अन्य बल कार्य नहीं कर रहा हो अर्थात घर्षण बल शून्य होने पर यदि कोई वस्तु एक समान वेग से गति कर रही हो तो उसे समान गति से गति करने के लिए बाह्य बल की आवश्यकता नहीं होगी।
जैसे : यदि एक घर्षण रहित फर्श पर एक बॉल को गति कराया जाये तो यह इसी समान गति से गति करता रहेगा जब तक कि इस गति को रोकने के लिए कोई विपरीत बल कार्य न करे।
अत: ” बल वह कारण है जो किसी वस्तु की स्थिति , अवस्था , आकार आदि में परिवर्तन ला सकता है। “
वस्तु को एक जगह से दूसरे जगह लाने ले जाने में बल काम में आता है अत: हम कह सकते है कि वस्तु की स्थिति परिवर्तन के लिए बल की आवश्यकता होती है।
विराम वस्था को बल लगाकर गतिशील अवस्था में बदला जा सकता है तथा गतिशील अवस्था को विराम अवस्था में बदला जाता है अत: बल अवस्था परिवर्तन करने में समर्थ है।
जब एक वस्तु को अधिक बल से दबाया जाता है तो वह अपना आकार बदल लेती है जैसे रबर को खींचने पर , गुब्बारे को दबाने पर गुब्बारे का आकार बदल जाता है।
उदाहरण : जब एक विराम अवस्था वाली वस्तु पर बल लगाया जाता है तो वह बल के प्रभाव में गति करने लगती है।
इसी प्रकार जब एक गतिशील वस्तु के विपरीत दिशा में बल लगाया जाता है तो यह गति रुक जाती है।
गैलिलियो ने वस्तुओं की ,,गति पर विभिन्न प्रकार के प्रयोग किये और यह निष्कर्ष निकाला , यदि कोई वस्तु एक समान वेग से गति कर रही हो तो इसे गति कराते रहने के लिए बाह्य बल की आवश्यकता होती है बशर्ते इस गति के विपरीत कोई अन्य बल कार्य नहीं कर रहा हो अर्थात घर्षण बल शून्य होने पर यदि कोई वस्तु एक समान वेग से गति कर रही हो तो उसे समान गति से गति करने के लिए बाह्य बल की आवश्यकता नहीं होगी।
जैसे : यदि एक घर्षण रहित फर्श पर एक बॉल को गति कराया जाये तो यह इसी समान गति से गति करता रहेगा जब तक कि इस गति को रोकने के लिए कोई विपरीत बल कार्य न करे।
अत: ” बल वह कारण है जो किसी वस्तु की स्थिति , अवस्था , आकार आदि में परिवर्तन ला सकता है। “
वस्तु को एक जगह से दूसरे जगह लाने ले जाने में बल काम में आता है अत: हम कह सकते है कि वस्तु की स्थिति परिवर्तन के लिए बल की आवश्यकता होती है।
विराम वस्था को बल लगाकर गतिशील अवस्था में बदला जा सकता है तथा गतिशील अवस्था को विराम अवस्था में बदला जाता है अत: बल अवस्था परिवर्तन करने में समर्थ है।
जब एक वस्तु को अधिक बल से दबाया जाता है तो वह अपना आकार बदल लेती है जैसे रबर को खींचने पर , गुब्बारे को दबाने पर गुब्बारे का आकार बदल जाता है।
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