Physics, asked by mansikathait07, 1 year ago

What is force explain in hindi

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Answered by BrainlyPromoter
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बल वह कारण है जो या तो आकार, आकार, आयाम, बाकी की स्थिति, गति की स्थिति इत्यादि को बदलने या बदलने के लिए होता है जिस पर यह कार्य करता है। बल की एसआई इकाई न्यूटन है, जिसे एन द्वारा दर्शाया गया है। बलों को मुख्य रूप से जब यह कार्य करता है के आधार पर विभाजित किया जाता है। बलों के प्रकार नीचे दिए गए हैं: -

1. संपर्क बल

बलों जो केवल तभी लागू होती हैं जब विचाराधीन वस्तुओं को एक दूसरे के साथ वास्तविक शारीरिक संपर्क में रखा जाता है उन्हें संपर्क बल कहा जाता है। उदाहरण: घर्षण बल, मांसपेशी बल, तनाव बल, इत्यादि।

2. गैर संपर्क बल

बल जो लागू होते हैं भले ही विचाराधीन वस्तुओं वास्तविक भौतिक संपर्क में नहीं हैं, गैर-संपर्क बल नामित हैं। उदाहरण: गुरुत्वाकर्षण बल, इलेक्ट्रोस्टैटिक फोर्स, चुंबकीय बल, इत्यादि।

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Answered by aismakashyap981
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Answer: धकेलना या खींचना जो कि वस्तु की स्थिर अवस्था या एक समान गति की दिशा को बदलने का प्रयास करता है या परिवर्तित कर देता है , बल कहलाता है। बल वस्तु और स्रोत के बीच अन्योन्य प्रभाव है (जो कि वस्तु में धक्का या खिंचाव उत्पन्न करता है। )

बल एक सदिश राशि है।

  1. मूल बल

प्रकृति में पाए जाने वाले सभी बल जैसे मांशपेशिय बल , तनाव , प्रतिक्रिया , घर्षण , प्रत्यास्थता , भार , वैद्युत , चुम्बकीय , नाभिकीय बल आदि को निम्नलिखित चार मूल बलों के रूप में व्यक्त कर सकते है।

  • गुरुत्वाकर्षण बल : m1 , m2 द्रव्यमान के दो कणों के मध्य उनके द्रव्यमानों के कारण लगने वाले अन्योन्य बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते है।

गुरुत्वाकर्षण बल दुर्बल बल है और सदैव आकर्षण की प्रकृति के होते है।

यह लम्बी दूरी के बल है। यह ब्रह्माण्ड में किसी भी दूरी पर स्थित किन्ही दो कणों के मध्य लगते है।

यह कणों के बीच उपस्थित माध्यम की प्रकृति पर निर्भर नहीं करता है।

  • विद्युत चुम्बकीय बल : कणों पर उपस्थित विद्युत आवेश के कारण एक कण द्वारा दुसरे कण पर आरोपित बल को विद्युत चुम्बकीय बल कहते है।

             विद्युत चुम्बकीय बलों के निम्नलिखित गुण है –

यह आकर्षण और प्रतिकर्षण प्रकृति के होते है।

यह लम्बी दूरी के बल है।

यह आवेशित कणों के मध्य उपस्थित माध्यम की प्रकृति पर निर्भर करता है।

सभी स्थूल बल (गुरुत्वाकर्षण को छोड़कर) जो कि धक्का लगाने या खींचने या स्पर्श के कारण उत्पन्न होते है , विद्युत चुम्बकीय बल कहलाते है। अर्थात रस्सी के अन्दर तनाव , घर्षण बल , अभिलम्ब प्रतिक्रिया बल , मांशपेशिय बल और स्प्रिंग संपीडन के कारण आरोपित बल , ये सभी बल विद्युत चुम्बकीय बल है। ये अणुओं के मध्य विद्युत चुम्बकीय आकर्षण और प्रतिकर्षण के प्रत्यक्ष उदाहरण है।

  • नाभिकीय बल : यह प्रबल बल है जो कि नाभिक के अन्दर नाभिकीय कणों (प्रोटोन और न्यूट्रोन) को आपस में प्रोटोन के मध्य उपस्थित अत्यधिक प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध बांधे रखता है। रेडियोधर्मिता , संलयन और विखण्डन आदि नाभिकीय बल के असंतुलन के कारण होते है। यह नाभिको के अन्दर होते है अत: यह अल्प दूरी के बल होते है।
  • दुर्बल बल : ये बल किन्ही भी दो मूल कणों के मध्य लगते है। इन बलों के कारण न्यूट्रोन , एक इलेक्ट्रॉन और एक कण (एंटी न्यूट्रोन) , उत्सर्जित करके प्रोटोन में परिवर्तित हो जाता है। इन दुर्बल बलों की परास बहुत कम होती है अर्थात प्रोटोन और न्यूट्रोन के आकार से भी कम होती है।

संपर्को के आधार पर बलों का वर्गीकरण

1. क्षेत्रीय बल : किसी वस्तु के द्वारा उत्पन्न क्षेत्र में कुछ दूरी पर रखी अन्य वस्तु पर क्षेत्र के अन्योन्य प्रभाव के कारण बल को क्षेत्रीय बल कहते है है।

उदाहरण : गुरुत्वाकर्षण बल , विद्युत चुम्बकीय बल

2. सम्पर्क बल : दो वस्तुओं के मध्य स्थानांतरित वह बल जो कि अल्प परास की आण्विक परमाण्विक अन्योन्य क्रियाओं के कारण उत्पन्न होते है। सम्पर्क बल कहलाते है। जब दो वस्तुएं आपस में सम्पर्क में आती है तो वह एक दुसरे पर सम्पर्क बल आरोपित करती है।

बल

बल वह बाहरी कारक हैं, जो किसी वस्तु की प्रारंभिक अवस्था यानी विराम की अवस्था या एक सरल रेखा में एक समान गति की अवस्था को परिवर्तित कर सकता है, या परिवर्तित करने का प्रयास करता है। बल का ैप् मात्रक न्यूटन है। इसका ब्ळै मात्रक डाइन है। प्छत्र105 कलदम होता है।

बलो के प्रकार- प्रकृति मे मूलतः बल चार प्रकार के होते है-

1. गुरूत्वाकर्षण बल।

2. विद्युत चुम्बकीय बल।

3. दुर्बल या क्षीण बल।

4. प्रबल बल।

विद्यूत चुम्बकीय बल– यह बल दो प्रकार का होता है-

स्थिर-वैद्युत बल

इ. चुम्बकीय बल

स्थिर-वैद्युत बल- दो स्थिर बिन्दु आवेशों के बीच लगने वाला बल स्थिर-वैद्युत बल कहतलाता है।

इ. चुम्बकीय बल- दो चुम्बकीय ध्रुवों के मध्य लगने वाला बल चुम्बकीय बल कहलाता है। विद्युत एवं चुम्बकीय बल मिलकर विद्युत-चुम्बकीय बल की रचना करते है। यह ‘फोटॉन‘ नामक कण के माध्यम से कार्य करता है। विद्युत चुम्बकीय बल, गुरूत्वाकर्षण बल से 10 गुना अधिक शक्तिशाली होता है। किसी रस्सी मे तनाव, दो गतिमान सतह के मध्य घर्षण सम्पर्क में रखी दो वस्तुओं के मध्य सम्पर्क बल पृष्ठ तनाव आदि सभी विद्युत चुम्बकीय बल है।

3.  दुर्बल बल– रेडियों सक्रियता के दौरान निकलने वाल कण (इलेक्ट्रॉन), नाभिक के अन्दर एक न्यूट्रॉन का प्रोटॉन, इलेक्ट्रॉन एवं ऐन्टिन्यूट्रिनों के रूप में विघटन के फस्वरूप निकलता है-

इलेक्ट्रॉन व ऐन्टिन्यूट्रिनो के बीच पारस्परिक क्रिया क्षीण बलो के माध्यम से ही होता है। ये बल दुर्बल या क्षीण इसीलिए कहलाते है कि इनका परिमाण प्रबल बल का लगभग 10-13 गुना (अर्थात बहुत कम) होता है और इनके द्वारा संचालित क्षय प्रक्रियाएँ अपेक्षाकृत बहुत धीमी गति से चलती हैं। ऐसा समझा जाता है कि ये बल,ू-बोसॉन नामक कण के आदान-प्रदान द्वारा अपना प्रभाव दिखलाते है। यह अत्यन्त ही लघु परास वाला बल है। इसका परास प्रोटॉन और न्यूटॉन के आकार से भी कम होता है, अतः इनका प्रभाव इन कणों के अन्दर तक ही सीमित रहता है।

4. प्रबल बल– नाभिक के अन्दर दो प्रोटॉन व प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन पास-पास शक्तिशाली आकर्षण बल के कारण होते है, इसे ही प्रबल बल कहते है। इस बल का आकर्षण प्रभाव, वैद्युत बल के प्रतिकर्षण प्रभाव से बहुत ही अधिक होता है। यह बल कण के आवेश पर निर्भर नहीं करता है। यह बल अति लघु परास बल है, इसका परास 10-15 मी. की कोटि का होता है, अर्थात दो प्रोटॉनों के बीच की दूरी इससे अधिक होगी, तो यह बल नगण्य होगा। ऐसा माना जाता है कि प्रबल बल दो क्वार्को की पारस्परिक क्रिया से उत्पन्न होते है।

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