Hindi, asked by diyamove8, 2 months ago

what is kam chor chapter? ​

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Answered by itxhorror
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See the attached image for full explanation in short Hope this helps:-)

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Answered by sravanisoumya24566
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कामचोर पाठ प्रवेश

यह कहानी कामचोर अर्थात् आलसी बच्चों की है। बच्चे अक्सर काम से जी चुराते हैं उन्हें खेलने-कूदने और मस्ती करने में ही आनंद आता है। इस कहानी में बताया गया है कि अगर सही दिशा निर्देश अर्थात् सही तरीका उन्हें न बताया जाए तो बच्चे सही तरीके से काम नहीं करते हैं अर्थात् बच्चों को उन्हें काम करने का तरीका सिखाना बहुत ही जरूरी है। काम सही तरीके से न होने से क्या-क्या परेशानियाँ घरवालों को होती है, इस पाठ में बताया गया है और बहुत ही मजेदार तरीके से बता गया है कि क्या-क्या होता है, जब उन्हें काम करने के लिए कहा जाता है।

कामचोर की पाठ व्याख्या

बड़ी देर के वाद-विवाद के बाद यह तय हुआ कि सचमुच नौकरों को निकाल दिया जाए। आखिर, ये मोटे-मोटे किस काम के हैं! हिलकर पानी नहीं पीते। इन्हें अपना काम खुद करने की आदत होनी चाहिए। कामचोर कहीं के!

Explanation:

लेखिका के घर में बच्चों के काम न करने को लेकर बहस छिड़ी हुई है, और बड़ी देर बहस करने के बाद यह फैसला हुआ कि सचमुच नौकरों को निकाल दिया जाए क्योंकि घर में नौकर-चकार है तो बच्चे किसी काम को करने में कोई रूचि नहीं रखते हैं और सारा दिन धमा-चौकाड़ी मचाते रहते हैं। कई भी काम न करने की वजह से बच्चे मोटे होते जा रहे हैं, हिलकर पानी भी नहीं पीते यानी कि वे अपने लिए पीने का पानी भी स्वयं नहीं लाते हैं। बच्चों को अपना काम अपने आप करने की आदत होनी चाहिए। यह माता-पिता का फ़र्ज है कि बच्चों में अपने काम तो स्वंय करने की आदत डाली जाए। नहीं तो वो आलसी ही बनते जाते हैं।

‘‘तुम लोग कुछ नहीं। इतने सारे हो और सारा दिन ऊधम मचाने के सिवा कुछ नहीं करते।’’ और सचमुच हमें ख्याल आया कि हम आखिर काम क्यों नहीं करते? हिलकर पानी पीने में अपना क्या खर्च होता है? इसलिए हमने तुरंत हिल-हिलाकर पानी पीना शुरू किया।

ऊधम – मस्ती

ख्याल – सोच

लेखिका और उनके भाई-बहनों को डाँटते हुए उनके घरवाले कहते हैं कि वे लोग इतने सारे हैं लेकिन कोई भी काम नहीं करते और सारा दिन मस्ती करने के सिवा कुछ नहीं करते। लेखिका कहती हैं कि जब बड़ों ने कहा कि लेखक और उनके भाई-बहन सारा दिन ऊधम मचाते रहते हैं, शरारत करते रहते हैं, कोई काम नहीं करते हैं, किसी काम में कोई मदद नहीं करते हैं, तब बच्चों को ख्याल आया कि आखिर वे काम क्यों करते है? हिलकर पानी पीने में उनका क्या खर्च होता है? इतना तो वे कर ही सकते हैं, इसलिए लेखिका और उनके भाई-बहनों ने तुरंत हिल-हिलाकर पानी पीना शुरू किया। अर्थात वे अपना काम अब स्वयं करने लग गए।

हिलने में धक्के भी लग जाते हैं और हम किसी के दबैल तो थे नहीं कि कोई धक्का दे, तो सह जाएँ। लीजिए, पानी के मटकों के पास ही घमासान युद्ध हो गया। सुराहियाँ उधर लुढ़कीं। मटके इधर गए। कपड़े भीगे, सो अलग।

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