what is moral of story "doh kalakar " by maanu bandari ?
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दो ,कलाकार मन्नू भंडारी जी की प्रसिद्ध कहानी है जिसने उन्होंने यह बताने का प्रयन्त किया है कि जीवन में एक सच्चे कलाकार की क्या पहचान होती है ।दोनों ही सहेलियाँ अलग - अलग रास्ते पर चलती हुई आगे बढती है एक प्रसिद्धी और धन कमा रही है तथा दूसरी आत्मतोष ।इनके माध्यम से मन्नू भंडारी ने समझाना चाहा है कि परोपकार का जीवन जीने वाला मनुष्य ही सच्चा मनुष्य है और वही जीवन का सच्चा कलाकार है ।इस रूप में अरुणा सार्थक कलाकार के रूप में सामने आती है।
एक कहानी यह भी पुस्तक में लेखिका मन्नू भंडारी ने अपने लेखकीय जीवन की कहानी उतार दी हैं। यह उनकी आत्मकथा तो नहीं है, लेकिन इसमें उनके भावात्मक और सांसारिक जीवन के उन पहलुओं पर भरपूर प्रकाश पड़ता है जो उनकी रचना-यात्रा में निर्णायक रहे।
एक ख्यातनामा लेखक की जीवन-संगिनी होने का रोमांच और एक जिद्दी पति की पत्नी होने की बाधाएँ, एक तरफ अपनी लेखकीय जरूरतें (महत्त्वाकांक्षाएँ नहीं) और दूसरी तरफ एक घर को सँभालने का बोझिल दायित्व, एक मधुर आम आदमी की तरह जीवन की चाह और महान उपल्ब्धियों के लिए ललकता, आसपास का साहित्यिक वातावरण—ऐसा कई-कई विरोधाभासों के बीच से मन्नूजी लगातार गुजरती रहीं, लेकिन उन्होंने अपनी जिजीविषा, अपनी सादगी, आदमीयत और रचना-संकल्प को नहीं टूटने दिया। आज भी जब वे उतनी मात्रा में नहीं लिख रही हैं, ये चीजें उनके साथ हैं, उनकी सम्पत्ति हैं।