What is ras? What are different type of ras
Answers
rass 8 praakar ke hain
sath hi unke sthayee bhav bhI HOTE hain!!
-Shringar ras
-karun ras
-rowdhra ras
-bhayanak ras
-veer ras
-adbuth ras
-vibhatsya ras
-haasya ras
-SHAANT RAS!!
Examples":shringar ras: sajna hai muje sajna ke liye
or
ek ladki ko dekha toh aisa lae jaise khilta gulab jese shayar ka khwaaab ...
HAASYA RAS!: Haathi jesi deh hai gende jaise khaal ,tarbujey si khopdi ,kharbuje se gaal hahahhahaha
Karun ras: Eh mere vatan ke logon jara aankh me bhar lo paani ,jo shheed hua hai unkki zara yaad kar kurbani.
Rowdra ras: hey nrip balak tera kaal bas aa gya isliye tu sochke nai bola!! or any other line from ram lakshman parashuram samvaad where parashuram gets angry and Vibhatsya ras also can be taken from there itself
SHaant ras: Asatoma sad gamaya ,tamasoma jyotirgamaya...
On top of that,many educated people have added BHAKTI AND VAATHSALYA RAS!!
रस की परिभाषा- 'रस्यते आस्वादयेत् इति रसः' अर्थात जिसका आस्वाद किया जाय, वही रस है। जिस प्रकार हमें स्वादिष्ट भोजन से स्वादेंद्रिय और मन को तृप्ति मिलती है, ठीक उसी प्रकार काव्य का आस्वादन करने से जो हृदय को आनंद मिलता है , वही रस कहलाता है। दूसरे शब्दों में साहित्यिक आनन्द का नाम ही रस है। 'रसात्मकं वाक्यं काव्यं 'अर्थात रस ही काव्य की आत्मा है।
रस के प्रकार
रस के दस प्रकार-
रस के नाम स्थायी भाव
श्रृंगार रस रति
शांत रस निर्वेद
करुण रस करुणा, शोक
हास्य रस हास
वीर रस उत्साह
रौद्र रस क्रोध
भयानक रस भय
वीभत्स रस जुगुप्सा,घृणा
अद्भुत रस विस्मय
वात्सल्य रस वत्सल
रस नौ होते है।
1 श्रृंगार रस
"गाता शुक जब किरण बसंती छूती अंग पर्ण से छनकर
किंतु शुकी के गीत उमड़कर रह जाते सनेह में सन कर"
2 वीर रस
" वह खून कहो किस मतलब का जिसमें उबाल का नाम नहीं
वह खून कहो किस मतलब का आ सके देश के काम नहीं"
3 शांत रस
" माली आवत देखि के कलियनुँ करे पुकार
फूले फूले चुन लई काल्हि हमारी वार"
4 करुण रस
"हां सही न जाती मुझसे अब आज भूख की ज्वाला
कल से ही प्यास लगी है हो रहा ह्रदय मतवाला"
5 रौद्र रस
"रे नृप बालक काल बस बोलत तोहि न संभार
धनुही सम त्रिपुरारी धनु विदित सकल संसार "
6 भयानक रस
"एक ओर अजगर ही लखि एक ओर मृग राय
विकल बटोही बीच ही परर्यो मूर्छा खाए"
7 वीभत्स रस
"सिर पर बैठ्यो काग आंख दोउ खात निकारत
खींचत जीभहिं स्यार अतिहिआनंद उर धारत"
8 अद्भुत रस
"अखिल भुवन चर अचर सब हरि मुख में लखि मातु
चकित भई गद् गद वचन विकसित दृग पुलकातु"
9 हास्य रस
"लाला की लाली यों बोली
सारा खाना ये चर जाएंगे
जो बच्चे भूखे बैठे हैं
क्या पंडित जी को खाएँगे "।
mark as brainlist