what is rowlatt act tell in hindi briefly
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1918 के नवम्बर मास में यूरोप का पहला महायुद्धसमाप्त हो चुका था. जर्मनी और उसके साथियों को पूरी तरह परास्त करके वह पक्ष जीत गया था , जिसका सबसे बड़ा भागीदार ब्रिटेन था. इस जीत ने भारत के वातावरण को बिल्कुल बदल दिया था. युद्ध के दिनों अँगरेज़ शासकों में जो थोड़ा-बहुत भी विनय का भाव दिखता था, विजय मिलने के बाद मानो वह भाव भी गायब ही हो गया. भारतवासी को लगने लगा था कि अब युद्ध से निश्चिंत इंग्लैंड भारत को किसी प्रकार के शासन अधिकार देने को उद्द्यत नहीं होगा. 1919 के प्रारम्भ में देश की आर्थिक स्थिति भी बहुत विकट हो रही थी. सरकारी आंकड़ों पर विश्वास करें तो उस समय अनाज के मूल्यों में 93 फीसदी की वृद्धि हो गयी थी. मध्यम श्रेणी और गरीब लोगों का जीवन-निर्वाह कठिन हो गया. एक ओर गरीबों की यह दशा थी तो दूसरी तरफ व्यापारी मंहगाई का लाभ उठाकर मालामाल हो रहे थे. सरकार ने भी व्यापारियों पर अतिरिक्त लाभकर (excess profit tax) लगाकर अथाह धन प्राप्त कर रही थी. इस प्रकार जब 1918 के नवम्बर मास में यूरोप का युद्ध समाप्त हुआ तब भारत देश की प्रत्येक श्रेणी मानो आर्थिक कष्ट के तेज बुखार से तप रही थी. भारतीय प्रजा की बेचैनी नाममात्र के शासन-सुधारों या दमन से शांत न होते देख अंग्रेजी सरकार ने उसे दबाने के उद्देश्य से इंग्लैण्ड की हाईकोर्ट के जज. मि. जस्टिस रौलेट के सभापतित्व में एक समिति नियुक्त की जो उनके नाम पर रौलेट समिति (Rowlatt Committee) कहलाई और उस समिति की शिफारिशों पर आधारित काला कानून रौलेट एक्ट (Rowlatt Act) कहकर पुकारा गया.
रौलेट समिति (Rowlatt Committee) की स्थापना की घोषणा 10 दिसम्बर 1917 को हुई. समिति ने लगभग चार महीनों तक “तहकीकात” की. रौलेट समिति की रिपोर्ट में भारत के जोशीले देशभक्तों द्वारा किये गए बड़े और छोटे आतंकपूर्ण कार्यों को बढ़ा-चढ़ाकर बड़े उग्र रूप में चित्रित किया गया था. रौलेट समिति के सभापति ने 15 अप्रैल, 1918 के दिन अपनी रिपोर्ट भारत मंत्री के सेवा में उपस्थित की और उसी दिन वह भारत में भी प्रकाशित की गई. वह रिपोर्ट “रौलेट समिति की रिपोर्ट” कहलाई.
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