Science, asked by Parth1020, 1 year ago

What is solar eclipse in hindi


ay123141: सूर्यग्रहण

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Answered by yAshay11
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सूर्य ग्रहण

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सूर्य ग्रहण एक तरह का ग्रहण है जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है तथा पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण अथवा आंशिक रूप से चन्द्रमा द्वारा आच्छादित होता है।

चन्द्रमा जब सूर्य को पूर्ण रूप से आच्छादित कर लेता है तो उसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं जैसा कि १९९९ के सूर्य ग्रहण में देखा गया। इसके अन्तिम छोर (लाल रंग में) पर सौर ज्वाला अथवा विस्तृत कॉरोना तन्तु देखे जा सकते हैं।वलयाकार सूर्य ग्रहण (बायें) तब दिखाई देता है जब चन्द्रमा सूर्य को पूरी तरह एक साथ नहीं आच्छादित कर पाता। (जैसा २० मई २०१२ के सूर्य ग्रहण में देखा गया।) आंशिक सूर्य ग्रहण की स्थिति में चन्द्रमा द्वारा सूर्य का कोई एक हिस्सा आवरित किया जाता है (२३ अक्टूबर २०१४ का सूर्य ग्रहण)।

भौतिक विज्ञान की दृष्टि से जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चाँद पृथ्वी की। कभी-कभी चाँद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है जिससे धरती पर साया फैल जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। यह घटना सदा सर्वदा अमावस्या को ही होती है।

पूर्ण ग्रहण

ज्योतिष विज्ञान की दृष्टि से सूर्य ग्रहण

प्रकार

खगोल शास्त्रीयों की गणनायें

वैज्ञानिक दृष्टिकोण में सूर्य ग्रहण

भारतीय वैदिक काल और सूर्य ग्रहण

सूर्य ग्रहण के समय हमारे ऋषि-मुनियों के कथन

सन्दर्भ

Last edited 15 days ago by आशीष भटनागर

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चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है

सीहोर जिले में 22 जुलाई 2009 को पूर्ण सूर्यग्रहण



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Answered by Anonymous
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hiiii frnds........


सूर्य ग्रहण' एक तरह का ग्रहण है जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है तथा पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण अथवा आंशिक रूप से चन्द्रमा द्वारा आच्छादित होता है। विज्ञान की दृष्टि से जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।

सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं जिन्हें पूर्ण सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण व वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं: 
पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी पास रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और चन्द्रमा पूरी तरह से पृ्थ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले लेता है।आंशिक सूर्यग्रहण में जब चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में इस प्रकार आए कि सूर्य का कुछ ही भाग पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है अर्थात चन्दमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया में ले पाता है।वलयाकार सूर्य ग्रहण में जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है अर्थात चन्द्र सूर्य को इस प्रकार से ढकता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है।सूर्य ग्रहण सदैव अमावस्या को ही होता है। जब चन्द्रमा क्षीणतम हो और सूर्य पूर्ण क्षमता संपन्न तथा दीप्त हों। सूर्य ग्रहण के दिन सूर्य और चन्द्रमा के कोणीय व्यास एक समान होते हैं। इस कारण चन्द्रमा सूर्य को केवल कुछ मिनट तक ही अपनी छाया में ले पाता है। सूर्य ग्रहण के समय जो क्षेत्र ढक जाता है उसे पूर्ण छाया क्षेत्र कहते हैं।

हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण का बहुत महत्व है। शास्त्रों में भी ग्रहण से जुड़ी कई बातें कही गई हैं। भारत में ग्रहण को लेकर कई अंधविश्वास भी हैं। जबकि विज्ञान ग्रहण को लेकर किसी भी अंधविश्वास को नहीं मानता। विज्ञान के मुताबिक ग्रहण पूरी तरह खगौलीय घटना है।.........


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